Kuno National Park: कूनो में 27 चीते, अब और की जरूरत नहीं, केन्या से नई खेप आई तो यहां होगा नया ठिकाना

Kuno National Park: MP के चीता प्रोजेक्ट को सफल माना जा रहा है। 21 माह में चीतों की मृत्यु की तुलना में शावकों के जन्म का औसत ज्यादा है। संख्या बढ़ने के बाद कूनो का जंगल ज्यादा चीतों को रखने के लिए अब पर्याप्त नहीं है।

Updated On 2024-05-25 17:22:00 IST
Kuno National Park

Kuno National Park: मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क से अच्छी खबर है। श्योपुर में चल रहे चीता प्रोजेक्ट को सफल माना जा रहा है। 21 माह में चीतों की मृत्यु की तुलना में शावकों के जन्म का औसत ज्यादा है। संख्या ज्यादा होने के कारण अब बाहर से और चीते लाने की जरूरत नहीं है। इससे ज्यादा चीतों को रखने के लिए कूनो में जगह भी पर्याप्त नहीं है। अगर केन्या से से चीतों की नई खेप भारत लाई गई तो गांधी सागर राष्ट्रीय अभयारण्य को चीतों का नया ठिकाना बनाया जा सकता है। 

ऐसे समझिए 
17 सितंबर 2022 को चीता प्रोजेक्ट शुरू हुआ था। शुरू में कूनो में नामीबिया से 8 और दक्षिण अफ्रीका से 12 यानी कुल 20 चीतों को लाकर शिफ्ट किया था। 20 चीतों में से अभी 13 चीते और 14 शावक यानी 27 चीते कूनो हैं। 7 चीतों और 3 शावकों सहित कुल 10 चीतों की मौत अलग-अलग कारणों के चलते हो गई थी। मौत से चीतों के जन्म का औसत ज्यादा है। इस वजह से कूनो का चीता प्रोजेक्ट सफल माना जा रहा है। 

अधिकारी भी कह चुके कि कूनो का जंगल चीतों के लिए छोटा 
कूनो नेशनल पार्क का जंगल ज्यादा चीतों को रखने के लिए पर्याप्त नहीं है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि, हाल में केन्या के चीता विशेषज्ञों ने कूनो के चीता प्रोजेक्ट की सफलता और व्यवस्थाएं देखने के बाद गांधी सागर अभयारण्य में चीतों को बसाने की संभावनाएं तलाश की हैं। कूनो में जगह की कमी होने की बात बार-बार कही जाती रही है। कई एक्सपर्ट और वन विभाग अधिकारी खुद कह चुके हैं कि कूनो का जंगल ज्यादा चीतों को रखने के लिए पर्याप्त नहीं है। शासन को पत्र भी लिख चुके हैं।

खुले जंगल में छोड़ने ही सीमा लांघ रहे चीते 
कूनो के खुले जंगल में चीतों को छोड़ते ही वह दूसरे जिलों और राज्यों में पहुंच जाते हैं। चीतों ने कूनो ही नहीं एमपी की सीमा को भी लांघा है। शिवपुरी, मुरैना, यूपी और राजस्थान तक चीते पहुंच चुके हैं। हाल में राजस्थान के करौली जिले से वन विभाग की टीम चीता ओमान को पकड़कर लाई थी। इससे पहले चीता 'अग्नि' को राजस्थान से सटे बारां जिले के जंगल से वन विभाग की टीम ने ट्रैंकुलाइज किया था। 

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