हरियाणा की महिलाओं का UP में अवैध गर्भपात: स्वास्थ्य विभाग ने दर्ज किया केस, 20 हजार महिलाओं की हो रही मॉनिटरिंग
लिंगानुपात सुधारने की रणनीति के तहत हरियाणा सरकार ने राज्य में 20 हजार से अधिक गर्भवती महिलाओं की पहचान की है, जिनके पास लड़का संतान नहीं है।
हरियाणा की महिलाएं UP में करवा रहीं हैं अवैध गर्भपात।
हरियाणा में अवैध गर्भपात (Illegal Abortion) और घटते लिंगानुपात (Sex Ratio) के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई अब राज्य की सीमाओं को पार कर चुकी है। विभाग ने 'रिवर्स ट्रैकिंग' तकनीक का उपयोग कर दो महिलाओं के गर्भपात मामलों का खुलासा किया, जिनका उत्तर प्रदेश के केंद्रों में चिकित्सकीय गर्भपात कराया गया था। इस खुलासे के बाद, हरियाणा के करनाल में दो अलग-अलग FIR दर्ज की गई हैं और पुलिस दोनों मामलों की गहन जांच कर रही है।
सहारनपुर और शामली गई थीं दोनों महिलाएं
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि यह कार्रवाई अवैध गर्भपात केंद्रों की पहचान करने के लिए चल रहे व्यापक निगरानी अभियान का हिस्सा है। डेली मॉनिटरिंग के दौरान स्वास्थ्य टीमों ने हाल ही में गर्भपात कराने वाली दो महिलाओं की पहचान की। पूछताछ करने पर महिलाओं और उनके परिवारों ने खुलासा किया कि पुंडरक गांव की एक महिला गर्भपात के लिए उत्तर प्रदेश के सहारनपुर गई थी, जबकि दूसरी महिला हरियाणा के ही दूसरे गांव से शामली पहुंची थी। अधिकारियों के अनुसार इस रिवर्स ट्रैकिंग तकनीक ने गर्भधारण का चिकित्सकीय समापन अधिनियम (MTP Act) के उल्लंघन को रोकने में एक प्रभावी उपकरण के रूप में काम किया है।
इस वर्ष अब तक 8 FIR दर्ज
अवैध लिंग निर्धारण और गर्भपात के खिलाफ जारी इस सख्त अभियान के तहत स्वास्थ्य विभाग ने इस साल अब तक कुल आठ एफआईआर (FIR) दर्ज की हैं। इनमें से सात FIR MTP एक्ट के तहत और एक FIR PC-PNDT एक्ट के तहत दर्ज की गई है। विभाग विशेष रूप से उन मामलों पर कड़ी निगरानी रख रहा है, जहां लिंग निर्धारण या अवैध गर्भपात के उद्देश्य से महिलाओं को हरियाणा से बाहर के केंद्रों में ले जाया जाता है। यह कार्रवाई यह दर्शाती है कि विभाग अब अंतर्राज्यीय सिंडिकेट्स पर नकेल कसने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
20 हजार महिलाओं पर विशेष निगरानी
अवैध गर्भपात केंद्रों पर विभाग की सख्ती का एक मुख्य कारण हरियाणा का घटता लिंगानुपात है। पिछले साल यानी 2024 में, यह अनुपात 907 था जो अब और गिरकर 905 रह गया है। इसका मतलब है कि 1000 लड़कों के जन्म के पीछे केवल 905 लड़कियां ही जन्म ले रही हैं।
लिंगानुपात में सुधार लाने के लिए ही प्रदेश सरकार ने गर्भवती महिलाओं का पंजीकरण (Registration) अनिवार्य किया था। इस रणनीति के तहत, विभाग ने राज्य में 20 हजार से अधिक ऐसी गर्भवती महिलाओं की पहचान की है, जिनके पास संतान के तौर पर कोई लड़का नहीं है। विभाग अब इन सभी महिलाओं पर विशेष नजर रख रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उन्हें लिंग चयन या अवैध गर्भपात के लिए मजबूर न किया जाए।
आशा वर्कर और आंगनबाड़ी वर्कर की बड़ी भूमिका
इस व्यापक निगरानी रणनीति को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए जमीनी स्तर पर आशा वर्कर और आंगनबाड़ी वर्कर की ड्यूटी लगाई गई है। इनका काम उन गर्भवती महिलाओं की पहचान करना है, जिनके पास पहले से कोई लड़का संतान नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों में करीब 18,000 आशा वर्करों ने 1.80 करोड़ की आबादी को कवर किया। जबकि शहरी नोटिफाइड स्लम क्षेत्रों में, 2905 आशा वर्करों ने 72.62 लाख आबादी को कवर किया।
इस तरह आशा और आंगनबाड़ी वर्करों ने मिलकर हरियाणा की लगभग 2.53 करोड़ आबादी को कवर किया है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि घटते लिंगानुपात को सुधारने के प्रयास सफल हों और बेटियों का जन्म सुरक्षित हो। रिवर्स ट्रैकिंग और जमीनी निगरानी की यह दोहरी रणनीति लिंगानुपात सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।