Illegal Immigrants: रोहिंग्या और बांग्लादेशियों पर सरकार का शिकंजा, गुरुग्राम में बनाए गए 4 डिटेंशन सेंटर
Illegal Immigrants: गुरुग्राम में बांग्लादेशी नागरिकों और रोहिंग्या शरणार्थियों की पहचान के लिए 4 डिटेंशन सेंटर बनाए गए हैं। इनका डॉक्यूमेंट्स वेरिफिकेशन किया जा रहा है।
गुरुग्राम में बनें डिटेंशन सेंटर।
Illegal Immigrants: हरियाणा सरकार अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों और रोहिंग्या शरणार्थियों को लेकर और भी ज्यादा सख्त हो गई है। बांग्लादेशी और रोहिंग्या शरणार्थियों की पहचान के लिए गुरुग्राम में चार डिटेंशन सेंटर बनाए गए हैं। बताया जा रहा है कि इन सेंटर्स में 50 से ज्यादा लोगों को रखा गया है। इन सभी लोगों के पास से पुलिस ने जो डॉक्यूमेंट्स बरामद किए हैं, उनका वेरिफिकेशन किया जा रहा है। गुरुग्राम पुलिस ने दावा किया है कि वेरिफिकेशन पूरा हो जाने के बाद सभी को रिहा कर दिया जाएगा।
पुलिस ने लिखा लेटर
जानकारी के मुताबिक, गुरुग्राम पुलिस की ओर से 17 जुलाई को जिला प्रशासन को लेटर लिखा गया था। लेटर में डिटेंशन सेंटरों की स्थापना के लिए कहा था, जिसमें केंद्रीय गृह मंत्रालय के 2 मई के निर्देश का हवाला दिया गया। मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को बांग्लादेशी और रोहिंग्या अवैध प्रवासियों की पहचान करने के लिए 30 दिन का समय दिया गया है। अगर डॉक्यूमेंट्स वेरिफाई नहीं होते ऐसे लोगों को डिटेंशन सेंटर में रखा जाएगा।
इन इलाकों में बनें सेंटर्स
गुरुग्राम को पुलिस ने चार जोन पूर्व, पश्चिम, दक्षिण, और मानेसर में बांटा गया है। हर जोन में एक डिटेंशन सेंटर बनाया गया है। प्रशासन ने नायब तहसीलदारों को इन सेंटरों में प्रभारी के तौर पर नियुक्त किया है। गुरुग्राम में चार डिटेंशन सेंटर जिनमें बादशाहपुर, सेक्टर 10ए, सेक्टर 40 और मानेसर के सेक्टर-1 के सामुदायिक केंद्र शामिल हैं।
- बादशाहपुर: बादशाहपुर नायब तहसीलदार
- सेक्टर 10ए: कादीपुर नायब तहसीलदार
- सेक्टर 40: वजीराबाद नायब तहसीलदार
- मानेसर: मानेसर नायब तहसीलदार
प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल उठाएं
पुलिस प्रशासन ने नगर निगम के सफाई ठेकेदारों के साथ काम करने वाले कर्मियों, मुख्य तौर पर पश्चिम बंगाल और असम से आए बंगाली मूल के लोगों पर पुलिस निगरानी रखेगी। इनमें सदिंग्ध लोगों को हिरासत में लिया जाएगा। सेक्टर 10ए के एक डिटेंशन सेंटर में 74 लोग हिरासत में हैं, जिनमें ज्यादातर मुस्लिम पुरुष शामिल है।
एक पुलिस अधिकारी का कहना है कि यह नागरिक गुरुग्राम के स्लम एरिया में रहते हैं। इन सभी के डॉक्यूमेंट्स वेरिफाई किए जा रहे हैं। प्रशासन की इस कार्रवाई को लेकर मानवाधिकार संगठनों ने सवाल उठाए हैं। जिन लोगों को हिरासत में लिया गया है उनका कहना है कि वह भारत के नागरिक हैं। उनके पास आधार, पैन कार्ड और NRC से संबंधित डॉक्यूमेंट्स हैं।
‘ऑपरेशन सिंदूर' के तहत कार्रवाई
मानवाधिकार संगठन फोर्टिफाई राइट्स का दावा है कि भारत की तरफ से रोहिंग्या शरणार्थियों को म्यांमार में जबरदस्ती वापस भेजना अंतरराष्ट्रीय गैर-निर्वासन सिद्धांत का उल्लंघन है, जो लोगों को ऐसी जगह पर भेजने से मना करता है, जिनकी जान को खतरा होता है। यह कार्रवाई को ‘ऑपरेशन सिंदूर' के तहत की गई है, जिसे 2025 में शुरु किया गया था।
इसमें गुजरात, दिल्ली, हरियाणा, असम और राजस्थान जैसे राज्यों में 6,500 से ज्यादा संदिग्ध अवैध प्रवासियों को हिरासत में लिया गया है। MHA ने निर्देश देते हुए कहा है कि सभी राज्यों के पास संदिग्ध प्रवासियों का रिकॉर्ड होना जरुरी है। ऐसे नागरिकों को निर्वासन से पहले पहचान बांग्लादेश या म्यांमार के अधिकारियों से वेरिफिकेशन कराना जरुरी है।