हिसार: विद्यार्थियों पर लाठीचार्ज मामले में बड़ी कार्रवाई, प्रोफेसर निलंबित, 4 सिक्योरिटी गार्ड बर्खास्त
स्कॉलरशिप पॉलिसी के विरोध में कुलपति आवास के बाहर जुटे छात्रों पर सिक्योरिटी गार्ड्स ने लाठीचार्ज किया था, जिसमें 20 से अधिक छात्र घायल हुए थे। भाकियू ने कुलपति का पुतला फूंका।
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (HAU) में विद्यार्थियों पर हुए लाठीचार्ज के मामले में प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की है। लगातार चल रहे छात्रों के विरोध प्रदर्शन और विभिन्न संगठनों के समर्थन के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने मारपीट मामले में संलिप्त प्रोफेसर राधेश्याम मांझू को निलंबित कर दिया है। इससे पहले, इस मामले में चार सिक्योरिटी गार्डों को भी नौकरी से बर्खास्त किया जा चुका है। छात्रों ने अपने आंदोलन को और तेज करते हुए कुलपति प्रोफेसर बीआर कम्बोज का पुतला भी फूंका।
प्रदर्शन के पांचवें दिन हुई कार्रवाई, छात्रों का संघर्ष जारी
छात्रों के प्रदर्शन के पांचवें दिन शनिवार को विश्वविद्यालय प्रशासन ने लाठीचार्ज के आरोपी प्रोफेसर राधेश्याम को निलंबित करने का आदेश जारी किया। इसके अतिरिक्त, चार सुरक्षाकर्मी - बिजेंद्र, अनूप, जगमेश पूनिया और नरेंद्र को भी नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है। विद्यार्थी इस मुद्दे पर लगातार संघर्ष कर रहे हैं और एचएयू के गेट नंबर 4 पर अपना धरना जारी रखे हुए हैं। उनके इस आंदोलन को अब विपक्षी दलों के नेताओं, किसान संगठनों और अन्य सामाजिक संगठनों का भी समर्थन मिल रहा है।
भाकियू ने दिया छात्रों को समर्थन, फूंका कुलपति का पुतला
भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) ने भी छात्रों के समर्थन में अपनी आवाज बुलंद की है। भाकियू नेता गुरनाम सिंह चढूनी और रवि आजाद छात्रों को समर्थन देने के लिए धरने पर पहुंचे। यहां पहुंचकर भाकियू नेताओं ने छात्रों के साथ मिलकर प्रशासन विरोधी नारे लगाए और कुलपति बीआर कम्बोज का पुतला भी जलाया, जो उनके गुस्से को दर्शाता है।
छात्रों की मांगें नहीं मानी तो आंदोलन बड़ा हो जाएगा : चढूनी
धरने पर छात्रों को संबोधित करते हुए भाकियू नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने सरकार को चेताया। उन्होंने कहा कि सरकार को यह गलतफहमी निकाल देनी चाहिए कि यह आंदोलन 2 से 4 दिन ही चलेगा। भाकियू पूरी तरह से छात्रों के साथ है और जब तक आंदोलन चलेगा, हमारी पूरी टीम छात्रों के साथ रहेगी।
चढूनी ने कहा कि सरकार के पास मौका है। वह उनकी मांगें मान ले, वरना यह आंदोलन लंबा और बड़ा हुआ तो सरकार से संभलेगा नहीं। रेल और सड़कें रोकने पड़ीं और सरकार को कोई बड़ा कदम उठाना पड़े, उससे पहले ही छात्रों की मांग मान लेनी चाहिए, क्योंकि मांगें जायज हैं, जो पूरी की जा सकती हैं, जो भी लाठीचार्ज के दोषी हैं, उन पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
20 से अधिक छात्र हुए थे घायल
यह पूरा मामला मंगलवार 10 मई देर रात का है। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में कुलपति आवास के बाहर सिक्योरिटी गार्ड्स ने स्टूडेंट्स पर लाठीचार्ज कर दिया था। इस लाठीचार्ज में 20 से ज्यादा स्टूडेंट घायल हो गए थे और 6 स्टूडेंट्स को गंभीर चोटें आई थीं, जिन्हें तुरंत सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। दरअसल, घटना से पहले मंगलवार दोपहर को स्टूडेंट्स स्कॉलरशिप पॉलिसी के विरोध में कुलपति से मिलने पहुंचे थे। यहीं पर उनका सिक्योरिटी गार्ड्स के साथ विवाद हो गया। स्टूडेंट्स ने आरोप लगाया कि उनके साथ पहले भी मारपीट की गई थी। इसके विरोध में, जब वे रात को कुलपति आवास के बाहर पहुंचे तो सिक्योरिटी गार्ड्स ने उन्हें दोबारा खदेड़ दिया और उन पर लाठीचार्ज कर दिया।
घटना के बाद स्टूडेंट्स की शिकायत पर सिविल लाइन पुलिस ने यूनिवर्सिटी के सिक्योरिटी इंचार्ज सुखबीर सिंह, प्रोफेसर राधेश्याम, रजिस्ट्रार पवन कुमार, सुमन, नरेंद्र, जगमेश पूनिया, अनूप और बिजेंद्र के खिलाफ मामला दर्ज किया था। यह कार्रवाई छात्रों के दबाव और विभिन्न संगठनों के समर्थन का नतीजा मानी जा रही।