Haryana Politics: पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर ईडी ने कसा शिकंजा, PMLA केस में हाईकोर्ट पहुंची

Haryana Politics: पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ चल रहे प्लॉट आवंटन मामले को पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में ईडी ने फिर से उठाया है। मामले को लेकर अगली सुनवाई की तिथि भी तय कर दी गई है।

Updated On 2024-11-13 16:11:00 IST
कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा।

Haryana Politics: हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर जहां एक तरफ कांग्रेस की तरफ से हार का ठिकरा फोड़ा जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी भूपेंद्र सिंह हुड्डा की मुश्किलें को बढ़ा दिया है। पंचकूला में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट, 2002 (PMLA) की विशेष अदालत ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ चल रहे मामले की सुनवाई पर रोक लगा दी थी, अब 6 महीने बाद ईडी ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में अदालत के आदेश को चुनौती दी है।

क्या है पूरा मामला ?

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर आरोप लगा था कि जब वह हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष पद पर काम करते थे, तो उन्होंने अपने पद का गलत इस्तेमाल किया था। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अयोग्य आवेदकों को प्लॉट बांटे थे, और अपने मन मुताबिक नियमों में भी बदलाव किया है।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ मामले को लेकर फरवरी 2021 में पंचकूला की विशेष अदालत में शिकायत दायर की गई थी। अदालत ने 15 मई 2024 को CBI को इस मामले में रिपोर्ट पेश करने से रोक दिया गया।

अगली सुनवाई कब होगी ?

प्रवर्तन निदेशालय ने फैसले को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी है। मामले पर सुनवाई करते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस महावीर सिंह सिंधु ने मामले पर नोटिस जारी किया है, जिसके बाद सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने ED की वकील डॉ. नेहा अवस्थी के साथ मामले को लेकर बहस हुई है। जस्टिस महावीर सिंह सिंधु की तरफ से कहा गया है कि मामले को लेकर अगली सुनवाई 9 दिसंबर तय की गई है।

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ईडी ने लगाए ये आरोप 

ईडी ने अपनी याचिका में हुड्डा पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने आवंटन मानदंडों का गलत इस्तेमाल किया है। अपने गुनाहों को छुपाने के लिए फाइल को अपने पास रखा है। ईडी ने यह भी कहा है कि जिस तरह से  PMLA ने मामले को रोक दिया है, इसकी वजह से इस तरह के लंबित मामलों पर भी गलत प्रभाव पड़ेगा। ईडी का यह भी कहना है कि विशेष अदालत द्वारा इस तरह के मामलों पर रोक लगाना कानून के खिलाफ है, इसके खिलाफ एक्शन लिया जाना चाहिए। 

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