Shibu Soren: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का निधन, दिल्ली में 81 साल की उम्र में ली आखिरी सांस

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और JMM संस्थापक शिबू सोरेन का दिल्ली में निधन। जानिए उनके जीवन का संघर्ष, आंदोलन और राजनीतिक सफर। पढ़ें पूरी रिपोर्ट।

Updated On 2025-08-04 11:17:00 IST

दिशोम गुरु शिबू सोरेन का निधन: संघर्ष, आंदोलन और राजनीति की मिसाल

Shibu Soren Passed Away: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक शिबू सोरेन (sibu sorensibu soren) का आज, 4 अगस्त 2025 को दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में निधन हो गया। वे 81 वर्ष के थे। सोरेन लंबे समय से किडनी संबंधी बीमारी से जूझ रहे थे और पिछले एक महीने से अस्पताल में भर्ती थे। उनकी हालत गंभीर होने के कारण उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था।

शिबू सोरेन ने 1972 में झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना की थी। तीन बार वे झारखंड के मुख्यमंत्री रहे। पहली बार 2005 में वह 10 दिनों के लिए सीएम बने। फिर 2008-2009 और 2009-2010 में। उन्होंने अलग झारखंड राज्य के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और आदिवासी अधिकारों के लिए संघर्ष में उनकी अहम भागीदारी थी।

शिबू सोरेन के बेटे और झारखंड के वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया पर शोक व्यक्त करते हुए लिखा-आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सबको छोड़कर चले गए। आज मैं शून्य हो गया हूँ।

शिबू सोरेन के निधन से JMM कार्यकर्ताओं और समर्थकों में शोक की लहर है। पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास सहित कई नेताओं ने उनके निधन पर शोक जताया है। शिबू सोरेन के निधन से झारखंड की राजनीति में एक युग का अंत माना जा रहा है।

इलाज के दौरान हुआ निधन

शिबू सोरेन पिछले कई दिनों से अस्पताल में भर्ती थे। ब्रेन स्ट्रोक के चलते उनके शरीर के बाएं हिस्से में पैरालिसिस हो गया था। दिल्ली में न्यूरोलॉजी, कार्डियोलॉजी और नेफ्रोलॉजी विशेषज्ञों की टीम इलाज कर रही थी, लेकिन सोमवार सुबह निधन हो गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को ही अस्पताल पहुंचकर उनका हाल चाल जाना था।

दिशोम गुरु: आदिवासी चेतना की आवाज़

शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को रामगढ़ (तत्कालीन बिहार) के नेमरा गांव में हुआ। बेहद कम उम्र में उन्होंने अपने पिता को महाजनों के हाथ खो दिया। इससे उनका जीवन चुनौतीपूर्ण हो गया। लिहाजा, पढ़ाई-लिखाई सोरेन ने सूदखोर महाजनों के खिलाफ आंदोलन शुरू किया और आदिवासी समाज को संगठित करना शुरू किया।

धान कटनी आंदोलन से मिली 'दिशोम गुरु' की उपाधि 

शिबू सोरेन ने 1970 में 'धान कटनी आंदोलन' शुरू किया। महाजनों के खिलाफ यह एक निर्णायक लड़ाई थी। बाइक से गांव-गांव जाकर उन्होंने आदिवासियों को जागरूक और संगठित किया। महाजनों के गुंडों से बचने के लिए एक बार तो वे बाइक समेत उफनती नदी में कूद गए थे। इसी घटना के बाद शिबू सोरेन को 'दिशोम गुरु' कहा जाने लगा। इसका अर्थ है ‘देश का गुरु’।

शिबू सोरेन का राजनीतिक सफर 

शिबू सोरेन ने झारखंड के अलग राज्य के गठन में अहम भूमिका निभाई। झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री और एक बार केंद्रीय मंत्री भी बने, लेकिन ज्यादा दिनों तक सत्ता में टिक नहीं सके। उनके जीवन का ज्यादातर समय आदिवासी समुदाय को जागरूक करने में बीता। 

  • 2 मार्च 2005 – 12 मार्च 2005: पहली बार CM बने, लेकिन बहुमत सिद्ध नहीं कर पाए।
  • 27 अगस्त 2008 – 18 जनवरी 2009: दूसरी बार पद संभाला, लेकिन उपचुनाव में हार के कारण इस्तीफा देना पड़ा।
  • 30 दिसंबर 2009 – 31 मई 2010: तीसरी बार CM बने, लेकिन 5 माह बाद ही इस्तीफा देना पड़ा।
  • केंद्रीय मंत्री: यूपीए-1 सरकार में वे कोयला मंत्री रहे, लेकिन चिरूडीह हत्याकांड में नाम आने के कारण इस्तीफा देना पड़ा।

PM मोदी ने श्रद्धांजलि, हेमंत सोरेन से की बात 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर श्रद्धांजलि दी। साथ ही झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से बात कर संवेदना व्यक्त की। X पर लिखा- शिबू सोरेन जी एक ज़मीनी नेता थे। उन्होंने जनता के प्रति अटूट समर्पण के साथ सार्वजनिक जीवन में तरक्की की। आदिवासी समुदायों, गरीबों और वंचितों को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध थे। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं।

लालू यादव ने देश की सियासत को बताई बड़ी क्षति 

RJD नेता लालू प्रसाद यादव ने भी शिबू सोरेन के निधन पर शोक जताया। कहा, वह दलितों और आदिवासियों के महान नेता थे और मेरे उनसे अच्छे संबंध थे। मुझे दुख है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे। यह राजनीति के लिए बहुत बड़ी क्षति है।

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