Supreme Court: 'अब तक के कदम पूरी तरह फेल...,' दिल्ली में प्रदूषण को लेकर CJI सूर्यकांत की टिप्पणी
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट में प्रदूषण को लेकर सुनवाई के दौरान CJI सूर्यकांत ने टिप्पणीं की है। प्रदूषण के मामले में अगली सुनवाई 6 जनवरी को होगी।
सुप्रीम कोर्ट में प्रदूषण को लेकर सुनवाई।
Supreme Court: दिल्ली-एनसीआर में बढ़ रही वायु प्रदूषण की समस्या को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज 17 दिसंबर बुधवार को सुनवाई हुई है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सख्त मौखिक टिप्पणी की हैं, अदालत द्वारा कहा गया कि अब तक प्रदूषण पर काबू पाने के लिए जो कदम उठाए गए हैं, वे पूरी तरह असफल साबित हुए हैं।
सीजेआई सूर्यकांत की अगुवाई वाली बेंच ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि प्रदूषण को कम करने के लिए, 'तात्कालिक नहीं, बल्कि व्यापक और लॉन्ग टर्म प्लानिंग की जरूरत है।' सुनवाई के दौरान CJI सूर्यकांत ने वकीलों पर भी निशाना साधा, उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में एक्सपर्ट से सलाह कम मिलती है और वकील ही एक्सपर्ट बन जाते हैं।
कोर्ट ने दिल्ली सरकार द्वारा स्कूल बंद करने और हाइब्रिड मॉड की व्यवस्था को अस्थायी पॉलिसी बताया है। बेंच ने कहा ये फैसले केवल कुछ समय के लिए जोखिम को कम करने के उद्देश्य से लिए गए हैं। कोर्ट ने इस मामले में दखल देने से इनकार करते हुए कहा कि शॉर्ट टर्म उपाय बच्चों और बुजुर्गों को अस्थायी सुरक्षा देने के लिए हैं। बेंच द्वारा यह भी टिप्पणी की गई कि 'इन्हें सर्दियों की छुट्टियों का विस्तार मान सकते हैं, क्योंकि इस दौरान वैसे भी स्कूल 10 से 15 दिन बंद रहते हैं।'
कोर्ट ने क्या सुझाव दिया ?
- कोर्ट ने सुनवाई के दौरान दिल्ली की सीमाओं पर वाहनों की संख्या को कम करने के प्रयास में CJI सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) और दिल्ली नगर निगम (MCD) से राजधानी के एंट्री पॉइंट्स पर स्थित नौ टोल प्लाजा को शिफ्ट करने या अस्थायी रूप से बंद करने पर विचार करने के लिए कहा है।
- MCD को कोर्ट ने एक हफ्ते के भीतर यह तय करने का निर्देश दिया कि 'क्या इन टोल प्लाजा को सुचारू ट्रैफिक प्रवाह को सुविधाजनक बनाने और वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को कम करने के लिए अस्थायी रूप से बंद किया जा सकता है।'
- कोर्ट ने प्रदूषण की वजह से निर्माण कार्य पर प्रतिबंधों के कारण बेकार हुए निर्माण श्रमिकों का तुरंत वेरिफिकेशन करने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि उनके खातों में आर्थिक सहायता ट्रांसफर की जानी चाहिए।
7 हजार श्रमिकों का वेरिफिकेशन-सरकार
दिल्ली सरकार की तरफ से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने बेंच को बताया कि करीब 2.5 लाख पंजीकृत निर्माण श्रमिकों में से अब तक 7 हजार श्रमिकों का वेरिफिकेशन हो चुका है। श्रमिकों को आश्वासन दिया गया है कि पैसे सीधे उनके खातों में ट्रांसफर किए जाएंगे।
हालांकि बेंच ने कहा कि ट्रांसफर की प्रक्रिया में किसी तरह की कोई गड़बड़ी सामने नहीं आनी चाहिए, कहीं पैसा गायब हो जाए या किसी दूसरे खाते में चला जाए।' सरकार को यह भी निर्देश दिया गया है कि वह उन निर्माण श्रमिकों को वैकल्पिक काम देने पर विचार करें, जो प्रदूषण को कम करने के लिए लगाए गए प्रतिबंधों की वजह से कमाने में असमर्थ हैं।
CAQM क्या निर्देश दिए ?
कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) को निर्देश दिया गया है कि वह अपनी लंबी अवधि की रणनीतियों पर फिर से विचार करके उन्हें मजबूत करें। कोर्ट ने CAQM और NCR सरकारों से शहरी गतिशीलता, ट्रैफिक मैनेजमेंट और किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए प्रोत्साहन देने जैसे जरूरी मुद्दों की जांच करने के लिए कहा है। बेंच द्वारा अब पर्यावरणविद् एम सी मेहता द्वारा दायर जनहित याचिका पर 6 जनवरी को सुनवाई करेगी।
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