ATC Functioning: एटीसी कैसे कंट्रोल करता है फ्लाइट सिस्टम, 400 से ज्यादा विमान ठप होने का क्या है कारण?
ATC Functioning: दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर AMSS में खराबी हो गई है। इसके कारण फ्लाइट्स में देरी हो रही है। बहुत सी फ्लाइट्स के आवागमन में देरी का सामना करना पड़ रहा है।
ATC Functioning: दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर फ्लाइट ऑपरेशन में बड़ी समस्या के कारण विमानों के आगमन और प्रस्थान में देरी हो रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इसके कारण 300 से 400 फ्लाइट अपने गंतव्य तक जाने या वहां से आने का इंतजार कर रही हैं। बड़ी बात ये है कि कई फ्लाइट्स को लैंड होने से पहले हवा में लंबे चक्कर लगाते हुए अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा है। इसकी वजह है एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) डेटा को सपोर्ट करने वाले ऑटोमैटिक मैसेज स्विचिंग सिस्टम (AMSS) में तकनीकी समस्या आ जाना।
अभी कंट्रोलर्स मैन्युअली फ्लाइट प्लान को मैनेज कर रहे हैं। इसके कारण फ्लाइट्स के संचालन में काफी देरी हो रही है। कहा जा रहा है कि तकनीकी टीम जल्द से जल्द सिस्टम को बहाल करने के लिए काम कर रही है। अब ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर ये एटीसी और एएमएसएस क्या होता है और कैसे काम करता है?
ATC का पूरा नाम एयर ट्रैफिक कंट्रोल है, जो हवाई जहाजों को निर्देशित करता है कि उन्हें जमीन पर, हवा में और आसमान में अलग-अलग जगहों पर कहां लेकर जाना है। साफ शब्दों में कहा जाए, तो जैसे जमीन पर ट्रैफिक पुलिस काम करती है, ठीक उसी तरह आसमान में हवाई जहाज के लिए एयर ट्रैफिक कंट्रोलर काम करता है। इसका उद्देश्य है कि हवाई जहाजों के बीच होने वाले एक्सीडेंट्स से बचाव किया जा सके। उड़ानों में होने वाली देरी को कम किया जा सके। साथ ही मौसम और अन्य समस्याओं के दौरान मदद करना भी इसका मुख्य उद्देश्य है।
ATC केवल एयरपोर्ट पर ही नहीं बल्कि पूरे देश या दुनिया के हवाई क्षेत्रों में काम करता है। भारत में एटीसी की मदद करने का काम DGCA (डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन) और AAI (एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया) को सौंपा गया है।
क्या है AMSS?
एटीसी में एक बहुत जरूरी कंप्यूटर सिस्टम होता है, जिसका नाम एएमएसएस है। ये हवाई जहाजों की उड़ानों से जुड़ी खबरें और मैसेज तेजी से भेजने और लाने का काम करता है। इसकी मदद से एयरपोर्ट्स, मौसम की जानकारी, फ्लाइट प्लान और सुरक्षा अलर्ट जैसे मैसेज को एक जगह से दूसरी जगह पर भेजा जाता है। भारत में एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया इसका संचालन करती है। अगर ये सिस्टम खराब हो जाता है, तो कंट्रोलर्स को हाथ से काम करना पड़ता है, जिससे फ्लाइट्स में देरी होती है।
वहीं अगर एएमएसएस की बात करें, तो AMSS की स्पेसिफिकेशन बहुत आसान और आधुनिक है। ये आईपी बेस्ड कंप्यूटर सिस्टम है। ये AFTN (एयरोनॉटिकल फिक्स्ड टेलीकम्युनिकेशन नेटवर्क) से जुड़ा होता है। इसकी रेंज केवल देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया तक फैली हुई है। ये प्राथमिकता के आधार पर मैसेज भेजता है। ये ऑटोमेटेड वर्कफ्लो का इस्तेमाल करता है, जो मैसेज को सुरक्षित और तेज भेजता है। देश के बड़े एयरपोर्ट्स जैसे- दिल्ली और मुंबई में नया IP-AMSS लगाया गया है। ये बिना रुके 99 प्रतिशत काम करता है।
एटीसी सिस्टम बहुत एडवांस तकनीक पर आधारित है। इसमें हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और इंसानों का मिश्रण होता है, जैसे-
- रडार सिस्टम: एटीसी में रडार सिस्टम होता है, जो हवाई जहाजों को उनकी स्थिति के आधार पर ट्रैक करता है। रेडियो तरंगे भेजकर जहाजों को डिटेक्ट करना भी इसका काम है।
- कम्युनिकेशन सिस्टम: ये पायलट और एटीसी के बीच बातचीत करने का एक माध्यम है, जिसकी मदद से पायलट समस्याओं के बारे में बताता है।
- नेविगेशन एड्स: खराब मौसम में लैंडिंग के लिए नेविगेशन एड्स काम करता है। ये रेडियो बीम से जहाज को रनवे पर गाइड करता है।
- ऑटोमेशन और सॉफ्टवेयर: उड़ानों के डाटा को मैनेज कर उन्हें मौसम अपडेट और शेड्यूल आदि के बारे में बताता है। इसमें लगा सॉफ्टवेयर कॉन्फ्लिक्ट अलर्ट (टक्कर का खतरा बताना), ट्रैफिक फ्लो ऑप्टिमाइजेशन करता है।
- मानव संसाधन: मानव संसाधन के तहत कंट्रोलर्स होते हैं, जो ट्रेनिंग के बाद काम करते हैं।
बता दें कि दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे (IGI) पर एयर ट्रैफ़िक कंट्रोल (ATC) सिस्टम में तकनीकी खराबी आ गई है। इसके कारण 300-400 विमानों के आवागमन में दिक्कत आ रही है। इसके कारण यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसका असर देश भर में एयरपोर्ट्स और फ्लाइट्स पर देखने को मिल रहा है।