जनजातीय गौरव दिवस 2025: नर्मदा में पीएम मोदी का भावुक संबोधन, बिरसा मुंडा को नमन
जनजातीय गौरव दिवस पर पीएम नरेंद्र मोदी ने आदिवासी समुदाय के योगदान को याद किया और गुजरात में कई विकास परियोजनाओं का शुभारंभ किया। बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि अर्पित की।
PM Modi
Tribal Pride Day: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज गुजरात के नर्मदा जिले में भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर आयोजित जनजातीय गौरव दिवस कार्यक्रम को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि जनजातीय गौरव हजारों वर्षों से भारत की सांस्कृतिक चेतना का अभिन्न अंग रहा है। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी समाज के अमिट योगदान को याद दिलाते हुए जोर दिया कि जब-जब देश के सम्मान और स्वराज की पुकार आई, आदिवासी भाई-बहन सबसे आगे खड़े दिखे।
पीएम ने कहा, "हमारा स्वतंत्रता आंदोलन इसका जीवंत प्रमाण है, जिसे हम कभी भुला नहीं सकते।''
मां नर्मदा की पावन धरती पर इस ऐतिहासिक आयोजन को संबोधित करते हुए मोदी ने बिरसा मुंडा को नमन किया। उन्होंने उल्लेख किया कि महज 31 अक्टूबर को यहीं सरदार पटेल की 150वीं जयंती मनाई गई थी, जिसके साथ 'भारत पर्व' की शुरुआत हुई।
आज बिरसा मुंडा के जन्मोत्सव के भव्य समारोह से यह पर्व पूर्णता को प्राप्त हो रहा है, जो हमारी एकता और विविधता का प्रतीक है। पीएम ने बताया कि 2021 से ही बिरसा मुंडा की जयंती को राष्ट्रीय स्तर पर जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया जा रहा है।
कार्यक्रम से पहले पीएम मोदी ने डेडियापाड़ा में बिरसा मुंडा की प्रतिमा को पुष्पांजलि अर्पित की। उनका भव्य स्वागत हुआ, जिसमें स्थानीय जनजातीय समुदायों ने उत्साह से भाग लिया।
विकास परियोजनाओं का लोकार्पण
जनजातीय कल्याण को मजबूत बढ़ावाविकास और जनजातीय कल्याण से जुड़ी अनेक महत्वाकांक्षी परियोजनाओं का उद्घाटन एवं शिलान्यास करने के बाद पीएम ने कहा कि स्वास्थ्य, सड़क एवं यातायात क्षेत्र में नई पहलें शुरू हुई हैं। उन्होंने कहा, "इन सभी प्रयासों के लिए गुजरात और पूरे देश के जनजातीय परिवारों को हार्दिक बधाई। ये कदम सेवा और समृद्धि की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे।''
ऐतिहासिक उपेक्षा से सम्मान तक का सफर
पीएम ने भावुक लहजे में कहा कि 2014 से पहले बिरसा मुंडा का नाम सीमित इलाकों तक ही सीमित था। आज देशव्यापी स्तर पर उनके योगदान को मान्यता मिल रही है। ट्राइबल म्यूजियमों का निर्माण हो रहा है, जो आदिवासी इतिहास को जीवंत करेगा।
विशेष रूप से, श्री गोविंद गुरु चेयर जनजातीय भाषा संवर्धन केंद्र की स्थापना गुजरात में हुई है। यहां भील, गामित, वसावा, गरासिया, कोकना, संथाल, राठवा, नायक, डबला, चौधरी, कुंभी, वर्ली, डोडिया जैसी जनजातियों की बोलियों, लोककथाओं और गीतों का संरक्षण होगा। पीएम ने कहा, "यह केंद्र हमारी सांस्कृतिक धरोहर को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।''