विकास शुल्क का दायरा बढ़ा: हरियाणा में पहली बार कृषि क्षेत्रों पर भी डेवलपमेंट चार्ज लगाने की तैयारी

रियल एस्टेट डेवलपर्स ने इस कदम पर चिंता जताई है, क्योंकि EDC दरों में सालाना 10% की बढ़ोतरी पहले ही तय हो चुकी है। उनका मानना है कि इस विस्तार से प्रॉपर्टी की कीमतें और बढ़ जाएंगी और नए प्रोजेक्ट्स शुरू करना और भी मुश्किल हो जाएगा।

Updated On 2025-09-27 14:55:00 IST

हरियाणा में कृषि क्षेत्रों पर भी डेवलपमेंट चार्ज लगाने की तैयारी। 

हरियाणा सरकार शहरी विकास की लागत जुटाने के लिए एक बड़ा नीतिगत बदलाव करने जा रही है। शहरी स्थानीय निकाय विभाग (ULB) ने कृषि क्षेत्र (Agricultural Land) में भी एक्सटर्नल डेवलपमेंट चार्ज (EDC) लगाने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री को भेज दिया है। इस नीति के लागू होते ही शहरों के आसपास कृषि भूमि पर कॉमर्शियल गतिविधियां जैसे कि स्कूल, अस्पताल या पेट्रोल पंप बनाना महंगा हो जाएगा।

प्रस्ताव कैबिनेट मीटिंग में अंतिम मंजूरी के लिए रखा जाएगा

अभी तक एक्सटर्नल डेवलपमेंट चार्ज (EDC) केवल नगर निगमों, परिषदों और पालिकाओं की सीमा में आने वाली शहरी या अधिसूचित भूमि पर ही वसूला जाता था। कृषि क्षेत्रों में कॉमर्शियल निर्माण के लिए बिल्डरों या डेवलपर्स को केवल चेंज ऑफ लैंड यूज (CLU) का शुल्क देना होता था। शहरी स्थानीय निकाय विभाग (ULB) द्वारा तैयार किए गए नए प्रस्ताव के तहत, अब टाउन कंट्री प्लानिंग (TCP) के तहत नोटिफाइड एरिया के अंतर्गत आने वाले कृषि क्षेत्र में किसी भी कॉमर्शियल गतिविधि के लिए CLU शुल्क के साथ-साथ EDC भी देना अनिवार्य हो जाएगा।

यह प्रस्ताव अब कैबिनेट मीटिंग में अंतिम मंजूरी के लिए रखा जाएगा। इस नीति का मुख्य उद्देश्य शहरी बुनियादी ढांचे (इंफ्रास्ट्रक्चर) के विकास के लिए अतिरिक्त राजस्व जुटाना है, लेकिन इसका सीधा असर रियल एस्टेट की लागत पर पड़ना तय है।

क्या है एक्सटर्नल डेवलपमेंट चार्ज

EDC यानी एक्सटर्नल डेवलपमेंट चार्ज, वह शुल्क है जो बिल्डर या डेवलपर्स राज्य सरकार को बाहरी विकास (जैसे सड़कें, पानी, सीवर लाइनें, ड्रेनेज, बिजली की सुविधा) के लिए भुगतान करते हैं। बिल्डर बाद में यह फीस प्रति वर्ग फुट के हिसाब से ग्राहकों से वसूलते हैं।

ऐसे होती है EDC की गणना

EDC की गणना कई कारकों पर निर्भर करती है। बिल्डर पहले पूरे इलाके के लिए एक निश्चित दर तय करते हैं। फिर, फ्लोर एरिया रेशियो (FAR) जैसे फैक्टर का उपयोग करके इसे ग्राहक से वसूला जाता है। उदाहरण के लिए यदि किसी प्लॉट का साइज 1,000 वर्ग फुट है और FAR (फ्लोर एरिया रेशियो) 3 है, तो निर्माण क्षेत्र 3,000 वर्ग फुट हो सकता है। EDC की दर को इस 3,000 वर्ग फुट से गुणा करके कुल शुल्क निकाला जाता है, जिसे ग्राहक को चुकाना पड़ता है।

सालाना 10% की बढ़ोतरी

हरियाणा में EDC की दरें प्रोजेक्ट के प्रकार और स्थान के आधार पर अलग-अलग होती हैं। दिसंबर 2024 में हरियाणा सरकार ने EDC दरों में 20% की वृद्धि को पहले ही मंजूरी दे दी थी, और उसके बाद हर साल 10% की वृद्धि तय कर दी गई है। इस फैसले से पड़ने वाले प्रभाव।

• बढ़ेंगी प्रॉपर्टी की कीमतें: नेशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (NREDC) के अध्यक्ष प्रवीन जैन के अनुसार, EDC में सालाना वृद्धि से रियल एस्टेट बाजार पर दबाव बढ़ेगा और प्रॉपर्टी के रेट्स में इजाफा होगा।

• डेवलपर्स की चिंता: डेवलपर्स ने चिंता जताई है कि गुरुग्राम में कीमतें पहले से ही काफी ऊंची हैं, और EDC में लगातार बढ़ोतरी से नए प्रोजेक्ट्स के लिए लाइसेंस लेना लगभग असंभव हो जाएगा।

• बुनियादी ढांचे का सवाल: कई डेवलपर्स का यह भी कहना है कि EDC के माध्यम से भारी पैसा इकट्ठा किया जा चुका है, लेकिन इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार का वादा अभी तक पूरा नहीं हुआ है।

EDC में यह नई बढ़ोतरी, खासकर कृषि भूमि पर इसका विस्तार, यह संकेत देता है कि हरियाणा में अब विकास और निर्माण की लागत पहले से कहीं अधिक हो जाएगी, जिसका अंतिम बोझ उपभोक्ता पर पड़ेगा। 

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