Interview: इंजीनियर से बेस्टसेलर लेखक तक - दिव्य प्रकाश दुबे ने क्यों लिया बड़ा फैसला?
दिव्य प्रकाश दुबे ने 11 साल की नौकरी छोड़कर लेखक बनने का बड़ा फैसला लिया। जानिए पिता, पत्नी और पब्लिशर के सपोर्ट से उनकी कहानी और फिल्मी सफर।
इंजीनियरिंग से लेखक बने दिव्य प्रकाश दुबे भोपाल में एक बुक लॉन्चिंग कार्यक्रम में शिरकत की।
मैं खुद को बेहद भाग्यशाली मानता हूं कि मुझे ऐसी जीवनसाथी मिली, जिसने मेरे हर कदम पर साथ दिया, खासकर तब, जब मैंने 11 साल की अपनी स्थापित मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़कर लेखक बनने का फैसला किया। उन्होंने न केवल इसे सहजता से स्वीकार किया, बल्कि मेरा हौसला भी बढ़ाया। साथ ही, मेरे पब्लिशर का भी अपार समर्थन रहा, जिन्होंने कहा, “तुम बस किताब लिखो, मुंबई में तुम्हारे फ्लैट के किराए की चिंता मैं संभाल लूंगा।”
यह प्रेरणादायक कथन है ‘अक्टूबर जंक्शन’ और ‘इब्नेबतूती’ जैसी बेस्टसेलर किताबों के लेखक दिव्य प्रकाश दुबे का। भोपाल के रविंद्र भवन में आयोजित पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में हरिभूमि के साथ बातचीत में उन्होंने अपने जीवन के अनछुए पहलुओं को साझा किया।
पत्नी और पब्लिशर का मजबूत सहारा
दिव्य प्रकाश बताते हैं, "मैं खुद को भाग्यशाली मानता हूं कि पत्नी ने बिना झिझक मेरे फैसले का समर्थन किया। पब्लिशर ने भी मुझे आर्थिक सुरक्षा दी ताकि मैं पूरी तरह लेखन पर फोकस कर सकूं।"
पिता की सलाह - दुनिया की बेस्ट किताबें पढ़ो
जब उन्होंने पिता को अपने लेखक बनने के निर्णय के बारे में बताया, तो पिता ने कहा-
"नौकरी छोड़ो और छह महीने तक दुनिया की बेहतरीन किताबें पढ़ो। उनसे तुम्हें जीवन की गहरी सीख मिलेगी।"
दिव्य के अनुसार, नौकरी व्यक्ति को एक तय ढांचे में बांध देती है, जबकि क्रिएटिव काम सोचने का नजरिया बदल देता है।
छोटे शहरों की कहानियां और अलग नजरिया
दिव्य प्रकाश का लेखन छोटे शहरों की जमीनी कहानियों पर केंद्रित रहता है। उन्होंने कहा, "हम सभी घर से मार्केट जाते हैं, लेकिन एक लड़के का सफर और एक लड़की का सफर अलग अनुभवों से भरा होता है।" वे चाहते हैं कि उनके पात्र और कथानक पाठकों को प्रैक्टिकल और रिलेटेबल महसूस हों।
फिल्मी दुनिया का अनुभव
दिव्य प्रकाश ने निर्देशक मणिरत्नम की महत्वाकांक्षी फिल्म पोन्नियिन सेल्वन भाग 1 व 2 के हिंदी डायलॉग्स लिखे। "मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं मणिरत्नम सर के साथ इतनी बड़ी फिल्म पर काम करूंगा, जिसमें सिनेमा के दिग्गज लोग होंगे।" मुंबई में रहते हुए वे फिल्मी लेखन के साथ-साथ अपने साहित्यिक काम में भी सक्रिय हैं।
-मधुरिमा राजपाल