कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा रेलवे: ओडिशा और बंगाल हादसे के बाद सुरक्षा पर उठे सवाल, भोपाल मंडल में 40% पद खाली 

Indian Railways employees shortage: पश्चिम मध्य रेलवे जबलपुर में 64157 कर्मचारियों की पद हैं। लेकिन भोपाल मंडल में ही 40 फीसदी पद रिक्त हैं। जबलपुर, भोपाल, कोटा रेल मंडल में भी कुछ ऐसे ही हालात हैं।   

Updated On 2024-06-18 10:45:00 IST

Indian Railways employees shortage: पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन के पास हुए ट्रेन एक्सीडेंट के बाद रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं। ओडिशा और पश्चिम बंगाल में हुए हादसे के बाद रेलवे रनिंग स्टाफ रिक्त पड़े लाखों पदों पर भर्ती किए जाने की मांग उठने लगी है। भोपाल रेल मंडल में ही 40% पद खाली हैं। भोपाल, जबलपुर, कोटा सहित देशभर के 68 रेल मंडल के कर्मचारी काम के दबाव में परेशान हैं, लेकिन कर्मचारियों की बजाय रेलवे वंदेभारत एक्सप्रेस की संख्या बढ़ा रहा है।

सुरक्षा को प्रभावित कर रहे खाली पड़े पद
समर सीजन में स्पेशल ट्रेनों की संख्या बढ़ जाती हैं। बुलेट ट्रेन चलाने की भी तैयारी है, लेकिन सेफ्टी से जुड़े रिक्त पद रेलवे में संरक्षा व सुरक्षा को प्रभावित करते हैं। भारतीय रेलवे के सभी विभाग कर्मचारियों की कमी से जूझ रहे हैं। हालत यह हैं कि रेलवे के पास पर्याप्त संख्या में सेफ्टी कर्मचारी भी नहीं है।

कर्मचारी संगठन कर रहे बोर्ड से आग्रह
रेल में फिलहाल सेफ्टी कर्मचारियों की श्रेणी में एक लाख से अधिक पद रिक्त हैं। जिस कारण यात्रियों की सुरक्षा को लेकर रेलवे की गंभीरता पर सवाल उठने लगे हैं। पश्चिम मध्य रेलवे जबलपुर में 64157 कर्मचारियों की पोस्ट हैं। लेकिन भोपाल मंडल में ही 40 फीसदी पद रिक्त पड़े हैं। जबलपुर, भोपाल, कोटा रेल मंडल में भी कुछ ऐसे ही हालात हैं।   

वेस्ट सेंट्रल रेलवे एम्पलाइज यूनियन के मंडल अध्यक्ष टीके गौतम ने बताया, हमने सेफ्टी के रिक्त पदों को भरने का आग्रह पमरे जोन हेड क्वार्टर व रेलवे बोर्ड से किया है, ताकि दुर्घटना की पुनरावृत्ति न हो और सुरक्षित रूप से ट्रेन का परिचालन हो सके। उम्मीद है कि रेलवे बोर्ड जल्द ही पहल करेगा।

कर्मचारियों पर काम का दबाव
सेफ्टी के रिक्त पद भरने में हो रही देरी के चलते कई तरह से यात्री की संरक्षा व सुरक्षा पर असर हो रहा है। एक तरफ जो कर्मचारी काम कर रहे हैं, उन पर काम का दबाव तो है ही इसके साथ नजर हटी व दुर्घटना घटी की स्थिति भी बन रही है। पमरे जोन में ही भोपाल, जबलपुर व कोटा रेल मंडल में कई अलग-अलग स्थान पर यात्री से लेकर मालगाड़ी ट्रेन के डिब्बों के बे पटरी होने की घटनाएं गत वर्षों में हुई हैं। रेल संगठन इसके लिए आवाज तो उठाते है, लेकिन उसका खास असर देखने को नहीं मिल रहा है।

मैन पावर बढ़ाने की जरूरत
भविष्य में इस तरह की दुर्घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए सुरक्षा को प्राथमिकता देने की जरूरत है। रेलवे तीसरी रेल लाइन, स्पेशल ट्रेनों पर जोर दे रहा है। उनके स्टापेज भी बढ़ाए जा रहे हैं। लेकिन रनिंग स्वफ की संख्या नहीं है। इसलिए जरूरी है कि नाई परिसंपतियों (थर्ड व फोर्थ लाइन, वंदे भारत सहित अन्य योजनाओं) के लिए सेफ्टी ऑडिट कराकर पुन: मैन पॉवर तैयार करें और सेफ्टी विभाग के रिक्त पदों को भरा जाए।
 

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