दिल्ली की साकेत कोर्ट का बड़ा फैसला: मानहानि मामले में मेधा पाटकर को 5 महीने की जेल, 10 लाख मुआवजा देने का आदेश

Defamation Case: दिल्ली की साकेत कोर्ट ने मानहानि मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को 5 महीने की साधारण कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने पाटकर को 10 लाख रुपए का मुआवजा देने का भी आदेश दिया है।

Updated On 2024-07-01 19:09:00 IST
Medha Patkar

Delhi Saket Court: दिल्ली की साकेत कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को 5 महीने की साधारण कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने पाटकर को 10 लाख रुपए का मुआवजा देने का भी आदेश दिया है। कोर्ट ने जुर्माने की राशि वीके सक्सेना को देने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना की ओर से दायर आपराधिक मानहानि मामले में नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रमुख मेधा पाटकर को यह सजा सुनाई है।

25 साल तक चला केस
मेट्रोपोलिटन मजिस्टेट राघव शर्मा ने मेधा पाटकर को मानहानि का दोषी पाया और पाटकर को सक्सेना की प्रतिष्ठा को हुए नुकसान के लिए मुआवजा के रूप में 10 लाख रुपए भुगतान करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने उम्र का हवाला देने वाली दलील को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा यह केस 25 साल चला है। अदालत ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 389 (3) के तहत उनकी सजा को 1 अगस्त तक निलंबित कर दिया, ताकि वह आदेश के खिलाफ अपील कर सकें। 

सत्य कभी पराजित नहीं हो सकता 
कोर्ट के आदेश पर मेधा पाटकर ने कहा कि सत्य कभी पराजित नहीं हो सकता। हमने किसी को बदनाम करने की कोशिश नहीं की है। हम केवल अपना काम करते हैं। हम अदालत के फैसले को चुनौती देंगे। बता दें कि 30 मई को वीके सक्सेना की ओर से पेश वकील ने मेधा को अधिकतम सजा देने की मांग की थी।  

जानें पूरा मामला 
बता दें कि वर्ष 2000 में मेधा पाटकर नर्मदा बचाओ आंदोलन को लेकर सक्रिय थीं। उस वक्त सक्सेना नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज में सक्रिय थे। सक्सेना ने पाटकर के आंदोलन का विरोध किया था। पाटकर ने सक्सेना पर हवाला लेनदेन में संलिप्तता का आरोप लगाया था। इसके बाद सक्सेना ने पाटकर के खिलाफ मानहानि के 2 मामले दर्ज कराए थे। पाटकर ने भी सक्सेना पर विज्ञापन को लेकर मानहानि का केस किया था। 

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