लावारिस शिशुओं को यहां सौंपें: बेसहारा बच्चों का सहारा बनेगा पालना, मिलेगी ममता भरी गोद

यह खबरें आमतौर पर सुनने में मिलती हैं कि कूड़े के ढेर पर नवजात शिशु पड़ा मिला। मंदिर की सीढ़ियों पर कोई बच्चा छोड़ गया। इस तरह के हालातों से निपटने के लिए सरकार ने एक अहम योजना को अमलीजामा पहनाया है।

Updated On 2025-08-11 23:03:00 IST
नागरिक अस्पतालों में लगे पालनों में लावारिस बच्चों को छाेड़ा जा सकता है। 

लावारिस शिशुओं को मिलेगा पालना : हरियाणा में कोई भी दंपति या एकल अभिभावक किसी भी वजह से शिशु नहीं अपनाना चाहते या शिशु को पालने में असमर्थ हैं या व्यक्ति या संस्था को परित्यक्त, लावारिस अवस्था में शिशु मिलता है तो उसे इधर उधर न छोड़ें। नागरिक बिना पहचान बताए सुरक्षित रूप से नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में स्थापित शिशु पालना केंद्र में छोड़ सकते हैं।

नागरिक अस्पताल में चलते हैं पालना केंद्र

नारनौल के उपायुक्त डॉ. विवेक भारती ने बताया कि इस प्रकार के बच्चों के लिए नागरिक अस्पताल महेंद्रगढ़, नागरिक अस्पताल नारनौल व सीएचसी नांगल चौधरी, कनीना, अटेली एवं बाल भवन में पालन केंद्र बनाए गए हैं। उन्होंने बताया कि इन स्थान से बच्चों को सुरक्षित रूप से प्राप्त करके उसे अन्य भावी दत्तक माता-पिता को कानूनी रूप से गोद दिया जा सकता है। यह व्यवस्था पूरे हरियाणा के हर जिले में लागू है। वहां के स्वास्थ्य केंद्र या बालभवन में ऐसे पालना केंद्रों का संचालन किया जा रहा है।

मिशन वात्सल्य के तहत चल रही योजना

नारनौल की जिला कार्यक्रम अधिकारी संगीता यादव ने बताया कि महिला एवं बाल विकास विभाग के मिशन वात्सल्य के तहत जिला बाल संरक्षण इकाई की ओर से शिशु पालना केंद्र चलाया जाता है। यह वह पहल है, जिसका मुख्य उद्देश्य शिशु की जीवन रक्षा के साथ-साथ उसको एक कानूनी रूप से नए परिवार दिलाना और सुरक्षा एवं संरक्षण प्रदान करना है।

कानूनी रूप से गोद देने की यह है प्रक्रिया

जिला बाल संरक्षण अधिकारी संदीप कुमार ने बताया कि असहाय एवं बेसहारा बच्चों को स्थाई रूप से गोद लेने के लिए बाल कल्याण समिति द्वारा कानूनी रूप से बच्चे को दत्तक ग्रहण के लिए मुक्त किया जाता है। केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन एजेंसी महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट केयरिंग पोर्टल पर ऑनलाइन पंजीकरण किया जाता है। बाल संरक्षण अधिकारी सुषमा यादव ने बताया कि शिशु पालन केंद्र व बेसहारा बच्चों की सुरक्षा के कानून एवं विनियम के बारे में समय-समय पर जागरूकता कार्यक्रम किए जाते हैं। इसके साथ ही सभी नर्सिंग होम, सरकारी डॉक्टर, एएनएम इत्यादि के प्रशिक्षण के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम करवाया जाता रहता है ताकि बेसहारा व असहाय बच्चों के रक्षा एवं सुरक्षा के साथ-साथ कानूनी रूप से दत्तक ग्रहण किया जा सके तथा गैर कानूनी व बिचौलिया प्रथा से बचा जा सके।

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