प्रमोशन में आरक्षण: MP हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा स्पष्टीकरण, SC से स्थिति साफ हुए बिना नई पॉलिसी क्यों बनाई?

मध्यप्रदेश में प्रमोशन में आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा, सुप्रीम कोर्ट में पुरानी नीति लंबित होने पर नई पॉलिसी क्यों लागू की गई? अगली सुनवाई 25 सितंबर को।

Updated On 2025-09-17 10:33:00 IST

प्रमोशन में आरक्षण: हाईकोर्ट ने MP सरकार से मांगा जवाब, सुप्रीम कोर्ट में लंबित है पुरानी नीति

Promotion Reservation MP: मध्यप्रदेश में प्रमोशन में आरक्षण पर विवाद फिर गरमा गया है। जबलपुर हाईकोर्ट ने मंगलवार (16 सितंबर) को इस मुद्दे पर राज्य सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है। कोर्ट ने कहा, पुरानी प्रमोशन पॉलिसी जब सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, तो नई पॉलिसी क्यों लागू की गई?

हाईकोर्ट ने सरकार की दलीलों को सुनने के बाद मामले की अगली सुनवाई 25 सितंबर 2025 को तय की है। कोर्ट ने तब तक राज्य सरकार से स्पष्ट जवाब मांगा है कि वह सुप्रीम कोर्ट के यथास्थिति आदेश के बीच नई प्रमोशन नीति को कैसे जायज ठहरा रही है।

हाईकोर्ट की मुख्य आपत्तियां

सुप्रीम कोर्ट में पुरानी नीति लंबित, फिर नई क्यों लागू? पहले रद्द किए प्रमोशन पर नई पॉलिसी का क्या होगा? सुप्रीम कोर्ट की यथास्थिति का क्या पालन हुआ? हाईकोर्ट ने सरकार से ये भी पूछा कि पुरानी प्रमोशन पॉलिसी पर जब सुप्रीम कोर्ट से यथास्थिति बनाए रखने के आदेश हैं और इसके तहत हुए प्रमोशन भी रद्द कर दिए गए हैं तो फिर सरकार नई पॉलिसी के तहत प्रमोशन को कैसे डील करेगी।

याचिकाकर्ताओं ने क्या कहा? 

याचिकाकर्ता डॉ. स्वाति तिवारी व अन्य ने आरोप लगाया कि सरकार ने पहले रद्द की गई नीति को ही नए नाम से फिर से लागू कर दिया। वकील अमोल श्रीवास्तव ने कहा कि सरकार अब तक बहस के पहले चरण में ही अटकी हुई है, कोर्ट अब तक SLCS (संविधानिकता) जैसे गंभीर मुद्दों तक पहुंच ही नहीं पाया।

मोहन सरकार का जवाब

मध्य प्रदेश के महाधिवक्ता ने कहा, सरकार सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) के माध्यम से स्पष्टीकरण जारी करेगी। सरकार ने कोर्ट से नई पॉलिसी के तहत प्रमोशन शुरू करने की अनुमति भी मांगी, लेकिन हाईकोर्ट ने फिलहाल राहत देने से मना कर दिया।

क्या है प्रमोशन में आरक्षण विवाद? 

मध्यप्रदेश सरकार की प्रमोशन पॉलिसी को जबलपुर हाईकोर्ट ने साल 2006 में असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया था। सरकार सुप्रीम कोर्ट गई, लेकिन वहां से यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए गए। इस बीच मोहन सरकार प्रमोशन में आरक्षण को लेकर नई पॉलिसी ले आई, जिसे सपाक्स सहित कई अन्य कर्मचारी संगठनों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। 

याचिका में बताया गया कि सरकार पुरानी प्रमोशन पॉलिसी अदालत में विचाराधीन रहते नई पॉलिसी लाई है, जो कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को ओवररूल करने जैसा है। इन्ही याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने नई पॉलिसी के तहत प्रमोशन न करने की ओरल अंडरटेकिंग दी है। इसके चलते नई पॉलिसी लागू नहीं की जा सकी। 

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