राष्ट्रीय खादी फाग महोत्सव: बिहार की बावन बूटी साड़ी बनी मुख्य आकर्षण, यहां जानिए खासियत

BHOPAL NEWS: गौहर महल में आयोजित राष्ट्रीय खादी फाग महोत्सव इन दिनों शहर के लोगों के लिए खास आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। प्रदर्शनी में देश के विभिन्न राज्यों से आए बुनकर अपनी हस्तशिल्प का प्रदर्शन कर रहे हैं।

Updated On 2024-03-19 19:34:00 IST
National Khadi Phag Mahotsav

भोपाल। गौहर महल में आयोजित राष्ट्रीय खादी फाग महोत्सव इन दिनों शहर के लोगों के लिए खास आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। प्रदर्शनी में देश के विभिन्न राज्यों से आए बुनकर अपनी हस्तशिल्प का प्रदर्शन कर रहे हैं। 24 मार्च तक चलने वाली इस महोत्सव का आयोजन मप्र खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग की ओर से किया गया है। प्रदर्शनी में खादी और सिल्क से तैयार डिजाइनर कलेक्शन प्रदर्शित किया गया है। प्रदर्शनी के समन्वयक अजीत प्रजापति ने बताया कि प्रदर्शनी में पहली बार बिहार से आये कलाकार बावन बूटी की साड़ी प्रदर्शित कर रहे हैं। इस साड़ी की अपनी अलग खासियत है जो महिलाओं के बीच में खास पसंद की जाती है। इसके साथ ही मेले में टसर, मूंगा सिल्क, मधुबनी आदि साड़ियों का कलेक्शन प्रदर्शित है।

बिहार की बावन बूटी साड़ी बनी मुख्य आकर्षण
बिहार से आये बुनकर सोनू चौधरी ने बताया कि इस साड़ी में एक जैसी 52 बूटियां यानि मौटिफ होते हैं। यह बहुत महीन होती है और धागों की मदद से साड़ी पर तागा जाता है। इस कला की विशेषता यह भी है कि पूरे कपड़े पर एक ही डिजाइन को 52 बार बूटियों के रूप में बनाया जाता है। बुनकर सोनू ने जानकारी देते हुए कहा कि बावन बूटी के माध्यम से छह गज की साड़ी में बौद्ध धर्म की कलाकृतियों को उकेरा जाता है। डिजाइनों में कमल के फूल, पीपल के पत्ते, बोधि वृक्ष, बैल, त्रिशूल, सुनहरी मछली, धर्म का पहिया जैसे चिह्नें का खूब इस्तेमाल होता है।

अब नहीं जाना पड़ता दूसरे शहरों में 
सोनू ने बताया कि डिजाइन का बाजार काफी बड़ा है। अभी तक हम लोग कोलकाता, मुंबई और दिल्ली डिजाइन के लिए जाते थे, लेकिन अब न तो हमें दिल्ली और कोलकाता जाने की आवश्यकता होती है और ना ही किसी पर निर्भर होना पड़ता है। अब हम स्वयं आपस में मिलकर डिजाइन तैयार कर लेते हैं। इससे हमें आय भी अच्छी होती है। अब हमारे यहां का हर बुनकर अपने आप में एक फैशन डिजाइनर हैं। कई तरह के कपड़ों को डिजाइन कर तैयार करते हैं।

1989 से पहले थे 15 हजार बुनकर अब बचे 2400
भागलपुर से आए बुनकर मो. जावे ने बताया कि रेशमी शहर के बुनकरों का हुनर भी बेमिसाल है। ये डिजाइन देखकर इसे हैंडलूम पर उतार देते हैं। कपड़ा चाहे रेशम का हो या सूती धागे का। मोटे धागे से फर्निशिंग का कपड़ा भागलपुर के बुनकर ही तैयार कर पाते हैं। जिले में 1989 से पहले 15 हजार के करीब हैंडलूम बुनकर हुआ करते थे। अब 2400 बुनकर ही बचे हैं।

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