Gulab Singh Chauhan: चौथी फेल शख्स ने खड़ा किया करोड़ों का एम्पायर, जानें इंदौर की मशहूर फूड चेन की सक्सेस स्टोरी

Gulab Singh Chauhan Success story: गुलाब सिंह चौहान 1979 में दोस्तों से कर्ज लेकर इंदौर आए थे। कुछ समय चौकीदारी और पान की दुकान में काम किया। तीन साल बाद खुद की पान की दुकान खोली, लेकिन 1984 के दंगों में सब कुछ खाक हो गया। 

Updated On 2024-03-17 19:35:00 IST
Success story of Karnawat Group founder Gulab Singh Chauhan

Gulab Singh Chauhan Success story: इंदौर के जिस करणावत ग्रुप पर जीएसटी ने छापामारे की है। उसकी इंदौर शहर में पान की 32 दुकानें और 12 भोजनालय संचालित हैं। करोड़ों के टर्नओवर वाले इस ग्रुप की स्थापना और इस मुकाम तक पहुंचने की कहानी बेहद दिलचस्प है। सन 1982 में करणावत ग्रुप की नींव चौथी फेल गुलाब सिंह चौहान ने रखी थी। 42 साल के सफर में कई उतार-चढ़ाव आए, लेकिन कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वर्तमान में वह सालाना 20 करोड़ का कारोबार करते हैं। 

1979 में दोस्तों से कर्ज लेकर आए इंदौर 
करणावत ग्रुप के संस्थापन गुलाब सिंह चौहान चौथी फेल हैं। 1979 में वह राजस्थान से 7 रुपए कर्ज लेकर इंदौर आए थे। शुरुआत में पान दुकान और कुछ दिन चौकीदार का काम किया, लेकिन जल्द ही खुद की पान दुकान खोल ली। 1982 में इंदौर के साउथ तुकोगंज में उन्होंने पहली दुकान खोली थी। धंधा बहुत चढ़ चल रहा था, लेकिन 1984 के दंगों में उनकी दुकान जला दी गई, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। 

शादी के बाद मिली कारोबारी सफलता 
गुलाब सिंह ने 1984 में दुकान जलने के बाद दोबारा नौकरी शुरू की। इसी बीच शादी हो गई। शादी के बाद नए सिरे से दुकान शुरू की और धंधा चल निकला। आय बढ़ी तो उन्होंने छोटे भाई को भी बुला लिया और एक के बाद एक नई दुकान खोलते गए। बाद में गुलाब सिंह गांव के दोस्तों औररिश्तेदारों को बुलाकर फ्रेंचाईसी मॉडल शुरू किया। वर्तमान में उनकी पान की 32 दुकानें संचालित हैं। 

70 रिश्तेदारों की शानदार टीम 
करणावत ग्रुप के फाउंडर गुलाब सिंह इंदौर की जिस बिल्डिंग में चौकीदारी का काम किया था। बाद उसे खरीद लिया। अब वहां पढ़ाई करने वाले छात्रों को रखते हैं।  गुलाब सिंह के पास फिलहाल, 70 रिश्तेदारों की टीम है। ज्यादातर ने इंदौर में घर खरीद लिया है। 32 पान दुकानों के साथ करणावत ग्रुप के 12 भोजनालय संचालित हैं। भोजनालय की शुरुआत 2009 में हुई थी। 
 

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