महम की बावड़ी: शाहजहां ने ताजमहल ही नहीं, हरियाणा में भी बनवाई थी ये खूबसूरत जगह, चोर रखता था यहां अपना खजाना

Mahan Beautiful Bhawari: रोहतक में पानी की कमी को दूर करने के लिए शाहजहां ने यहां पर एक बहुत ही खूबसूरत बावड़ी बनाई थी। जिसे देखने के लिए आज भी दूर-दूर से लोग यहां आते हैं।

Updated On 2024-06-20 11:41:00 IST
महम की बावड़ी।

Mahan Beautiful Bhawari: हरियाणा के रोहतक में आज ही नहीं बल्कि पुराने समय से ही पानी की कमी रही है। इसी पानी की कमी को दूर करने के लिए उस समय में राजाओं द्वारा बावड़ियां बनाई जाती थी, ताकी जरूरत के अनुसार पानी संरक्षित किया जा सके। पहले के समय में यह चलन राजस्थान में अधिक था, लेकिन हरियाणा जैसा राज्य भी इसमें पीछे नहीं रहा।

जब हरियाणा में मुगलों का समय था, उस समय इसी तरह के कई बावरियों का निर्माण किया गया था। ऐसी ही एक बावड़ियों का निर्माण किया महम में भी किया गया, जो आज भी देखने में बेहद बहुत खूबसूरत हैं। जिसकी खूबसूरती देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं।

फारसी में लिखा है शिलालेख 

इस बावड़ी में एक कुआं भी है, जिस पर फारसी में एक शिलालेख लगा हुआ है। जिसका मतलब होता है स्वर्ग का झड़ना। साल 1658-59 में शाहजहां के चौकीदार सैदु कलाल ने इसका निर्माण कराया था। यह वही समय था, जब मुगल बादशाह शाहजहां के उत्तराधिकारी के तौर पर औरंगजेब ने गद्दी संभाली थी और अपने भाइयों की हत्या कर अपने पिता को भी कैद कर लिया था। सदियों पहले इस बावड़ी को पानी के स्रोत के लिए बनाया गया था।

मशहूर चोर यहां पर रखता था अपना धन

कहा जाता है कि रॉबिन हुड की तर्ज पर इलाके का मशहूर ठग ज्ञानी चोर रात को अमीरों को लूटता था और दिन के समय लूटे गए, उस पैसे से गरीब लोगों की मदद करता था। वह उस चोरी के धन के छुपने के लिए इसी जगह पर आया करता था, क्योंकि यहां पर सुरंगों के जाल में उसे कोई पकड़ नहीं पाता था। यहां पर जो कुआं है, उस तक पहुंचने के लिए 101 सीढ़ियां उतरनी पड़ती है, लेकिन फिलहाल 32 ही बची हैं, बाकी सीढ़ियां टूट चुकी हैं।

100 साल पुरानी है ये धरोहर

कहा यह भी जाता है कि अंग्रेजी सेना के किसी अफसर को भाषा का अनुवाद समझ नहीं आया तो उसने लगाए गए पत्थर पर तीन गोलियां मार दी, जिसके निशान अब भी देखे जा सकते हैं। कहने को तो ये बावड़ी पुरातत्व विभाग के अधीन है, लेकिन वक्त की मार ने इसे कमजोर कर दिया है। साल 1995 में आई बाढ़ ने बावड़ी के एक बड़े हिस्से को बर्बाद कर दिया था।

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महम की बावड़ी

यह बावड़ी इतनी सुंदर है कि 1923 में इसे पुरातत्व विभाग ने राष्ट्रीय धरोहर बताते हुए संरक्षित कर दिया था और 100 साल के बाद भी इसका रखरखाव तो किया गया है, लेकिन जिस तरह से होना चाहिए उस तरीके से नहीं किया जाता है, क्योंकि आज भी बावड़ी के अंदर गंदा पानी और कचरा भरा पड़ा है। वैसे ही राज्य में पुरानी धरोहर बहुत कम हैं। सरकार की भी जिम्मेदारी होनी चाहिए कि जो है, उनको संरक्षित करने के अलावा उनका रखरखाव भी करें, ताकि आने वाली पीढ़ियों को इतिहास की जानकारी मिल सके।

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