हरियाणा सरकार का आदेश: प्राइवेट स्कूलों को बच्चों के लिए 6 व्यवस्थाएं करनी होंगी, लापरवाही नहीं होगी बर्दाश्त
Haryana Private School: हरियाणा एजुकेशन विभाग की ओर से प्राइवेट स्कूलों के लिए 6 निर्देश जारी किए हैं। विभाग ने निर्देश का उल्लंघन होने पर कड़ी कार्रवाई करने का आदेश दिया है।
Haryana Private School: हरियाणा में नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत हो गई है। प्रदेश के एजुकेशन डिपार्टमेंट ने प्राइवेट स्कूलों की मनमानी के खिलाफ एक्शन लिया है। शिक्षा विभाग ने प्राइवेट स्कूलों को लेकर एडवाइजरी जारी करके जरूरी निर्देश दिए हैं। विभाग की ओर से स्कूल की यूनिफॉर्म, किताबें और वाटर बोतल को लेकर जरूरी निर्देश दिए गए हैं।
पैरेंट्स भी कर सकेंगे शिकायत
विभाग की ओर से कहा गया है कि अगर स्कूल नियमों का पालन नहीं करते हैं, तो ऐसे में पेैरेंट्स इसे लेकर शिकायत भी कर सकते हैं। इस कड़ी में सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को ई-मेल आईडी और मोबाइल नंबर जारी करने को कहा गया है, ताकि पेैरेंट्स इस पर अपनी शिकायत दर्ज कर सकें। इसके अलावा अधिकारी खुद नियमों को लेकर सरप्राइज चेकिंग कर सकते हैं। अगर नियमों को लेकर उल्लंघन को लेकर सूचना मिलती है, तो कार्रवाई करके रिपोर्ट शिक्षा विभाग को सौंपने के आदेश दिए गए हैं।
प्राइवेट स्कूलों के लिए कौन से निर्देश दिए गए ?
- शिक्षा विभाग का कहना है कि स्कूल प्राइवेट स्कूल पेैरेंट्स पर पब्लिशर्स की महंगी किताबें खरीदने का दबाव बनाते हैं। यह शिक्षा के अधिकार कानून (RTE एक्ट) और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के खिलाफ है। शिक्षा विभाग की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि स्कूलों को केवल NCERT या CBSE से मान्यता प्राप्त किताबों को ही अनिवार्य करना चाहिए। स्कूलों को ऐसी किताबों पर रोक लगा देनी चाहिए जो न तो जरूरी है, और न ही नीति के अनुसार है।
- विभाग ने स्कूलों को निर्देश दिए हैं कि यूनिफॉर्म में हर साल बदलाव न किया जाए। विभाग ने इसे अनुचित व्यापारिक गतिविधि बताया है। विभाग का कहना है कि हर साल नई यूनिफॉर्म खरीदने से माता-पिता पर आर्थिक बोझ बढ़ जाता है। इसके अलावा पेरेंट्स को अधिकृत विक्रेताओं से ही ड्रेस खरीदने के लिए मजबूर नहीं करना चाहिए।
- शिक्षा विभाग ने कहा कि हर साल स्कूल कुछ किताबों में मामूली बदलाव कर देता है। जिसकी वजह से पेरेंट्स नए सिरे से किताबे खरीदने के लिए मजबूर होते है। ऐसे में विभाग का कहना है कि छात्रों को पुरानी किताबों का इस्तेमाल करने के लिए उन्हें हतोत्साहित नहीं करना चाहिए। पुरानी किताबों का इस्तेमाल छात्रों और अभिभावकों की आर्थिक स्थिति पर सकारात्मक असर पड़ता है।
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- विभाग का कहना है कि कहा है कि कुछ स्कूलों में स्टूडेंट्स को केवल अपनी बोतल से पानी पीने के लिए मजबूर किया जा रहा है। जबकि, नियम के अनुसार हर स्कूल में पीने के पानी की व्यवस्था होना जरूरी है। विभाग ने बताया कि स्टूडेंट्स को स्कूल में पानी पीने से दूर रखना नियमों के खिलाफ है। ऐसा करने वाले स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
- प्राइवेट स्कूलों में स्टूडेंट्स पर भारी भरकम बैग लाद दिया जाता है। जिसकी वजह से उनकी सेहत को नुकसान होता है भारी बैग उठाने से गर्दन और कंधे में दर्द की शिकायत हो जाती है। कंधों में खिंचाव की समस्या भी आने लगती है।ऐसे में स्कूली बैग को लेकर भी विभाग ने नियम तय किए हैं। स्कूलों को यह सुनिश्चित करना होगा कि स्टूडेंट्स निर्धारित सीमा से ज्यादा भारी बैग न उठाएं।
- आदेश में कहा गया है कि अधिकतर निजी स्कूल गैर-लाभकारी संस्थाओं के रूप में पंजीकृत हैं। ऐसे स्कूलों को भी सही नियत के साथ काम करना चाहिए। विभाग ने कहा है कि शिक्षा को मुनाफे का जरिया बनाने वाली प्रवृत्तियों पर रोक लगाई जाएगी। विभाग की ओर से सभी अधिकारियों को नियमित रूप से स्कूलों का निरीक्षण करने के लिए कहा गया है। नियमों का उल्लंघन पाए जाने पर उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।
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