पानीपत की सिम्मी ने रचा इतिहास: जॉर्डन में एशियाई सीनियर जीजूत्सु में जीता कांस्य पदक
पठानकोट की सिम्मी दो साल से पानीपत में कड़ी मेहनत कर रही थीं। उन्होंने 70 किलोग्राम भार वर्ग में यह उपलब्धि हासिल की। भारतीय टीम ने कुल 2 गोल्ड, 7 सिल्वर और 10 ब्रॉन्ज मेडल जीते।
हरियाणा के पानीपत शहर के मॉडल टाउन में रहने वाली सीमा कुमार उर्फ सिम्मी शहरिया ने खेल के क्षेत्र में एक नया इतिहास रच दिया है। सिम्मी ने अम्मान, जॉर्डन में आयोजित 9वीं एशियाई सीनियर जीजूत्सु चैंपियनशिप में भारतीय टीम के लिए कांस्य पदक अर्जित किया है। यह जीत सिम्मी के लिए एक बड़ी उपलब्धि है खासकर उन आर्थिक चुनौतियों को देखते हुए जिनका सामना उन्हें पहले करना पड़ा था।
बेहतरीन प्रदर्शन से हुआ चयन
सिम्मी शहरिया के फिटनेस कोच प्रवीण नांदल ने बताया कि इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता के लिए सिम्मी का चयन 27 अप्रैल को हल्द्वानी में हुए ट्रायल में उनके बेहतरीन प्रदर्शन और राष्ट्रीय रैंकिंग के आधार पर किया गया था। नांदल ने यह भी बताया कि सिम्मी पिछले दो साल से मॉडल टाउन में अपने कोच संजीव तोमर की देखरेख में कड़ी मेहनत और अभ्यास कर रही थीं। उनकी यह अथक मेहनत अब रंग लाई है।
पठानकोट से पानीपत आकर बनाया मुकाम
मूल रूप से पठानकोट की निवासी सिम्मी शहरिया ने अम्मान, जॉर्डन में आयोजित एशियन जीजूत्सु सीनियर चैंपियनशिप के 70 किलोग्राम भार वर्ग में कांस्य पदक जीतकर अपनी क्षमता का लोहा मनवाया है। इस प्रतियोगिता में सिम्मी के साथ 45 सदस्यीय भारतीय दल ने भी प्रतिभागिता की। भारतीय टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 2 स्वर्ण, 7 रजत और 10 कांस्य पदकों पर कब्जा जमाया, जिसके दम पर एशिया में 9वीं रैंकिंग हासिल की। सिम्मी ने इस प्रतियोगिता में अपना पहला मैच थाईलैंड के खिलाड़ी से, दूसरा फिलीपींस से और तीसरा चीनी ताइपे से खेला। इन मैचों में बेहतरीन प्रदर्शन के बाद सिम्मी को एशिया महाद्वीप में तीसरी रैंकिंग प्राप्त हुई।
अगले एशियन गेम्स के लिए बढ़े कदम, आर्थिक चुनौतियां बनी बाधा
इस शानदार जीत के साथ ही सिम्मी ने अगले वर्ष जापान में आयोजित होने वाले एशियन गेम्स के लिए भी अपने कदम बढ़ा दिए हैं। उनके कोच संजीव तोमर ने बताया कि सिम्मी इससे पहले भी कई बार अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए चयनित हो चुकी थीं, लेकिन आर्थिक कारणों के चलते वह उनमें हिस्सा नहीं ले पाई थीं। यह जीत न केवल सिम्मी के लिए बल्कि उनके परिवार और पानीपत शहर के लिए भी गर्व का क्षण है। उनकी सफलता उन सभी युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा है जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देखते हैं।