Delhi Yamuna River: यमुना की लहरों से अकबर को मिलती थी ठंडक, रानियां भी उठाती थीं लुत्फ

दिल्ली में एक समय था जब मुगल काल में लाल किले के किनारे यमुना नदी बहा करती थी। लाल किले के पास से बहती यमुना का मुगल शासक अकबर और उनकी रानियों ने काफी फायदा उठाया।

Updated On 2025-09-11 07:50:00 IST

दिल्ली की यमुना नदी

Delhi Yamuna River: आज के समय में दिल्ली की अधिकतर जनता यमुना नदी के पानी पर निर्भर है। यमुना नदी के पानी को साफ करके पीने लायक बनाया जाता है। इसके बाद यही पानी लोगों के घरों में इस्तेमाल होता है। हालांकि इस नदी का इतिहास भी काफी पुराना है। एक समय हुआ करता था, जब मुगल बादशाह अकबर भी इस नदी का इस्तेमाल करते थे। कहा जाता है कि गर्मीयों तपती रातों में अकबर नदी की ठंडी लहरों पर बंधी नाव में सोया करते थे। हालांकि अकबर ही नहीं बल्कि जहांगीर भी ऐसा ही करते थे। आइए जानते हैं कैसे?

शाही रानियां और नौका-विहार

जब मुगल बादशाह अकबर ने दिल्ली को अपनी राजधानी बनाया था। तब उन्होंने यमुना नदी का अपने मनोरंजन के लिए भरपूर फायदा उठाया था। रात होते ही उनकी रानियां, दासियां और हरम की महिलाएंं नौकाएं लिए अपने अंगरक्षकों के साथ लाल किले के रिवर गेट से जाया करती थीं।

इन सब बातों का जिक्र फ्रांसीसी यात्री फ्रांस्वा बर्नियर ने अपनी किताब 'ट्रेवल्स इन द मुगल एम्पायर' में किया है। इसमें उन्होंने अकबर के दरबार की शान-शौकत और यमुना नदी के किनारे होने वाली रौनक का वर्णन किया है। बर्नियर ने अपनी किताब में लिखा है कि रात के अंधेरे में यमुना नदी में शाही नावें तैरा करती थीं, जिन्हें बजरा कहा जाता था। इन नावों में दीपक जला करते थे, मधुर संगीत की धुनें गुंजा करती थीं।

मुगल काल के तैराकी उत्सव

मुगल काल में तैराकी के उत्सव हुआ करते थे। इस उत्सव को उस्ताद-ए-तैराकी कहा जाता था। सावन-भाद्रपद के महीने में एक तैराकी मेले का आयोजन हुआ करता था। इस मेले में मुगल शहजादों के हुनर और हिम्मत की परीक्षा ली जाती थी। वहीं मुगल रानियां रात के अंधेरे में तैरने का आनंद लेती थीं, ताकि आम लोग उन्हें देख न सकें।

औरंगजेब और यमुना की बाढ़ 

ये बात 1660 की है, जब औरंगजेब के शासन काल का दौर था। एक बार यमुना में बाढ़ आ गई। इस नदी का पानी लाल किले के अंदर दीवान-ए-खास तक पहुंच गया। बाढ़ ने दिल्ली के चांदनी चौक, दरियागंज और कई बाजारों को काफी नुकसान पहुंचाया था। इस तरह बाढ़ के पानी को देखते हुए औरंगजेब ने यमुना नदी के किनारे बांध बनवाए ताकि भविष्य में इस तरह की कोई और घटना घटित न हो।

फकीर की तपस्या से कम हो गया था बाढ़ का पानी

दिल्ली में पहले अनेकों बार बाढ़ आ चुकी है। साल 1900 की शुरुआत में आई बाढ़ ने दिल्ली के लोगों को खूब सताया था। इसी तरह 1924 में आई बाढ़ ने तो यहां के लोगों को हिला डाला। उस समय यमुना नदी का पानी पुरानी दिल्ली के कई मोहल्लों के अंदर घुस गया था। उस बाढ़ को आज भी लोग बड़ी बाढ़ के नाम से जानते हैं। इन सब बातों का जिक्र आर.वी.स्मिथ ने अपनी किताब 'द बिल्ट हैरीटेज' में किया है। इस किताब में लिखा है कि स्थानीय लोग यमुना के रौद्र रूप को शांत करने के लिए इस नदी में फूल और घी का दीपक जलाकर बहाया करते थे। कहा जाता है कि इस दौरान एक बुजुर्ग फकीर की तपस्या से यमुना का पानी काफी कम हो गया था। 

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