सीएम नायब सैनी का आदेश: हरियाणा के SP-DC हर महीने एक रात गांव में बिताएंगे, जानिये वजह

मुख्यमंत्री नायब सैनी ने गांव के लोगों की समस्याओं के निपटारे के लिए डीसी और एसपी को हर सप्ताह समन्वय बैठक बुलाने के लिए आदेश जारी कर दिए हैं। इसके साथ ही उन्हें हर महीने एक रात गांव में बिताना होगा।

Updated On 2025-01-04 14:57:00 IST
हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी।

हरियाणा सरकार राज्य में ग्रामीण क्षेत्र की समस्याओं और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सख्ती दिखाई है। नायब सिंह सैनी ने सभी जिला उपायुक्तों (डीसी) और पुलिस अधीक्षकों (एसपी) को गांवों की समस्याओं के समाधान के लिए साप्ताहिक कोआर्डिनेशन मीटिंग बुलाने का आदेश जारी किया है। इसके साथ ही निर्देश दिया गया है कि उन्हें हर महीने एक दिन पूरी रात के लिए गांव में ठहरना होगा। इस दौरान अधिकारी गांव के लोगों से बातचीत कर उनकी समस्याएं सुनकर तत्काल उनका समाधान करेंगे।

हर महीने देनी होगी रिपोर्ट

सरकार की ओर से दिए गए निर्देश में कहा गया है कि उच्च पदस्थ अधिकारियों को गांव में ठहरने के साथ वहां के विकास की रूपरेखा भी तैयार करनी होगी। साथ ही इसकी रिपोर्ट हर महीने मुख्य सचिव कार्यालय को भेजी जाएगी। इसके लिए किसी भी तरह की देरी या लापरवाही न बरतने के लिए सख्त निर्देश दिए गए हैं।

10 जनवरी के आईजी-एसपी की मीटिंग

इस आदेश में किसी भी देरी को टालने के लिए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इस महीने 10 जनवरी को रेंज आईजी और जिला पुलिस अधीक्षकों की मीटिंग भी बुलाई है। मीटिंग में इनके अलावा डीजीपी शत्रुजीत कपूर, गृह सचिव सुमिता मिश्रा, एडीजीपी शामिल होंगे। इस बैठक में प्रदेश की कानून व्यवस्था सहित कई विशेष मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।

प्रदेश में तेजी से बढ़ रहे अपराध

हरियाणा में कानून व्यवस्था एक गंभीर विषय बन गया है। प्रदेश में हत्या, रंगदारी, लूट और महिलाओं से जुड़े अपराध होते रहते हैं। जिसकी वजह से राज्य सरकार के लिए यह एक चिंता का विषय है। आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में हर रोज रंगदारी और ब्लैकमेलिंग के लिए धमकी भरे कॉल आते हैं।

यहां तक राजनीतिक नेताओं को भी धमकियां गैंगस्टरों के द्वारा धमकियां दी जाती हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, साल 2022 में हरियाणा में कुल 1,020 हत्याएं हुईं। 2022 में महिलाओं के खिलाफ 16,743 अपराध दर्ज किए गए हैं। इनमें से लगभग 61 प्रतिशत पीड़ित उन लोगों में से हैं, जो सालाना 1 लाख रुपये से कम कमा पाते थे। 

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