Samir Modi: कारोबारी समीर मोदी की बढ़ीं मुश्किलें, दिल्ली साकेत कोर्ट ने दी दुष्कर्म केस में जांच की मंजूरी

Samir Modi Rape Case: कारोबारी समीर मोदी के दुष्कर्म मामले की जांच को दिल्ली की साकेत कोर्ट ने मंजूरी दे दी है।

Updated On 2025-11-20 16:15:00 IST

समीर मोदी दुष्कर्म केस को साकेत कोर्ट ने दी जांच की मंजूरी। 

Samir Modi Rape Case: दुष्कर्म के मामले में फंसे कारोबारी समीर मोदी की मुश्किलें एक बार फिर से बढ़ गई हैं। दिल्ली की साकेत कोर्ट ने पुलिस को समीर मोदी के रिकॉर्ड पर आगे की जांच करने की परमिशन दे दी है। इसके अलावा अदालत ने कारोबारी के खिलाफ बलात्कार के आरोपों के संबंध में दाखिल आरोपपत्र पर अभी संज्ञान लेने से मना कर दिया है। अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विनोद जोशी की अदालत ने जांच अधिकारी द्वारा जांच के संबंध मे दी गई याचिका को मंजूर कर लिया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जांच अधिकारी द्वारा संबंधित अदालत और दिल्ली हाईकोर्ट के निर्देशों के अनुसार अतिरिक्त रिकॉर्ड फाइल करने का समय भी मांगा है। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि दिल्ली उच्च न्यायालय के 6 नवंबर 2025 और 11 नवंबर के आदेश को ध्यान में रखते हुए परमिशन दी गई है। इस मामले को अतिरिक्त रिकॉर्ड पेश करने के लिए 17 दिसंबर के लिए सूचीबद्ध कर दिया गया है।

सुनवाई के दौरान समीर मोदी की तरफ से सीनियर अधिवक्ता विक्रम शर्मा और अधिवक्ता सिद्धार्थ यादव पेश हुए। वकीलों ने तर्क दिया कि यह FIR समीर मोदी की शिकायत का जवाब है। दरअसल FIR दर्ज होने से पहले वकील के खिलाफ शिकायत दी थी, जिसमें वकील पर 15 करोड़ रुपए मांगने का आरोप लगाया गया था। शिकायत में यह भी कहा था कि मांग ना पूरी होने की स्थिति में समीर मोदी को झूठे मामले में फंसाने की धमकी दी गई थी।

दिल्ली पुलिस ने दाखिल किया था आरोपपत्र 

दिल्ली पुलिस ने समीर मोदी के खिलाफ एक कथित बलात्कार मामले में आरोपपत्र दाखिल किया है। आरोपपत्र 7 नवंबर को साकेत कोर्ट में दायर किया गया था। वहीं इस मामले में न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी पुलिस स्टेशन में रेप और धमकी के मामले में केस दर्ज किया गया था। समीर मोदी इन दिनों जमानत पर हैं।

मोदी ने FIR को रद्द करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। वहीं समीर मोदी के वकील का तर्क था कि पुलिस ने आरोपपत्र दाखिल करने से पहले उनके द्वारा दिए गए डॉक्यूमेंट्स पर कोई विचार नहीं किया है। जिसके बाद हाई कोर्ट ने निर्देश दिया था कि याचिकाकर्ता मोदी के पक्ष को भी संबंधित अदालत और जांच अधिकारी रिकॉर्ड पर लें।

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