Labour day 2025: देश के तीन 'मांझी'... पहाड़ काटकर बनाया रास्ता, लेबर डे पर पढ़ें इनकी कहानी

International Labour Day 2025: बिहार के दशरथ मांझी ने पहाड़ काट दिया था ताकि लोगों को आने जाने में आसानी हो। आज अंतरराष्ट्रीय श्रम दिवस पर ऐसे ही तीन मांझियों की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने नामुमकिन कार्य को भी मुमकिन बना दिया।

By :  Amit Kumar
Updated On 2025-05-01 15:31:00 IST
पहाड़ काटकर रास्ता बनाने वाले दशरथ मांझी।

International Workers Day 2025: आप सभी ने बिहार के दशरथ मांझी की कहानी सुनी होगी। उन्होंने एक पहाड़ का सीना चीरकर इसलिय रास्ता बना दिया था क्योंकि उनकी पत्नी की पहाड़ से फिसलकर मौत हो गई थी। उन पर बॉलीवुड ने 'मांझी: द माउंटेन मैन' नाम से फिल्म बनाई है। नवाजुद्दीन सिद्धीकी ने दशरथ मांझी और राधिका आप्टे ने उनकी पत्नी फाल्गुनी देवी का किरदार निभाया है। लेकिन, आज हम दशरथ मांझी की नहीं बल्कि देश के तीन ऐसे मांझियों की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने पहाड़ काटकर लोगों की जिंदगी आसान कर दी।

पहली कहानी: बरातुराम ने पहाड़ काटकर बनाया रास्ता 
पहली कहानी छत्तीसगढ़ के धमतारी जिले के बरातुराम की है। उनका एक हाथ नहीं था। एक बार उनके गांव में प्रशासनिक अधिकारी पहुंचे तो लोगों ने बताया कि पहाड़ होने की वजह से उन्हें शहर जाने में 20 किलोमीटर लंबा सफर तय करना पड़ता है। इस पर अधिकारियों ने मनरेगा योजना के तहत पहाड़ काटने का सुझाव दिया। इस चुनौती को सबसे पहले बरातुराम ने स्वीकार कर लिया। उनके जज्बे को देखकर पूरा गांव भी इस कार्य में जुट गया, जिसकी वजह से पहाड़ के बीच से 700 मीटर लंबी और 15 मीटर चौड़ी सड़क का निर्माण कर दिया।

दूसरी कहानी: 10 किलोमीटर की दूरी 700 मीटर कर दी  

छत्तीसगढ़ के पूरे गांव ने पहाड़ काटकर बनाया रास्ता।

दूसरी कहानी छत्तीसगढ़ की है। यहां कोटा-रतनपुर रोड एक पहाड़ ने उमरमरा और नवापारा के ग्रामीणों की मुश्किलें बढ़ा रखी थी। ग्रामीणों को दूसरी तरफ जाने के लिए 10 किलोमीटर लंबा सफर तय करना पड़ता था। ऐसे में ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और सरकार से मदद मांगी। फिर अपने स्तर पर पहाड़ को काटने का फैसला ले लिया। उनकी मेहनत रंग लाई और 10 किलोमीटर की दूरी महज 700 मीटर रह गई। हालांकि दशरथ मांझी की तरह यहां के ग्रामीणों को भी खनन माफिया की वजह से मुश्किलों का सामना करना पड़ा। लेकिन, हकीकत यह है कि अब यहां के लोगों को दूसरी तरफ जाने के लिए लंबा सफर तय नहीं करना होता है। 

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तीसरी कहानी: जमुना प्रसाद ने पहाड़ काटकर पहुंचाया पानी
खास बात है कि तीसरी कहानी भी छत्तीसगढ़ से है। यहां के MCB जिले के चिरमिरी के बरतुंगा कॉलरी में रहने वाले लोगों को पानी के लिए 1500 मीटर ऊंचे पहाड़ को पार करना पड़ता था। यहां के रहने वाले जुमना प्रसाद को एसीईसीएल अधिकारी के घर तक पानी पहुंचाने की जिम्मेदारी मिली। उन्हें इस कार्य के लिए 20 रुपये मिले। इस राशि से खुश थे, लेकिन धीरे धीरे समझ गए कि यह लोगों के लिए कितनी बड़ी परेशानी है।

जमुना प्रसाद।

ऐसे में उन्होंने भाई बहनों के साथ मिलकर पानी के लिए रास्ता बनाने का काम शुरू कर दिया। वे दिन रात इस कार्य में जुटे रहे, जिस वजह से तीन से चार महीने के भीतर ही पानी लाने के लिए रास्ता बन गया। पहले जहां लोगों के पहाड़ से फिसलने का डर रहता था, वहीं अब डर काफी कम हो गया।

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