Bhopal News: भारत विभाजन की सैद्धांतिक पृष्ठभूमि अल्लामा इकबाल ने तैयार की थी, गोलमेज कांफ्रेंस में भी उठाई थी मांग

partition of India: भोपाल की स्वामी विवेकानंद लाइब्रेरी में सोमवार को यंग थिंकर्स फोरम ने व्याख्यान आयोजित किया। इसमें राजधानी के बड़ी संख्या में वुद्धजीवी शामिल हुए। भारत विभाजन में अल्लामा इकबाल की भूमिका पर चर्चा करते हुए कहा, विभाजन की सैद्धांतिक पृष्ठभूमि इकबाल ने ही तैयार की थी।

Updated On 2024-01-08 19:49:00 IST
यंग थिंकर्स फोरम द्वारा आयोजित परिचर्चा को संबोधित करते वक्ता कृष्णा श्रीवास्तव।

partition of India: स्वामी विवेकानंद लाइब्रेरी में सोमवार को भारत विभाजन में अल्लामा इकबाल की भूमिका पर व्याख्यान हुआ। यंग थिंकर्स फोरम द्वारा आयोजित इस परिचर्चा में कृष्णा श्रीवास्तव ने बताया कि किस प्रकार अल्लामा इकबाल ने भारत विभाजन की सैद्धांतिक पृष्ठभूमि तैयार की। इकबाल की अनेक नज्मों, गजलों और भाषणों का संदर्भ देते हुए उन्होंने बताया कि इकबाल ने भारतीय मुस्लिमों  को भारतीयता के सिद्धांत के विरुद्ध मिल्लत के लिए उकसाया और उनको अलगाववादी बनाया। 

अल्लामा इकबाल ने स्वतंत्रता संग्राम को हराम बताया तथा वतन परस्ती को इस्लाम के खिलाफ बताया था। उसके अनुसार या तो कोई मुस्लिम मजसलिम हो सकता है या भारतीय। इकबाल ने ही जिन्ना को समझाया कि वे भारत आएं और अलग मुस्लिम राष्ट्र की मांग व उसका नेतृत्व करें। 

कश्मीरी हिंदू पंडित परिवार में हुआ था जन्म 
अल्लामा इकबाल का जन्‍म 9 नवंबर 1877 में पंजाब के सियालकोट में कश्मीरी हिंदू पंडित परिवार में हुआ था। 17वीं सदी में उनके परिवार ने इस्लाम को अपना लिया। लाहौर के प्रतिष्ठित गवर्नमेंट कॉलेज से 1899 में ग्रेजुएट करने के बाद वह 1905 में ट्रिनिटी कॉलेज कैंब्रिज पहुंचे।  1908 में वह भारत लौटे। और 1930 और 1932 में मुस्लिम लीग के अध्यक्ष बने। उनका नजरिया कांग्रेस की धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ था। अल्लामा इकबाल ने गोलमेज कांफ्रेंस में मुसलमानों के लिए अलग जमीन का पक्ष रखा था। साथ ही मोहम्मद अली जिन्ना को उन्होंने आगे बढ़ाया। 

मुस्लिम आक्रांताओं का था प्रशंसक 
इकबाल, बाबर, गजनवी, अहमद शाह अब्दाली, टीपू और औरंगजेब जैसे मुस्लिम आक्रांताओं का प्रशंसक था और उनकी कब्रों पर जाकर उसने फातिहा भी पढ़े हैं। व्याख्यान में वरिष्ठ चिंतक व लेखक सदानंद दामोदर सप्रे, गौरीशंकर गौरीश, महेश सक्सेना, अमिताभ सक्सेना सहित अन्य विचारक और युवा सम्मिलित हुए।                                                                                                                                                                                                                                                                     लेखक: मधुरिमा राजपाल 

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