गुरुग्राम एसटीएफ को 'सुप्रीम' झटका: दिल्ली के वकील विक्रम सिंह को SC से मिली राहत, जानें पूरा मामला
गुरुग्राम एसटीएफ ने दिल्ली के वकील विक्रम सिंह को 31 अक्टूबर 2025 के बाद अरेस्ट किया था। सुप्रीम कोर्ट ने आज उन्हें अंतरिम संरक्षण प्रदान करने का आदेश दिया।
सुप्रीम कोर्ट से गुरुग्राम एसटीएफ को झटका
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के वकील विक्रम सिंह को अंतरिम संरक्षण प्रदान किया है। वकील ने एक हत्या के मामले में गुरुग्राम एसटीएफ द्वारा अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी थी। भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई, न्यायमूर्ति विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की पीठ ने आज वकील को 10,000 रुपये के जमानत बांड प्रस्तुत करने पर रिहा करने का आदेश दिया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शीर्ष न्यायालय ने वकील के उस दावे को भी दर्ज किया, जिसमें बताया गया कि गुरुग्राम के पुलिस थाने में पेश होने के लिए बुलाया गया और बिना कोई आधार बताए गिरफ्तार कर लिया गया। वकील विक्रम सिंह की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने तर्क दिया कि इस तरह की कार्रवाई पूरी तरह से अनुचित है। प्रारंभिक दलीलें सुनने के बाद शीर्ष न्यायालय ने वकील विक्रम सिंह को अंतरिम राहत प्रदान की है।
साथ ही, गुड़गांव के पुलिस आयुक्त को आदेश से अवगत कराने का आदेश दिया। इसके अलावा, न्यायालय ने इस मामले पर अगली सुनवाई के लिए 19 नवंबर की तिथि तय करते हुए गुरुग्राम के संबंधित अधिकारियों से भी जवाब मांगा है, जिसमें याचिकाकर्ता ने अपने खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने की मांग की है।
वकील की तरफ से दिए गए ये तर्क
वकील विक्रम सिंह की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने आज तर्क दिया कि इस तरह की कार्रवाई पूरी तरह से अनुचित है। याचिका में कहा गया कि वकील पर किसी भी गलत काम का संदेह करने के लिए जिस एकमात्र सामग्री का सहारा लिया गया, वह भी अपुष्ट था और कानून में अस्वीकार्य था। इस मामले में किसी तरह की कोई वसूली नहीं हुई थी। उन्होंने तर्क दिया कि उनके मुवक्किल को बदले की भावना के अनुरूप फंसाया गया। उन्होंने पहले भी अपने मुवक्किल के साथ हिरासत में मारपीट और दुर्व्यवहार का आरोप लगाते हुए अदालत में आवेदन दिया था, और एसटीएफ ने बदले की कार्रवाई के रूप में 31 अक्टूबर को उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
उन्होंने कहा कि अगर ऐसे बदले की कार्रवाई होगी तो कोई भी आपराधिक कानून का अभ्यास करने वाला कोई भी वकील इन सबके लिए अतिसंवेदनशील होगा। वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने तर्क दिया कि अगर गुरुग्राम एसटीएफ की कार्रवाई को माफ कर दिया तो किसी भी आपराधिक वकील के साथ भविष्य में फिर से ऐसा हो सकता है। उन्होंने कहा कि हम नहीं कर रहे कि वकीलों को विशेष अधिकार है, लेकिन रिकॉर्ड में कुछ सबूत हैं, तो हिरासत में लिया जाना चाहिए... लेकिन ऐसा कोई सबूत नहीं है।
यह है पूरा मामला
दिल्ली के वकील विक्रम सिंह को गुरुग्राम एसटीएफ ने 31 अक्टूबर 2025 को अरेस्ट किया था। 1 नवंबर 2025 को उन्हें न्यायिक मजिस्ट्रेट, फरीदाबाद की कोर्ट के समक्ष पेश किया गया, जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। बताया जा रहा है कि यह मामला सूरजभान नामक व्यक्ति की हत्या से जुड़ा है। कथित तौर पर कपिल सांगवान उर्फ नंदू गिरोह ने यह हत्या की थी। विक्रम सिंह के मुवक्किल ज्योति प्रकाश उर्फ बाबू को इस मामले में 16 मार्च 2024 को अरेस्ट कर लिया गया।
याचिका के अनुसार एडवोकेट विक्रम सिंह अदालत में कई आवेदन दाखिल कर आरोप लगाया था कि पुलिस हिरासत में उनके मुवक्किल को प्रताड़ित किया जा रहा है। वहीं, गुरुग्राम एसटीएफ का दावा था कि वकील विक्रम सिंह को पर्याप्त सबूतों के आधार पर गिरफ्तार किया गया है।