Delhi Pollution: जंतर-मंतर पर प्रदूषण को लेकर प्रदर्शन, साफ हवा के लिए जद्दोजहद जारी
Delhi Pollution: दिल्ली में प्रदूषण को लेकर जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि अगर सरकारें विज्ञापनों और अभियानों पर करोड़ों खर्च कर सकती हैं, तो साफ हवा के लिए क्यों नहीं?
दिल्ली प्रदूषण को लेकर जंतर-मंतर पर प्रदर्शन।
Delhi Pollution: दिल्ली में बिगड़ती हवा और गंभीर प्रदूषण स्तर के खिलाफ आज जंतर-मंतर पर बड़ा प्रदर्शन हुआ। इस प्रदर्शन में कई लोग प्लेकार्ड्स लेकर सिटीजन मार्च के लिए पहुंचे। उन्होंने सरकार से तुरंत कार्रवाई की मांग की। उनका कहना है कि अगर सरकारें विज्ञापनों और अभियानों पर करोड़ों खर्च कर सकती हैं, तो साफ हवा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम क्यों नहीं उठा सकतीं?
दिल्ली में हर तरफ काला धुआं और जहरीली हा के कारण दिल्ली में हर उम्र के लोग इस आंदोलन में शामिल हुए। भीड़ में लोगों ने मास्क पहना हुआ था। कुछ प्रदर्शनकारी ऐसे विशेष रासायनिक सुरक्षा मास्क लगाकर पहुंचे जो उद्योगों में उपयोग होते हैं। उनका कहना था कि ये मास्क प्रदूषण के लिए सुरक्षा नहीं बल्कि आने वाले समय की चेतावनी है। लोगों ने कहा कि अगर आज कार्रवाई नहीं हुई, तो कल ये मास्क हमारी मजबूरी बन जाएगी।
प्रदर्शनकारियों द्वारा लगाए गए प्लेकार्ड्स में नागरिकों की पीड़ा और गुस्सा साफ झलक रहा था। लोगों ने इस दौरान प्रदूषण के खिलाफ और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। लोगों का कहना है कि हर साल सर्दियों के साथ स्मॉग सीजन के साथ बढ़ता है लेकिन समाधान की गति हमेशा धीमी रहती है।
बता दें कि इस प्रदर्शन को पर्यावरणविद भावरीन कंधारी और सामाजिक कार्यकर्ता विमलेंदु झा ने लीड किया। दोनों ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि दिल्ली में वायु प्रदूषण अब मौसम का मुद्दा नहीं रह गया है। ये अब स्थायी स्वास्थ्य संकट बन चुका है। उन्होंने कहा कि लोग अब प्रदूषण के बारे में शिकायत नहीं कर रहे बल्कि हक की लड़ाई लड़ने के लिए सड़क पर उतर आए हैं।
कुछ दिन पहले ही इंडिया गेट पर वायु प्रदूषण के खिलाफ इसी तरह का प्रदर्शन हुआ था। कई परिवार छोटे बच्चों के साथ वहां पहुंचे थे। उन लोगों ने बताया था कि प्रदूषण ने उन्हें घरों में कैद कर दिया है। उस प्रदर्शन ने साफ संदेश दिया कि राजधानी के लोग अब सही से सांस लेने को लेकर गंभीर रूप से चिंतित हैं। जंतर मंतर का आज का मार्च इस बढ़ती जनभावना का विस्तार था। उन्होंने कहा कि सरकारें अगर विज्ञापनों और अभियानों पर करोड़ों खर्च कर सकती हैं, तो साफ हवा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम क्यों नहीं उठा सकतीं?