Exclusive: एक्टर मकरंद देशपांडे की हरिभूमि से खास बातचीत, कहा- भारत में नहीं, पश्चिमी देशों में है न्यूडिटी का कल्चर

Makarand Deshpande: विंद्र भवन में आयोजित इंडोमूंस फेस्ट में नाट्य प्रस्तुति देने जाने-माने कलाकार मकरंद देशपांडे भी पहुंचे। इस अवसर पर हरिभूमि ने उनसे खास बातचीत की।

Updated On 2025-03-05 22:51:00 IST
Actor Makarand Deshpande

मधुरिमा राजपाल, भोपाल
रविंद्र भवन में आयोजित इंडोमूंस फेस्ट में नाट्य प्रस्तुति देने जाने-माने कलाकार मकरंद देशपांडे भी पहुंचे। इस अवसर पर हरिभूमि ने उनसे खास बातचीत की। मकरंद देशपांडे कहते हैं कि भारत के लोग कॉमेडी को वेस्टर्न कल्चर से जोड़कर देखते हैं, जबकि वेस्टर्न देश में न्यूडिटी, वल्गर जोक्स उनके कल्चर का हिस्सा है। जबकि यह हमारा कल्चर नहीं है तो हम उसको कैसे अपना सकते हैं या कैसे नेशनल प्लेटफार्म पर इस अश्लीलता को जोक्स के रूप में परोस सकते हैं।

बढ़ती अश्लीलता का कारण लोगों के हाथों से किताबों का छूटना है
ऑनलाइन प्लेटफार्म पर फैलती अश्लीलता पर उन्होंने कहा कि इसका एक मात्र कारण आज लोगों के हाथ से किताबें छूट रही हैं। अब जमाना ओटीटी का है जिसमें अश्लीलता फैलाई जा रही है और लोग उसको आराम से लेते भी हैं। 

पहले आर्ट को पसंद किया जाता था, आज सबसे महंगे को 
वहीं बिग बजट मूवी के लिए उन्होंने कहा कि पहले जहां आर्ट से जुड़ी हुई फिल्में चलती थीं, लोग कला को पसंद करते थे। आज सबसे महंगे को पसंद किया जाता है। जहां लिखा हो शहर में पहली बार और इसे देखने के लिए सब तैयार होंगे। 

ऐतिहासिक साहित्यकारों के नहीं, युवा साहित्यकारों के होर्डिंग लगाओ
वहीं जावेद अख्तर द्वारा बड़े-बड़े साहित्यकारों के होर्डिंग या स्कल्पचर लगाने की बात पर उन्होंने कहा कि हकीकत में ऐसा होना चाहिए लेकिन मैं ऐतिहासिक साहित्यकारों की बात नहीं कर रहा बल्कि मैं आज के दौर के युवा साहित्यकारों को भी प्रमोट करने की बात करता हूं क्योंकि आप जब तक उन्हें स्थान नहीं देंगे वह कैसे अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित कर पाएंग।आज नए दौर को मौका दो।

जब कोई लिखता है तो उस पर नाटक बनाओ
न्होंने कहा कि लोग कहते हैं कि आजकल कोई लिखता नहीं है लेकिन जब कोई लिखता है तो उस पर नाटक करो, अभिनय करो तभी उसे मौका मिलेगा। अब लोगों का ट्रेंड ऐसा है कि राम पर नाटक कर लो, महाभारत पर नाटक कर लो क्योंकि अभी इन्हीं का ट्रेंड है तो अभी हाल ही में मुंबई में धर्म पर आधारित नाटक के टिकट 25000 में खरीदे गए जबकि पहले 500 में भी नहीं खरीदना चाहते थे।

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