Delhi Water Pollution: दिल्ली का पानी हुआ जहरीला, बढ़ सकता कैंसर और किडनी खराब होने खतरा

राजधानी में हवा के साथ-साथ पानी भी प्रदूषित हो गया है। दिल्ली के कई इलाकों में भू-जल में यूरेनियम की मात्रा बढ़ गई है, जिससे कैंसर और किडनी संबंधित भंयकर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

Updated On 2025-12-08 16:05:00 IST

दिल्ली कई इलाकों में प्रदूषित हुआ भू-जल

Delhi water pollution: दिल्ली का वातावरण इस समय पूरी तरह से प्रभावित हो चुका है। क्योंकि ऐसा बताया जा रहा है कि यहां की हवा के साथ-साथ पानी भी प्रदूषित हो चुका है। भूजल की रिपोर्ट में यूरेनियम, लेड, फ्लोराइड और इलेक्ट्रिकल कंडक्टिविटी की मात्रा सामान्य से अधिक पाई गई है। ऐसा पानी पीने से लोगों को स्किन प्रॉब्लम और किडनी कैंसर जैसी तमाम बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है।

दिल्ली-एनसीआर में जहां एक तरफ लोग जहरीली हवा में सांस लेने के लिए मजबूर हैं तो वहीं दूसरी तरफ भू-जल की एक रिपोर्ट ने दिल्लीवासियों की चिंता को दोगुना कर दिया है। हाल में ग्राउंड वाटर बोर्ड की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि दिल्ली के कई इलाकों में भूजल में यूरेनियम की मात्रा सामान्य से अधिक हो गई है। इसके अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन पहले भी साफ कर चुका है कि पीने के पानी में यूरेनियम की मात्रा अधिक होने से किडनी के फिल्टर करने की क्षमता कम हो जाती है। इससे हमारी बॉडी में टॉक्सिक पदार्थ इकट्ठा होने लगते हैं।

साथ ही यूरिन से संबंधित समस्याएं भी बढ़ सकती हैं। ऐसी स्थिति में बुजुर्गों और बच्चों में खतरा और भी ज्यादा बढ़ जाता है। शरीर में लंबे समय में बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है और बॉडी में सेल डैमेज भी हो सकते हैं। वहीं ऐसे पानी का लगातार सेवन करने से सबसे खतरनाक बीमारी कैंसर होने की संभावना भी बढ़ जाती है।

दिल्ली में रेनीवेल और ट्यूबवेल के माध्यम से लाखों घरों में पानी पहुंचता है। ऐसे में भूजल में यूरेनियम, फ्लोराइड और अन्य हानिकारक तत्वों की मात्रा बढ़ने से बीमार होने होने का खतरा बढ़ जाता है। पीने के पानी में यूरेनियम की मात्रा बढ़ने से लोगों को धीरे-धीरे दिक्कत होना शुरू हो जाती है।

यूरेनियम मूल रूप से धरती की चट्टानों में पाया जाता है और जब भू-जल गहराई में जाता है तो यह चट्टानों के संपर्क में आ जाता है। जिससे धीरे-धीरे यूरेनियम पानी में घुल जाता है। दिल्ली सरकार को इस मुद्दे पर गंभीरता दिखानी चाहिए और तत्काल इस पर कार्रवाई करनी चाहिए ताकि कि हेल्थ क्राइसिस से बचा जा सके।

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