ये कैसी परीक्षा: चाकघाट नेहरू स्मारक कॉलेज में खुलेआम नकल, छात्रों ने कबूला-Cheating के लिए दिए 1500 रुपए, कैमरे पर किया खुलासा

Rewa: मध्य प्रदेश के रीवा जिले के चाकघाट स्थित नेहरू स्मारक कॉलेज में परीक्षा के दौरान खुलेआम नकल करने का मामला सामने आया है। भोज ओपन यूनिवर्सिटी की एमएससी (M.Sc.) परीक्षा के दौरान छात्र मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर नकल करते नजर आए।

Updated On 2025-02-19 14:30:00 IST
Nehru Memorial College Chakghat

Rewa: मध्य प्रदेश के रीवा जिले के चाकघाट स्थित नेहरू स्मारक कॉलेज में परीक्षा के दौरान खुलेआम नकल करने का मामला सामने आया है। भोज ओपन यूनिवर्सिटी की एमएससी (M.Sc.) परीक्षा के दौरान छात्र मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर नकल करते नजर आए। इसका एक वीडियो बुधवार को वायरल हुआ, जिसमें छात्र न केवल नकल करते दिख रहे हैं, बल्कि उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि इसके लिए उन्होंने 1000 से 1500 रुपए तक दिए हैं।

छात्रों ने खुद बताया सच
परीक्षा में शामिल छात्रों का कहना है कि कॉलेज प्रबंधन द्वारा ही नकल की व्यवस्था करवाई गई थी। एक छात्र ने बताया, "हमसे 1500 रुपए लिए गए ताकि हम आराम से मोबाइल से उत्तर लिख सकें।" परीक्षा में नकल की इस खुली छूट ने शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

कॉलेज प्रशासन और उच्च शिक्षा विभाग की प्रतिक्रिया
इस मामले पर जब उच्च शिक्षा विभाग के अतिरिक्त संचालक डॉ. राजेंद्र प्रसाद सिंह से सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि वीडियो की जांच के निर्देश दे दिए गए हैं। इस वीडियो को गंभीरता से लिया गया है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

60 छात्रों ने दी परीक्षा, अब जांच की तैयारी
मंगलवार को डिस्क्रीट मैथमेटिक्स (Discrete Mathematics) का पेपर आयोजित किया गया था, जिसमें 60 से अधिक छात्र उपस्थित थे। भोज ओपन यूनिवर्सिटी की परीक्षाएं 10 फरवरी से 5 मार्च तक चल रही हैं। अब इस घटना की गहराई से जांच की जा रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या यह सिर्फ एक परीक्षा तक सीमित था या पूरे परीक्षा केंद्र में ऐसी ही स्थिति बनी हुई थी।

क्या हमारी शिक्षा प्रणाली सुरक्षित है?
इस घटना ने एक बार फिर से हमारे शिक्षा तंत्र की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। नकल का यह मामला कोई पहला नहीं है, लेकिन जब छात्र खुद कैमरे पर नकल करने की बात स्वीकार करें और परीक्षा केंद्र पर निगरानी की कोई व्यवस्था न हो, तो यह शिक्षा व्यवस्था में गंभीर खामियों की ओर इशारा करता है।
 

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