ज्योतिरादित्य सिंधिया की मां का निधन: नेपाल की राजकुमारी के दादा थे प्रधानमंत्री; माधवी राजे ने बेटे के लिए छोड़ी राजनीतिक विरासत

Madhavi Raje Scindia passes Away: केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की मां राजमाता माधवी राजे सिंधिया पंचतत्व में विलीन हो गईं। ​पति माधवराव सिंधिया के निधन के बाद राजमाता टूट गई थीं।

Updated On 2024-05-15 15:32:00 IST
माधवराव सिंधिया के साथ 1966 में माधवी राजे सिंधिया का हुआ था विवाह।

Madhavi Raje Scindia passes Away: केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की मां राजमाता माधवी राजे सिंधिया का 70 साल की उम्र में निधन हो गया। अंतिम संस्कार ग्वालियर में गुरुवार सुबह 11 बजे किया जाएगा। माधवी राजे के ​पति और पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया का निधन 30 सितंबर 2001 को हुआ था। पति के निधन के बाद राजमाता काफी टूट गई थीं। पति माधवराव के निधन के बाद माधवी राजे के राजनीति में आने के कयास भी लगते रहे, लेकिन माधवी राजे ने खुद को राजनीति से दूर ही रखा। पति माधवराव सिंधिया की राजनीतिक विरासत बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए छोड़ दी। बता दें कि ज्योतिरादित्य हमेशा अपनी मां से सलाह मशविरा करके फैसला लेते रहे। 

तस्वीर देखते ही माधवराव को पसंद आ गईं थी किरण 
1966 में सिंधिया राजघराने के महाराज माधवराव से शादी के बाद वह किरण राजलक्ष्मी से माधवी राजे बनीं। राजकुमारी किरण राज लक्ष्मी देवी की शादी का प्रस्ताव सिंधिया राजघराने में आया। नेपाल की राजकुमारी की तस्वीर ग्वालियर के महाराज रहे माधवराव सिंधिया को दिखाई गई। तस्वीर देखते ही माधवराव को किरण पसंद आ गईं। विवाह दिल्ली में हुआ। ग्वालियर से दिल्ली के बीच विशेष ट्रेन चलाई गई। जिससे ग्वालियर के महाराज माधवराव सिंधिया अपनी बारात लेकर गए थे। 8 मई 1966 को परंपरागत रूप से शादी संपन्न हुई थी और किरण राज लक्ष्मी विवाह पश्चात सिंधिया घराने की बहू और सिंधिया राजवंश की रानी बनकर ग्वालियर आ गईं।

बेटे ज्योतिरादित्य और बहू प्रियदर्शनी राजे सिंधिया के साथ माधवी राजे।

दादा नेपाल के प्रधानमंत्री थे 
सिंधिया राजपरिवार की बहू बनने से पहले माधवी राजे रॉयल फैमिली से थीं। उनके दादा नेपाल के प्रधानमंत्री और राणा राजवंश के प्रमुख जुद्ध शमशेर जंग बहादुर राणा थे। वे कास्की और लमजुंग के महाराजा और गोरखा के सरदार रामकृष्ण कुंवर के पैतृक वंशज थे। ऐसे में वे इस नेपाली राजघराने की राजकुमारी थीं। शादी से पहले उनका नाम किरण राज लक्ष्मी देवी था। शादी के बाद जब सिंधिया राजघराने की बहू पहली बार ग्वालियर आई थीं, तो ग्वालियर में उनका भव्य स्वागत हुआ था। महल की ओर जाने वाले हर रास्ते पर फूल बिछाए गए थे। उसके बाद कभी किसी बहू रानी का इतना जोशीला स्वागत नहीं हुआ है।

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