Hisar: जीजेयू ने पेपर सेटिंग के लिए तैयार किया अपना सॉफ्टवेयर, कुलपति ने किया उद्घाटन 

गुरु जंभेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने पेपर सेटिंग के लिए अपना खुद का सॉफ्टवेयर तैयार किया। सॉफ्टवेयर परीक्षा संचालन व पेपर सेटिंग में उपयोगी होगा।

Updated On 2024-01-04 21:14:00 IST
पेपर सेटिंग सॉफ्टवेयर का उद्घाटन करते कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई। 

Hisar : गुरु जंभेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने पेपर सेटिंग के लिए अपना खुद का सॉफ्टवेयर तैयार कर लिया है। यह सॉफ्टवेयर परीक्षा संचालन व पेपर सेटिंग में अत्यंत उपयोगी होगा। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने वीरवार को इस सॉफ्टवेयर का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि यह सॉफ्टवेयर नवीनतम तकनीक लारावेल प्लेटफार्म का उपयोग करके बनाया गया है, जो परफॉरमेंस व सिक्योरिटी के मामले में अत्यंत बेहतर है। शिक्षक पेपर बनाकर इस सॉफ्टवेर के माध्यम से ऑनलाइन सबमिट कर देंगे, जिससे यह कार्य पेपरलेस होगा तथा पर्यावरण संरक्षण के प्रति विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता को भी मजबूत करेगा।

ऐसे कार्य करेगा नया सॉफ्वेयर 

इस साफ्टवेयर में गोपनीय शाखा, शिक्षकों, कोर्सिज व विषयों का डाटा अपलोड किया जाएगा। उसके बाद विषय विशेषज्ञ को पेपर्स आबंटित किए जाएंगे। सॉफ्टवेयर अपने आप शिक्षकों को ईमेल व मोबाइल पर मेसेज भेजकर सूचित कर देगा। इसके बाद शिक्षक पेपर बनाकर अपलोड कर देंगे। गोपनीय शाखा पेपर को डाउनलोड करके पेपर प्रिंट करवा देगी। उसके बाद परीक्षाएं संचालित की जाएंगी।

विश्वविद्यालय को इस सॉफ्टवेयर से होगा आर्थिक लाभ

कुलसचिव प्रो. विनोद छोकर ने बताया कि खुद का सॉफ्टवेयर बनने से विश्वविद्यालय को इसके लिए किसी प्रकार के वार्षिक मेंटेनेंस खर्च करने की जरूरत नहीं होगी। इससे परीक्षा संचालन में तीव्रता आएगी। यह सॉफ्टवेयर सुरक्षित होगा तथा परीक्षा शाखा का कार्य पारदर्शिता से होगा। साथ ही शिक्षक अपना पेपर सेटिंग का रिकॉर्ड इसमें मेंटेन कर पाएंगे।

पेपर लीक होने की नहीं होगी संभावना 

यह सॉफ्टवेयर आईटी सेल के प्रभारी डॉ. जय भगवान व जूनियर प्रोग्रामर राहुल ने मिलकर तैयार किया है। आईटी सेल के प्रभारी व सॉफ्टवेयर विशेषज्ञ डॉ. जय भगवान ने बताया कि इस सॉफ्टवेयर से परीक्षाओं में पेपर लीक होने की संभावना समाप्त हो जाएगी। भविष्य में इस सॉफ्टवेयर को अन्य शिक्षण संस्थानों से सांझा किया जा सकता है। इससे भी विश्वविद्यालय को आर्थिक लाभ होगा।

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