Independence Day 2025: यहां सिर्फ देश का PM फहरा सकता है तिरंगा, सुभाष चंद्र बोस ने भी देखा था सपना
दिल्ली में लाल किले का मुख्य द्वार लाहौरी है, जहां पर हर साल 15 अगस्त को सिर्फ देश के प्रधानमंत्री को तिरंगा फहराने का हक होता है। चलिए जानते है इसके पीछे की कहानी...
दिल्ली के लाल किले का लाहौरी गेट
Delhi Lahori Gate: भारत में हर साल 15 अगस्त बड़ी धूमधाम से स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है। हर साल इस दिन हमारे देश के प्रधानमंत्री लाल किले के लाहौरी गेट से तिरंगा फहराते है। तिरंगा फहराने का हक सिर्फ देश के PM को होता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर झंडा फहराने के लिए लाल किले को ही क्यों चुना गया था? आइए जानते है इसके पीछे की कहानी..
भारत 15 अगस्त 1947 को 200 सालों की गुलामी के बाद ब्रिटिश शासन से आजाद हुआ था। आजादी के इस पर्व पर पहली बार 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता दिवस बड़ी धूमधाम से मनाया गया था, इस दिन देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने लाल किले की प्राचीर पर जाकर लाहौरी गेट से राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया था। तब से लेकर आज तक इसी गेट से तिरंगा फहराये जाने की यह परंपरा बनी हुई है। झंडा फहराने से पहले उसी दिन वहां से यूनियन जैक को भी हटाया गया। भारत देश 15 अगस्त 2025 को अपनी स्वतंत्रता की 78वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है।
लाल किले के गेट का नाम क्यों पड़ा लाहौरी?
हमारे देश में जब मुगलों का शासन था, तब मुगल राजा और उनका परिवार दिल्ली के लाल किले में रहता था। लाल किले के इस गेट से निकलने वाला रास्ता सीधा लाहौर तक जाता था। इस कारण इसका नाम लाहौरी पड़ गया था। आज लाहौर पाकिस्तान के हिस्से में है। लाहौरी गेट उस समय से ही लाल किले का मुख्य द्वार रहा है। मुगल इसी गेट से शाही जुलूस निकाला करते थे। यह मुख्य द्वार शुरू से ही दिल्ली की शान और ताकत रहा है।
अंग्रेजों का यूनियन जैक का किस्सा
अंग्रेजों ने भारत को लगभग 200 सालों तक गुलामी की जंजीरों में जकड़ कर रखा था। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में भारत की हार के बाद अंग्रेजों ने लाहौरी गेट पर ही अपने देश का यूनियन जैक फहराया था। यह यूनियन जैक दिल्ली और देश पर कब्जे का सूचक था। देश की आजादी के बाद यूनियन जैक को हटाकर भारत ने अपना राष्ट्रीय ध्वज फहरा कर पूरी दुनिया में अपनी आजादी का ऐलान किया था।
प्रधानमंत्री ही लाल किले से फहराएगा तिरंगा
पहली बार प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने झंडा फहराकर लाल किले के लाहौरी गेट से भारत को संबोधित किया था। तभी यह नियम बनाया गया था कि लाहौरी गेट पर तिरंगा फहराने का हक सिर्फ देश के प्रधानमंत्री को साल में एक बार 15 अगस्त के दिन होगा।
ध्वजारोहण पर 21 तोपों की सलामी
15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण के समय 21 तोपों की सलामी दी जाती है। भारतीय सेना इस दिन के आलावा भी कई विशेष मौकों पर भी 21 तोपों की सलामी देती है। ऐसा करना देश के लिए गौरव की बात है।
सुभाष चंद्र बोस का अधूरा सपना
सुभाष चंद्र बोस ने 21 अक्टूबर 1943 में आजाद हिंद सरकार का गठन करने के बाद लाल किले पर INA का झंडा फहराने का सपना देखा था। हालांकि उनका यह सपना अधूरा रह गया था।