गुरुग्राम के SHO पर दिल्ली में FIR: लेडी एडवोकेट ने लगाए रेप, उत्पीड़न और अमानवीय व्यवहार के आरोप
महिला वकील के खिलाफ भी गुरुग्राम में हेड कॉन्स्टेबल को थप्पड़ मारने और सरकारी काम में बाधा डालने का केस दर्ज है। एसएचओ ने आरोपों को झूठा बताया है, जबकि गुरुग्राम पुलिस ने इसे पिछले केस से बचने का प्रयास कहा है। दोनों मामलों की निष्पक्ष जांच के लिए एक एसआईटी गठित की गई है।
गुरुग्राम कमिश्नरेट पुलिस के प्रवक्ता संदीप कुमार।
हरियाणा के गुरुग्राम में एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। गुरुग्राम के सेक्टर 50 थाना एसएचओ पर दिल्ली में एक महिला वकील ने रेप, उत्पीड़न और अमानवीय व्यवहार करने का गंभीर आरोप लगाया है। महिला एडवोकेट की शिकायत पर दिल्ली के सब्जी मंडी थाना पुलिस ने जीरो एफआईआर दर्ज की है। यह घटना तब सामने आई है जब कुछ दिन पहले इसी महिला वकील के खिलाफ गुरुग्राम के सेक्टर 50 थाने में हेड कॉन्स्टेबल को थप्पड़ मारने और सरकारी काम में बाधा डालने के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई थी।
आरोपों की क्रॉस-फायरिंग : SHO ने आरोपों को बताया झूठा
सेक्टर 50 थाना के एसएचओ सत्यवान ने महिला वकील द्वारा लगाए गए इन सभी आरोपों को पूरी तरह से मनगढ़ंत और झूठा बताया है। उन्होंने कहा कि गुरुग्राम में दर्ज केस से बचाव के लिए उसने ऐसा किया होगा। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए गुरुग्राम कमिश्नरेट पुलिस ने दोनों मामलों की निष्पक्ष जांच के लिए एसीपी क्राइम अगेंस्ट वूमेन सुरेंद्र कौर के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित किया है।
महिला एडवोकेट के गंभीर आरोप
दिल्ली के सब्जी मंडी थाने में दी गई शिकायत में महिला एडवोकेट ने बताया कि 22 मई की रात को उसे एक मामले में पूछताछ के बहाने थाने बुलाया गया और फिर रात करीब 3 बजे तक जबरन थाने में बैठाकर रखा गया। उनके आरोप के अनुसार इस दौरान एसएचओ ने न केवल उनसे अभद्रता की, बल्कि गंभीर यौन उत्पीड़न भी किया। एडवोकेट का कहना है कि एसएचओ ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए उनके साथ शारीरिक और मानसिक रूप से अत्याचार किया।
आरोप है कि एसएचओ ने उनसे कहा तुम गुड़गांव में खड़ी हो, दिल्ली में नहीं। यहां रोजाना 365 वकील आते हैं, मैं तुम्हें वकालत सिखाऊंगा, तुम्हें हमारी ताकत नहीं पता, मैं जो चाहूं करूंगा।
21 मई की एफआईआर की अहम बातें
इससे पहले, गुरुग्राम के सेक्टर 50 थाने में 21 मई को एक घटना दर्ज की गई थी। सेक्टर 50 थाने की हेड लेडी कॉन्स्टेबल ने अपनी शिकायत में बताया था कि 21 मई को महिला थाना में हुए मियां-बीवी के झगड़े के मामले में दंपती को थाने में लाया गया था। वह मामले में दोनों से बातचीत कर रही थी।
इसी दौरान महिला एडवोकेट वहां आईं और पत्नी को थप्पड़ मारने लगीं। जब हेड कॉन्स्टेबल ने बीच-बचाव किया तो एडवोकेट ने उसे भी थप्पड़ जड़ दिए। उसने कॉन्स्टेबल का गला पकड़ा और धक्का मारा, जिससे वह कुर्सी से गिर गई।
एएसआई से भी बदतमीजी का आरोप
शिकायत में आगे बताया गया कि शोर सुनकर थाने में मौजूद महिला एएसआई मौके पर पहुंचीं और हेड कॉन्स्टेबल को फर्श से उठाया। एडवोकेट ने एएसआई के साथ भी बदतमीजी की। झगड़े की आवाज सुनकर एसएचओ भी मौके पर पहुंचे तो महिला एडवोकेट ने वकील के रूप में रौब झाड़ा और साथ ही थाने को बंद करवाने और उनकी नौकरी खाने की धमकी भी दी। उसने यहां तक कहा कि वह "तुम्हारे जैसे कई पुलिसवालों को कोर्ट में सबक सिखा चुकी है।"
पहले दर्ज केस से बचाव की कोशिश
गुरुग्राम कमिश्नरेट पुलिस के प्रवक्ता संदीप कुमार ने दिल्ली पुलिस द्वारा एसएचओ के खिलाफ दर्ज की गई जीरो एफआईआर के संबंध में अपना पक्ष रखा है। पुलिस की तरफ से बताया गया कि 21 मई को मारपीट और सरकारी ड्यूटी में बाधा डालने की धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया था। इस मामले में महिला वकील सहित कई अन्य व्यक्तियों की संलिप्तता पाई गई थी। मौके पर मौजूद कई अन्य व्यक्तियों को गवाह बनाया गया है। पुलिस का मानना है कि यह सेक्टर 50 थाने में पहले से दर्ज एफआईआर से बचाव के लिए जीरो एफआईआर दर्ज करवाई गई है।
नियमानुसार जांच और पूर्व रिकॉर्ड पर सवाल
पुलिस ने बताया कि मारपीट के मामले में नियमानुसार जांच शुरू की गई थी। इस दौरान महिला वकील का मेडिकल परीक्षण करवाया गया, जिसके बाद उन्हें अन्य वकीलों के हवाले किया गया। यह पूरी प्रक्रिया कानून के दायरे में की गई थी।
पुलिस ने महिला वकील के पूर्व रिकॉर्ड पर भी सवाल उठाया है। बताया गया है कि महिला वकील ने वर्ष 2023 में दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट परिसर में उनके द्वारा एक 62 वर्षीय वकील, उनकी पत्नी, बेटी और अन्य लोगों के खिलाफ छेड़छाड़ का केस दर्ज करवाया गया था, जिससे उनके व्यवहार और विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा होता है।
एसआईटी करेगी निष्पक्ष जांच
पुलिस प्रवक्ता संदीप कुमार ने बताया कि जीरो एफआईआर में लगाए गए सभी आरोपों की निष्पक्ष जांच की जाएगी, लेकिन यह भी साफ है कि महिला वकील के खिलाफ पहले से दर्ज मारपीट का मामला पूरी तरह कानूनी प्रक्रिया के तहत दर्ज किया गया है। दोनों मामलों की निष्पक्ष जांच के लिए एसआईटी गठित कर दी गई है। यह मामला अब दोनों तरफ से लगाए गए आरोपों और उनकी जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा।