Gurugram Court Dress Code: गुरुग्राम कोर्ट में इस कलर की शर्ट-पैंट पहनने पर लगी रोक, उल्लंघन करने पर 5 हजार का जुर्माना, जानें वजह

Gurugram Bar Association: गुरुग्राम बार एसोसिएशन की ओर से अदालत परिसर में आम लोगों के लिए खास कलर की शर्ट-पैंट पहनने पर प्रतिबंध लगाया गया है। कोर्ट की ओर से कहा गया है कि नियम का उल्लंघन करने पर लोगों को 5 हजार का जुर्माना देना पड़ेगा।

Updated On 2025-06-11 16:50:00 IST

Gurugram Bar Association: गुरुग्राम बार एसोसिएशन की ओर से एक खास कलर की शर्ट-पैंट पहनने को लेकर एक नियम बनाया गया है। बार एसोसिएशन की ओर से एक प्रस्ताव पारित किया गया है, जिसके तहत आम लोगों के लिए अदालत परिसर में सफेद शर्ट और काली पैंट पहनने पर रोक लगा दी गई है। इस प्रस्ताव को लेकर बार एसोसिएशन के एक वरिष्ठ सदस्य ने जानकारी देते हुए कहा है कि पेशे से जुड़ी पोशाक अब केवल रजिस्टर्ड वकीलों और अधिकृत विधि प्रशिक्षुओं के लिए ही आरक्षित रहेगी, किसी अन्य व्यक्ति के सफेद शर्ट और काली पैंट पहनने पर प्रतिबंध रहेगा।

प्रस्ताव में क्या कहा गया है? 
एसोसिएशन द्वारा पारित प्रस्ताव में कहा गया है, ‘क्लर्क, वादी या आम जनता सहित किसी भी अन्य व्यक्ति को अदालत परिसर के किसी भी हिस्से में वकील की पोशाक यानी सफेद कमीज और काली पैंट पहनने की अनुमति नहीं दी जाएगी। ड्रेस कोड सुनिश्चित करने के लिए बार एसोसिएशन अदालत प्रशासन और सुरक्षा कर्मचारियों के साथ समन्वय करेगा। कोर्ट की ओर से कहा गया है कि जो भी इस नियम का उल्लंघन करेगा उस पर 5000 का जुर्माना लगाया जाएगा।

क्यों लिया गया फैसला ?
प्रस्ताव के मुताबिक यह फैसला इसलिए लिया गया है कि, क्योंकि अक्सर ऐसा देखा गया है कि गैर-अधिवक्ता या गैर-मान्यता प्राप्त विधि प्रशिक्षु अक्सर कोर्ट परिसर में सफेद कमीज और काली पैंट पहनकर घूमते हैं। जिसकी वजह से लोग गलत पहचान का शिकार हो जाते हैं, लोग उन्हें वकील समझने लगते हैं। ऐसा माना गया है कि कुछ मामलों में तो अदालती कार्यवाही की गरिमा और अनुशासन भी भंग हो जाता है।

एसोसिएशन के सचिव ने क्या कहा ? 
गुरुग्राम बार एसोसिएशन के सचिव राहुल धनखड़ का कहना है कि इस प्रस्ताव के पीछे का उद्देश्य न्यायालय परिसर में अधिवक्ताओं की पोशाक पहनकर लोगों को जालसाजी में फंसाने वाले व्यक्तियों की गतिविधियों पर रोक लगाना है। धनखड़ के मुताबिक, इस तरह के लोग वकीलों की तरह कपड़े पहनते हैं और कानूनी सेवाओं और डॉक्यूमेंट्स का आश्वासन देकर लोगों को मूर्ख बनाते हैं।

इसके अलावा कोर्ट की ओर से सुरक्षा कर्मचारियों को निर्देश दिया गया है कि बार काउंसिल द्वारा जारी पहचान पत्र या अन्य वैध प्रमाण पत्रों के माध्ययम से वकीलों और प्रशिक्षु अधिवक्ताओं की पहचान का वेरिफिकेशन किया जाए।

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