Udaipur Files Controversy: 'उदयपुर फाइल्स' की रिलीज रोकने की मांग क्यों? दिल्ली HC में याचिका, उठाए गए ये मुद्दे

Udaipur Files Controversy: 11 जुलाई को रिलीज होने जा रही उदयपुर फाइल्स फिल्म को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। इस फिल्म पर रोक लगाने की मांग को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है।

Updated On 2025-07-08 15:28:00 IST

उदयपुर फाइल्स की रिलीज रोकने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका।

Udaipur Files Controversy: राजस्थान के उदयपुर में दर्जी कन्हैया लाल हत्याकांड पर आधारित फिल्म 'उदयपुर फाइल्स' 11 जुलाई को रिलीज होने जा रही है। लेकिन इसके रिलीज होने से पहले बड़ी अड़चन आ गई है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचिका में दावा किया गया कि 'उदयपुर फाइल्स' फिल्म के ट्रेलर में दिखाया गया कि दर्जी कन्हैया लाल की हत्या मुस्लिम समुदाय के नेताओं की मिलीभगत से कराई गई थी। इस कथानक से हिंदू-मुस्लिम समुदायों के बीच दरार पैदा हो सकती है। साथ ही इस फिल्म के रिलीज होने से देश में सांप्रदायिक तनाव फैल सकता है।

मौलाना अरशद मदनी की ओर से दायर याचिका में सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म (CBFC) सर्टिफिकेट को भी चुनौती दी गई है। साथ ही इस फिल्म पर इमरजेंसी रोक लगाने की मांग की गई है। बता दें कि 28 जून 2022 को राजस्थान के उदयपुर में दर्जी कन्हैया लाल की दो हमलावरों ने दुकान में घुसकर हत्या कर दी थी। यह फिल्म इसी हत्याकांड पर आधारित बताई जा रही है।

कब होगी हाईकोर्ट में सुनवाई?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 9 जुलाई यानी बुधवार को इस मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हो सकती है। याचिका में कहा गया कि फिल्म में कई ऐसे अदालती दृश्य बेधड़क ढंग से दिखाए गए हैं, जिनमें अलग-अलग मुद्दों पर अदालतों में सुनवाई चल रही है। इस फिल्म के ट्रेलर में नूपुर शर्मा का विवादित बयान भी दिखाया गया है, जिसकी वजह से देश में सांप्रदायिक हिंसा हुई थी, यहां तक कि बीजेपी को नुपूर को पार्टी ने निकालना पड़ा था। याचिकाकर्ता का कहना है कि कन्हैयालाल की हत्या दो कट्टरपंथियों द्वारा की गई थी, लेकिन फिल्म के ट्रेलर में इस तरह से दिखाया गया है कि इसमें मुस्लिम समुदाय के नेताओं की मिलीभगत थी।

नफरत को बढ़ावा मिलने की जताई आशंका

इसके अलावा याचिका में दावा किया गया कि 'उदयपुर फाइल्स' फिल्म की रिलीज से पूरे धार्मिक समुदाय को बदनाम किया जा सकता है। इससे नफरत को बढ़ावा मिल सकता है और देश में धार्मिक सद्भाव के ताने-बाने को गंभीर क्षति पहुंच सकती है। यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 के तहत दिए गए मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है, क्योंकि यह फिल्म कथित रूप से भेदभाव को बढ़ावा देने वाली लग रही है और यह एक खास समुदाय के सम्मान और सुरक्षा के साथ ही जीने के अधिकार को भी खतरे में डाल सकती है।

याचिका में रखी गईं कई मांग

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल याचिका में सूचना और प्रसारण मंत्रालय (MIB) को निर्देश देने की मांग की गई है, जिसके तहत फिल्म के ट्रेलर को यूट्यूब, फेसबुक और एक्स जैसे सभी डिजिटल और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से तत्काल हटाया जाना शामिल है। याचिका में फिल्म के डायरेक्टर और प्रोड्यूसर समेत डिस्ट्रीब्यूटर, रिलायंस एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड, एक्स, गूगल और मेटा को भी पक्षकार बनाया गया है।

मौलाना मदनी ने क्या कहा?

जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि इस फिल्म के ट्रेलर में पैगम्बर ए इस्लाम और उनकी पवित्र पत्नियों के खिलाफ आपत्तिजनक बातें दिखाई गई हैं। इससे देश में शांति-व्यवस्था बिगड़ सकती है। फिल्म में देवबंद को उग्रवाद का अड्डा बताया गया है और वहां के उलेमा के खिलाफ जहरीली भाषा का इस्तेमाल भी किया गया है। उनका कहना है कि यह फिल्म पूरी तरह से एक विशेष धार्मिक समुदाय को बदनाम करती है।

फिल्म के ट्रेलर में क्या दिखाया गया?

बता दें कि 'उदयपुर फाइल्स' राजस्थान के दर्जी कन्हैया लाल हत्याकांड के ऊपर बनाई गई है। इसमें नेता नूपुर शर्मा का विवादित बयान भी दिखाया गया है, जिससे साम्प्रदायिक तनाव बढ़ने की आशंका है। इस ट्रेलर में ज्ञानवापी मस्जिद के संवेदनशील मुद्दे का भी जिक्र किया गया है, जो कि फिलहाल वाराणसी की जिला अदालत और सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन हैं।

इस फिल्म का ट्रेलर लॉन्च होने के बाद से ही विवाद शुरू हो गया है। मुस्लिम संगठनों का कहना है कि इस फिल्म में इस्लामी संस्थाओं जैसे दारुल उलूम, देवबंद और जमीयत उलमा-ए-हिंद को गलत तरीके से निशाना बनाया गया है। इससे मुसलमानों की भावनाएं आहत होंगी।

दिल्ली हाईकोर्ट के अलावा इन अदालतों में भी याचिका

इस फिल्म का विरोध सिर्फ दिल्ली हाईकोर्ट तक ही सीमित नहीं है, बल्कि महाराष्ट्र और गुजरात हाई कोर्ट में फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की मांग की गई है। इसके अलावा मुस्लिम संगठनों ने इस मामले में राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप करने की गुहार भी लगाई है। वहीं, फिल्म के प्रोड्यूसर अमित जानी का कहना है कि फिल्म को सेंसर बोर्ड द्वारा सर्टिफाइड किया गया है। इसके बाद जो भी धमकियां दी जा रही हैं, वह अवैध और गैरकानूनी हैं।

फिल्म के समर्थन में विश्व हिंदू परिषद

वहीं, विश्व हिंदू परिषद (VHP) 'उदयपुर फाइल्स' फिल्म का खुलकर समर्थन कर रहा है। VHP का कहना है कि सच्चाई पूरे देश के सामने आनी चाहिए। VHP के राष्ट्रीय प्रवक्ता अमितोष पारीक ने कहा कि अगर जिहाद के नाम पर की गई कन्हैयालाल की हत्या का सच सामने आता है, तो उससे जमीयत को तकलीफ क्यों हो रही है? उन्होंने कहा कि फिल्में समाज का आईना होती हैं और हमेशा हकीकत दिखाने के लिए जानी जाती हैं। अमितोष पारीक ने कहा कि इससे पहले कश्मीर फाइल्स, केरल स्टोरी और साबरमती जैसी तमाम फिल्मों ने लोगों को सच्चाई से अवगत कराने का काम किया है।

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