मध्य प्रदेश: सिविल जज अदिति शर्मा का इस्तीफा, कहा- 'न्याय व्यवस्था ने मुझे निराश किया'

Civil Judge Aditi Kumar Sharma: शहडोल की सिविल जज अदिति शर्मा ने जातीय उत्पीड़न और शिकायतों की अनदेखी का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दिया। जानिए पूरा मामला।

By :  Desk
Updated On 2025-07-30 14:00:00 IST

Civil Judge Aditi Kumar Sharma

Civil Judge Aditi Kumar Sharma: देश के दिल मध्यप्रदेश से बड़ी खबर है। शहडोल की सिविल जज (जूनियर डिवीजन) अदिति कुमार शर्मा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने इस्तीफे में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को संबोधित करते हुए कहा कि मैं अपनी नैतिक शक्ति और भावनात्मक थकावट के साथ न्यायिक सेवा से इस्तीफा दे रही हूं, न कि इसलिए क्योंकि मेरा न्याय में विश्वास खत्म हो गया, बल्कि इसलिए क्योंकि न्याय उस संस्थान के अंदर ही भटक गया, जिसने इसे संरक्षित करने की शपथ ली थी।

उत्पीड़न और जातिगत भेदभाव का आरोप 
यह इस्तीफा तब आया है, जब केंद्र सरकार ने जिला जज राजेश कुमार गुप्ता को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के जज के रूप में नियुक्त किया। शर्मा ने गुप्ता पर उत्पीड़न और जातिगत भेदभाव का आरोप लगाया था। उनके आरोपों के बावजूद, गुप्ता को उच्च न्यायालय में पदोन्नति दी गई, जिसके कुछ ही घंटों बाद शर्मा ने इस्तीफा दे दिया।

मैंने हर वैधानिक रास्ते का सहारा लिया
शर्मा ने अपने इस्तीफे पत्र में लिखा है कि मैंने हर वैधानिक रास्ते का सहारा लिया, यह उम्मीद करते हुए कि अगर न्याय नहीं तो कम से कम मेरी बात सुनी जाएगी। लेकिन जिस व्यक्ति ने मेरे दुखों को बढ़ाया उसे सवालों का सामना नहीं करना पड़ा। बल्कि पुरस्कृत किया गया। सिफारिश की गई और उच्च पद पर नियुक्त किया गया।

मैं जवाबदेही की मांग करती हूं
उन्होंने यह भी कहा कि उनकी शिकायतें गुमनाम नहीं थीं, बल्कि दस्तावेजी सबूतों के साथ थीं, फिर भी उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। शर्मा ने अपने पत्र में न्यायपालिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह वही संस्था है जो पारदर्शिता और समानता की बात करती है, लेकिन अपने ही हॉल में प्राकृतिक न्याय के मूल सिद्धांतों का पालन करने में विफल रही। मैं अब न कोई प्रतिशोध चाहती हूं, न कोई मुआवजा। मैं केवल जवाबदेही की मांग करती हूं।

प्रदर्शन करने पर सेवा समाप्त
अदिति शर्मा को 2023 में पांच अन्य महिला न्यायिक अधिकारियों के साथ "असंतोषजनक प्रदर्शन" के आधार पर सेवा से समाप्त कर दिया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर संज्ञान लिया और 1 अगस्त 2024 को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने चार अधिकारियों को कुछ शर्तों के साथ बहाल किया, लेकिन शर्मा और एक अन्य अधिकारी को इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया।

2024 में किया बहाल 
मार्च 2024 में शर्मा को शहडोल में सिविल जज के रूप में बहाल किया गया था। शर्मा की वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने इस मामले को "न्यायपालिका की बेटियों" के साथ विश्वासघात करार दिया। उन्होंने कहा, "यह पहला मामला नहीं है। जब आप महिलाओं को न्यायपालिका में नहीं रख सकते, तो अधिक महिला जजों की बात करना पाखंड है।

न्यायपालिका में पारदर्शिता की मांग
शर्मा ने अपने पत्र में यह भी उल्लेख किया कि उनकी शिकायतों पर कोई जांच नहीं हुई, न ही उन्हें अपनी बात रखने का मौका दिया गया। उन्होंने राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम से अपील की थी कि "गंभीर अनसुलझे आरोपों वाले व्यक्ति को पदोन्नति के साथ पुरस्कृत नहीं करना चाहिए।

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