MCD News: दिल्ली में नहीं दिखेंगे कूड़े के पहाड़, MCD ने बनाया खास प्लान

एमसीडी (MCD) अधिकारियों की मानें तो दिल्ली में अभी तक सात कूड़े के पहाड़ों से कचरा हटाकर 46 एकड़ जमीन को खाली करा दिया गया है। अब एमसीडी ने एक नई योजना बनाई है, जिससे कूड़े के पहाड़ तेजी से खत्म होंगे।

Updated On 2025-11-07 13:07:00 IST

एमसीडी ने चार नए सॉलिड वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट को दी मंजूरी

दिल्ली नगर निगम ने चार नए सॉलिड वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित करने की योजना को मंजूरी दे दी है। एमसीडी अधिकारियों की मानें तो शहर की मौजूदा लैंडफिल साइटों पर नया कचरा डालने की जरूरत नहीं पड़ेगी। ऐसे में दिल्ली के लोगों को कूड़े के पहाड़ों से जल्द निजात मिल सकेगी।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली के महापौर राजा इकबाल सिंह ने चार नए सॉलिड वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। यह नए संयंत्र भलस्वा, नरेला-बवाना, ओखला और सिंघोला में स्थापित किए जाएंगे। अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली में रोजाना 5000 मीट्रिक टन अतिरिक्त कूड़ा लैंडफिल साइटों पर पहुंचता है। इसके कारण कूड़े के पहाड़ों को खत्म करने के प्रयासों की रफ्तार धीमी दिखती है।

एमसीडी अधिकारियों का कहना है कि अब चार नए ठोस अपशिष्ट प्रसंस्करण संयंत्र को मंजूरी मिल चुकी है, लिहाजा इन संयंत्रों के शुरू होने से नए कचरे का मौके पर ही निपटान हो पाएगा। नए कचरे को पुरानी लैंडफिल साइटों पर भेजने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। इसके कारण जहां पुरानी लैंडफिल साइटों पर कचरे का निस्तारण तेजी से होगा, वहीं नए सॉलिड वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट में नए कचरे का मौके पर ही निस्तारण कर दिया जाएगा।

नए संयंत्रों पर कितनी लागत?

अधिकारियों ने बताया कि इन चार संयंत्रों पर अनुमानित लागत 361.42 करोड़ रुपये होगी। भलस्वा में स्थापित होने वाले नए संयंत्र की क्षमता 1800 मीट्रिक टन (टीपीडी) कचरा प्रतिदिन निस्तारित करने की होगी। सिंघोला संयंत्र की क्षमता 700 टीपीडी, ओखला में 1400 टीपीडी और नरेला-बवाना में बनने वाली इकाई की क्षमता 1200 टीपीडी होगी। अधिकारियों की मानें तो इन नए इकाइयों का निर्माण छह माह के भीतर होने की उम्मीद है, जिसके बाद तेजी से कूड़े के पहाड़ों को खत्म किया जा सकेगा।

कूड़े के पहाड़ों का दायरा कम हो रहा?

एमसीडी अधिकारियों की मानें तो दिल्ली में अभी तक सात कूड़े के पहाड़ों से कचरा हटाकर 46 एकड़ जमीन को खाली करा दिया गया है। इस जमीन का इस्तेमाल पौधारोपण में किया जाएगा। वहीं चार नए ठोस अपशिष्ट प्रसंस्करण संयंत्र के शुरू होने तक इस जमीन पर नए कचरे का भी निस्तारण किया जाएगा। यहां क्लिक कर पढ़िये विस्तृत खबर

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