Pitra paksha: पवित्र स्थल जहां श्राद्ध करने से मिलता है मोक्ष, भगवान राम और श्रीकृष्ण ने भी किया पितरों का तर्पण

मध्य प्रदेश में पितृपक्ष के दौरान उज्जैन के रामघाट, जबलपुर के त्रिशूलभेद तीर्थ, अशोकनगर के तुलसी सरोवर, ओंकरेश्वर के गया शिला और नर्मदा नदी में तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। पितृपक्ष 17 सितंबर,मंगलवार से शुरू होंगे।

Updated On 2024-09-15 18:11:00 IST
Pitra paksha: पवित्र स्थल जहां श्राद्ध करने पर मिलता है मोक्ष।

Pitra paksha: पितृपक्ष (Pitra paksha)17 सिंतबर से शुरू हो रहे हैं। इस दौरान लोग पूर्वजों का तर्पण करते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से पितरों को मोक्ष मिलता है। आइए जानते हैं मध्य प्रदेश के कुछ ऐसे पवित्र स्थल (जलाशयों) जहां पितरों का श्राद्ध करने लोग दूर दूर से आते हैं। उज्जैन में सिद्ध वट, राम घाट, गया कोटा में प्रभु राम से लेकर भगवान श्रीकृष्ण तक ने अपने पूर्वजों की श्राद्ध की थी।  

MP में यहां करें पितरों का तर्पण  

  • राम घाट (RamGhat): उज्जैन स्थित रामघाट में श्राद्धपक्ष के दौरान हजारों की संख्या में लोग पूर्वजों का तर्पण करने पहुंचते हैं। श्रद्धालु दूध में काले तिल और पुष्प अर्पित करते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से पितरों को मोक्ष मिलता है। 
  • गयाकोठा (GayaKota): गयाकोठा तीर्थ का स्कन्द पुराण में उल्लेख है। कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण जब शिक्षा प्राप्त कर लौटे तो मां अरुंधति ने उनसे कहा, प्रभु मेरे 6 बच्चों को राक्षस ने मार दिया है। आप मोक्ष का स्थान बताइए।  इस पर श्रीकृष्ण ने गयाकोठा तीर्थ की स्थापना की। मान्यता है कि यहां पितरों का श्राद्ध करने से 10 गुना पुण्य मिलता है। 
  • क्षिप्रा नदी ( Shipra River): महाकाल की नगरी उज्जैन स्थित क्षिप्रा नदी में प्रभु राम ने अपने पिता दशरथ का तर्पण किया था। मान्यता है कि मां पार्वती ने अपने हाथों से यहां सिद्ध वटवृक्ष रोपा था। भगवान श्रीकृष्ण ने भी यहां मोक्ष स्थान की स्थापना की थी। उज्जैन में विश्व के सभी तीर्थों का अंश है। इसलिए यहां मांगलिक और श्राद्ध करने से अधिक फल मिलता है।
  • त्रिशूलभेद तीर्थ (Trishul Bhed): मध्य प्रदेश के जबपुर से 15 किमी दूर नर्मदा तट को त्रिशूलभेद तीर्थ कहते हैं। मान्यता है कि भगवान शिव ने यहां अपने त्रिशूल का निर्माण किया था। पितृ-पक्ष में लोग पूर्वजों की आत्मशांति के लिए यहां पिंडदान भी करते हैं। मान्यता है कि आज भी राजा इंद्र यहां पूर्वजों का अदृश्य रूप से श्राद्धकर्म करने आते हैं। 
  • तुलसी सरोवर (Tulsi Sarovar): मध्य प्रदेश अशोकनगर जिले में स्थित तुलसी सरोवर में पितृपक्ष के दौरान रोजाना हजारों लोग पहुंचते हैं और सनातन परंपरा से श्राद्धकर्म करते हैं। मान्यता है कि यहां पितरों को जल तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • गया शिला (Gaya Shila): मध्य प्रदेश में खंडवा जिले के ओंकारेश्वर स्थित कावेरी नदी में गया शिला है, जिसे मध्यप्रदेश की मोक्षस्थली कहते हैं। पितृ पक्ष के दौरान यहां बड़ी संख्या में लोग श्रद्धकर्म के लिए पहुंचते हैं। मान्यता है कि बिहार के गया में तर्पण करने से जो फल मिलता है, वही फल गया शिला में पिंडदान करने से मिलता है।
  • नर्मदा नदी (Narmada River): भोपाल से 80 किमी दूर स्थित नर्मदा नदी में पितरों का तर्पण करने से पितरों की आत्मशांति मिलती है। नर्मदा नदी में पिंडदान और तर्पण करना गया बिहार के फल्गू नदी से 16 गुना ज्यादा फलदायक माना जाता है। 

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