Haryana weather update: सिरसा में बारिश व ओले, हरियाणा में 7 अक्टूबर तक बरसेंगे बादल, जानें क्यों

हरियाणा में मानसून की वापसी के बावजूद एक बार फिर बादल बरस रहे हैं। सिरसा में देर शाम तेज बारिश व ओलावृष्टि हुई और चार जिलों में बादल छाए हुए हैं। जानें क्यों हो रहा है ऐसा।

Updated On 2025-10-05 20:57:00 IST

सिरसा में अचानक हुई बरसात से तापमान में गिरावट हुई। 

Haryana weather update : हरियाणा सहित पूरे उत्तर भारत में एक बार फिर मौसम ने करवट ले ली है। रविवार से पश्चिमी विक्षोभ ने उत्तर भारत के कई हिस्सों में दस्तक दे दी है, जिसके प्रभाव से हरियाणा में 7 अक्टूबर तक हल्की से मध्यम बारिश की संभावना जताई गई है। वहीं, मौसम विभाग के अनुसार 8 अक्टूबर से हवाओं की दिशा उत्तर-पश्चिमी हो जाएगी, जिससे प्रदेश में तापमान में गिरावट दर्ज की जाएगी और सर्दी के शुरुआती संकेत महसूस होने लगेंगे। वहीं, दोपहर बाद सिरसा जिले के रानियां क्षेत्र में ठंडी हवाओं के साथ तेज बारिश व ओलावृष्टि हुई। हिसार, भिवानी, जींद और करनाल में भी आसमान पर काले बादल छाए रहे। कई जगहों पर आंधी के झोंके और बूंदाबांदी से मौसम सुहावना हो गया।

आज 10 बजे तक इन जिलों में बारिश

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कृषि मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, रविवार रात 10 बजे तक सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, जींद व कैथल जिलों में तेज हवाओं व गरजचमक के साथ कहीं-कहीं हल्की से मध्यम बारिश संभावित है। इस दौरान कुछ एक स्थानों पर तेज बारिश भी हो सकती है।

8 अक्टूबर से बदल जाएगी हवा की दिशा

मौसम विभाग के अनुसार, 8 अक्टूबर से उत्तर-पश्चिम दिशा से ठंडी हवाएं मैदानों की ओर चलेंगी। इससे दिन के तापमान में गिरावट आने की संभावना है। फिलहाल प्रदेश में अधिकतम तापमान 34 से 36 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 21 से 23 डिग्री सेल्सियस के बीच बना हुआ है। लेकिन पश्चिमी विक्षोभ के गुजरने के बाद अधिकतम तापमान 30 डिग्री के आसपास पहुंच सकता है। आईएमडी ने बताया कि बादलों की मौजूदगी से दिन का तापमान थोड़ा घटेगा, जबकि रात में नमी बढ़ने से हल्की गर्मी महसूस हो सकती है। बारिश के बाद नमी बढ़ने से सुबह और रात के समय ठंडक में इजाफा होगा और मौसम सुखद बनेगा।

एचएयू ने बताए मौसम बदलने के तीन कारण

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय HAU हिसार के कृषि मौसम विज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ. मदन खीचड़ के अनुसार, राज्य में मौसम में यह बदलाव तीन प्रमुख कारणों से हो रहा है। पश्चिमी विक्षोभ का आंशिक प्रभाव, बंगाल की खाड़ी में बने कम दबाव के क्षेत्र का असर और राजस्थान के ऊपर विकसित साइक्लोनिक सर्कुलेशन। इन तीनों मौसमी तंत्रों के संयुक्त प्रभाव से नमी युक्त हवाएं उत्तर-पश्चिम भारत की ओर बढ़ रही हैं। इनके असर से 7 अक्टूबर तक हरियाणा के अधिकांश हिस्सों में गरज-चमक के साथ हल्की से मध्यम वर्षा होने की संभावना है।

24 सितंबर को मानसून ने कहा अलविदा

मानसून 24 जून को हरियाणा में सक्रिय हुआ था और 29 जून तक पूरे प्रदेश में फैल गया था। इस साल मानसून की वापसी 24 सितंबर को दर्ज की गई। खास बात यह रही कि पूरे राज्य में इस बार कहीं भी बारिश की भारी कमी नहीं रही। छह जिलों में बहुत अधिक, नौ जिलों में अधिक और सात जिलों में सामान्य वर्षा हुई। फतेहाबाद जिले में सर्वाधिक 118% अधिक वर्षा यानी 572.9 मिमी दर्ज की गई, जबकि यमुनानगर में सबसे अधिक 1116.9 मिमी बारिश हुई। हरियाणा में अब तक सबसे ज्यादा मानसूनी बारिश वर्ष 1988 में दर्ज की गई थी, जब पूरे राज्य में 1108.8 मिमी वर्षा हुई थी। वहीं, सबसे कम बारिश वर्ष 1918 में हुई थी, जब मात्र 196.2 मिमी वर्षा दर्ज की गई थी।

इस बार 33 प्रतिशत अधिक रही बरसात

मौसम विज्ञान केंद्र चंडीगढ़ की रिपोर्ट के अनुसार, हरियाणा में इस बार मानसून सीजन 1 जून से 30 सितंबर के दौरान औसत से 33% अधिक वर्षा दर्ज की गई है। राज्य में कुल 568.4 मिमी बारिश हुई, जबकि सामान्य औसत 426 मिमी रहती है।

फसल कटाई में सतर्कता जरूरी

विशेषज्ञों का कहना है कि यह बारिश किसानों के लिए राहत लेकर आएगी क्योंकि इससे रबी सीजन के लिए मिट्टी में नमी बढ़ेगी। हालांकि, जो किसान धान की कटाई कर रहे हैं, उन्हें कुछ दिनों तक सावधानी बरतनी चाहिए ताकि तैयार फसल पर बारिश का असर न पड़े। हरियाणा कृषि विभाग ने किसानों को सलाह दी है कि वे खुले में रखी कटी फसलों को ढककर रखें और मौसम साफ होने के बाद ही थ्रेशिंग करें।

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