रोहतक की 18 साल की लब्धि बनेंगी जैन साध्वी: केसर रस्म में मां ने खुद तैयार किया, 5 जून को दीक्षा महोत्सव
लब्धि की बड़ी बहन 2010 में साध्वी बन चुकी हैं। उनकी केसर रस्म सम्पन्न हो चुकी है, जिसमें मां सेंजल ने खुद उन्हें तैयार किया। बचपन से ही साध्वी बनने की इच्छा रखने वाली लब्धि अब सांसारिक जीवन त्यागकर आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर होंगी।
रोहतक में समारोह के दौरान केसर रस्म के लिए लब्धि को उनकी मां सेंजल ने तैयार किया।
हरियाणा के रोहतक शहर में जैन समाज के लिए एक ऐतिहासिक क्षण सामने आया है, 18 वर्षीय लब्धि जैन जल्द ही जैन साध्वी बनने जा रही हैं। बुधवार को जनता कॉलोनी स्थित उनके आवास पर केसर रस्म का आयोजन हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में जैन धर्म के अनुयायी शामिल हुए।
मां ने तैयार किया, धर्म माता-पिता ने निभाई रस्म
लब्धि जैन के साध्वी बनने की रस्म बेहद भावुक और आध्यात्मिक वातावरण में पूरी की गई। उनकी मां सेंजल जैन ने खुद बेटी को केसर रस्म के लिए तैयार किया और कहा कि बेटी धर्म के मार्ग पर चल रही है, ये हमारे लिए गर्व की बात है। वह अब हमारी नहीं, भगवान का रूप होगी। इस रस्म में लब्धि के धर्म माता-पिता विवेक और अंकिता जैन बने। धर्म माता अंकिता ने बताया कि इस मौके पर 200 ग्राम कश्मीरी केसर में गुलाब मिलाकर लेप तैयार किया गया और पूरे घर में केसर का छिड़काव किया गया।
5 जून को दीक्षा महोत्सव, मिलेंगे डॉ. शिव मुनि के आशीर्वाद
28 मई को हुई केसर रस्म के बाद 4 जून को मेहंदी रस्म व सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। इसके पश्चात 5 जून को दीक्षा महोत्सव, तिलक रस्म, भव्य शोभा यात्रा और कलश यात्रा का आयोजन किया जाएगा। इस अवसर पर आचार्य डॉ. शिव मुनि स्वयं लब्धि को दीक्षा देंगे। दीक्षा के साथ ही लब्धि संसार के मोह-माया से मुक्त होकर आध्यात्मिक जीवन की ओर कदम बढ़ाएंगी।
बचपन से थी साध्वी बनने की प्रेरणा
लब्धि की मां ने बताया कि उनकी बेटी बचपन से ही साध्वी बनने की इच्छा रखती थी। वह अक्सर अपनी बड़ी बहन ज्योतिष मार्तण्ड साध्वी डॉ. महाप्रज्ञ से प्रेरणा लेती थी, जो 2010 में ही साध्वी बन चुकी हैं। लब्धि का यह सपना अब साकार हो रहा है। उनकी मां ने कहा कि बेटी इस क्षण का बचपन से इंतजार कर रही थी।
भरा-पूरा परिवार, अब अध्यात्म की राह पर
लब्धि मूल रूप से सोनीपत की रहने वाली हैं। उनके परिवार में दादा-दादी, ताऊ-ताई, कई भाई-भाभी, बहनें, नाना-नानी समेत एक बड़ा संयुक्त परिवार है। परिवार की भावनाएं इस विशेष क्षण में मिली-जुली हैं — जहां एक ओर बेटी को भगवान का रूप मानकर गर्व महसूस हो रहा है, वहीं दूसरी ओर भावुकता भी है कि अब वह सांसारिक रिश्तों से ऊपर उठ चुकी हैं।
साध्वी बनने की प्रक्रिया में केसर रस्म का महत्व
केसर रस्म जैन साध्वी बनने की पहली और विशेष आध्यात्मिक प्रक्रिया मानी जाती है। जीवन में यह रस्म केवल एक बार होती है और इसका प्रतीकात्मक महत्व अत्यंत उच्च है। लब्धि जैन की यह यात्रा अब न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे जैन समाज के लिए एक प्रेरणा बन गई है, 5 जून को जब वह दीक्षा लेंगी, तो वह एक साध्वी के रूप में अपनी नई पहचान के साथ आध्यात्मिक जीवन की ओर अग्रसर होंगी।