125 साल पुराना वामन द्वादशी मेला: अंबाला में मंगलवार से लगेगा उत्तर भारत का सबसे बड़ा भगवान वामन का मेला

भगवान विष्णु के अवतार वामन देव का उत्तर भारत का सबसे बड़ा मेला अंबाला में मंगलवार से शुरू होगा। यह परंपरा 125 साल से चली आ रही है। हजारों भक्त कई राज्यों से आते हैं।

Updated On 2025-09-01 23:18:00 IST

अंबाला में मंगलवार से शुरू होगा तीन दिवसीय वामन द्वादशी मेला। 

Vaman Dwadashi Mela 2025 : हरियाणा के अंबाला में भाद्रपद माह की द्वादशी तिथि पर भगवान वामन का उत्तर भारत का सबसे बड़ा वामन द्वादशी मेला मंगलवार से शुरू हो रहा है। कई राज्यों से हजारों भक्त यहां पर जुटेंगे। तीन दिन तक चलने वाले इस मेले में धार्मिक अनुष्ठानों के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं। सनातन धर्म सभा द्वारा आयोजित इस मेले का इतिहास करीब 125 वर्षों से अधिक पुराना है।

भगवान वामन अवतार से जुड़ा है मेला

पौराणिक कथा के अनुसार, दैत्य राजा बलि ने भगवान नारायण के अवतार वामन देव को तीन पग भूमि का दान दिया। भगवान वामन के दो पगों में जब पृथ्वी और आकाश समा गए तो तीसरा पग रखने के लिए स्थान न बचा। इस पर बलि ने स्वयं अपना सिर अर्पित कर दिया। दानशीलता से प्रसन्न होकर भगवान ने उन्हें पाताल लोक का स्वामी बनाया। इसी घटना की स्मृति में वामन द्वादशी पर्व मनाया जाता है।

अलग-अलग मंदिरों से निकलते हैं 5 हिंडोले

अंबाला का यह मेला उत्तर भारत का सबसे बड़ा वामन द्वादशी मेला माना जाता है। यहां से ठाकुर जी के पांच हिंडोले अलग-अलग मंदिरों से शोभायात्रा के रूप में नौरंगराय तालाब से होते हुए पुरानी अनाज मंडी में पहुंचते हैं। तीन दिन तक हिंडोले वहीं रुकते हैं और तीसरे दिन विशेष नौका-विहार के बाद अपने-अपने मंदिरों में लौटते हैं।

आज सीएम नायब सैनी करेंगे शिरकत

अंबाला में मंगलवार को हवन के साथ मेले की शुरुआत होगी। शोभायात्रा में सजे-धजे हिंडोले, बैंड-बाजे और झांकियां आकर्षण का केंद्र रहेंगी। देशभर से आए कलाकार धार्मिक भजनों की प्रस्तुति देंगे। शाम को मुख्यमंत्री नायब सैनी बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करेंगे, जबकि पंजाबी गायक हरभजन मान अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। देश भर से बैंड विशेष तौर पर आएंगे। वहीं, आगामी दिनों में भजन गायिका उमा लहरी और दिल्ली से आई टीम सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करेगी।

देश में यहां पर लगते हैं वामन द्वादशी मेले

जगाधरी : हरियाणा के जगाधरी में 114 वर्षों से यहां वामन द्वादशी मेले की परंपरा चली आ रही है। बारह मंदिरों से हिंडोले चौक बाजार में पहुंचते हैं। अंत में कुंड में हिंडोलों का जल-विहार कराया जाता है।

नाहन : हिमाचल के सिरमौर जिले में करीब 300 साल से यह मेला लगता है। अलग-अलग मंदिरों से नौ पालकियां शहरभर से निकलती हैं और वामन भगवान की पालकी का रात में नौका-विहार करवाया जाता है।

पटियाला (पंजाब) : पटियाला की मिर्च मंडी स्थित वामन मंदिर से हिंडोला शोभायात्रा निकलती है। महाराजा के समय में राजा स्वयं पालकी उठाते थे। शाम को तालाब के चारों ओर परिक्रमा कराई जाती है।

नाभा (पंजाब) : नाभा में 72 संस्थाओं की समिति इस मेले का आयोजन करती है। यहां 1907 से वामन भगवान का मेला चला आ रहा है। यहां हिंडोले के साथ झांकी प्रतियोगिता, आतिशबाजियां और टिपरी प्रमुख आकर्षण रहती हैं।

केरल : केरल के त्रिक्काकरा मंदिर में भगवान वामन की विशेष पूजा होती है और इसी दिन दस दिवसीय ओणम उत्सव की शुरुआत होती है। मान्यता है कि इस दौरान दानवीर राजा बलि पाताल लोक से धरती पर आते हैं और प्रजा उनका स्वागत करती है। मेले की परंपरा हर जगह लगभग एक जैसी हैं। 

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