दिल्लीवालो सावधान: स्मोक न करने वालों को भी कैंसर का खतरा, डराने वाली है ये रिपोर्ट

World Lung Cancer Day: दिल्ली के युवाओं में लंग कैंसर का खतरा बढ़ता जा रहा है। डॉक्टरों ने हवा की खराब गुणवत्ता इसका सबसे बड़ा कारण बताया है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

Updated On 2025-08-01 16:35:00 IST

दिल्ली में लंग कैंसर का खतरा।

World Lung Cancer Day: आज 1 अगस्त को पूरे विश्व में लंग कैंसर डे मनाया जा रहा है। इस बीच दिल्ली के लोगों को डराने वाली रिपोर्ट सामने आई है। एशिया पैसिफिक लंग कैंसर पॉलिसी कंसेंसस की रिपोर्ट के मुताबिक, वायु प्रदूषण से होने वाले लंग कैंसर के मामलों में इजाफा देखने को मिला है। इस रिपोर्ट में वायु प्रदूषण से जुड़ी समस्याओं पर फोकस किया गया, जिसका खतरा दिल्ली में ज्यादा है। राजधानी दिल्ली की हवा में मौजूद पीएम 2.5 और धुंध के कारण लंग कैंसर के मामलों में इजाफा हो रहा है।

राजधानी में हवा की गुणवत्ता गुणवत्ता सुरक्षित स्तर से 8 से 10 गुना ज्यादा खतरनाक है। हैरान करने वाली बात है कि इन मरीजों में स्मोकिंग ने करने वाले लोग भी शामिल है। इसका मतलब है कि अगर आप स्मोक (धूम्रपान) नहीं करते हैं, तो भी आपको लंग कैंसर हो सकता है। दिल्ली में कुल कैंसर के मामलों में लंग कैंसर के मामले ज्यादा सामने आ रहे हैं। इसका ज्यादा खतरा पुरुषों में देखने को मिला है और डेथ रेट में भी इजाफा हुआ है।

दिल्ली में बढ़ रहे कैंसर के मामले

राजधानी दिल्ली में लंग कैंसर के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। दिल्ली कैंसर रजिस्ट्री के अनुसार, साल 1988 में पुरुषों में सभी कैंसर के मामलों में फेफड़ों के कैंसर की दर 8.4 फीसदी था, जो कि साल 2015 में बढ़कर 10.6 फीसदी हो गया। इसी अवधि के दौरान महिलाओं में भी लंग कैंसर की दर 1.9 फीसदी से बढ़कर साल 2015 में 3.4 फीसदी हो गई।

जर्नल ऑफ थोरेसिक ऑन्कोलॉजी (जेटीओ) की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2020 में दुनिया भर के कैंसर के कुल मामलों में से भारत में 5.9 फीसदी मामले थे, जबकि कैंसर से जुड़ी 8.1 फीसदी मौतें हुई थीं। इनमें सबसे ज्यादा मामले लंग कैंसर के थे।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, एम्स के रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग के डॉ. अभिषेक शंकर का कहना है कि अब दिल्ली में वायु प्रदूषण और लंग कैंसर के बीच संबंध सिर्फ शक नहीं, बल्कि हकीकत है।

स्मोक न करने वालों को भी लंग कैंसर का खतरा

डॉक्टरों की मानें, तो अब स्मोक न करने वाले लोगों को भी लंग कैंसर हो रहा है। गंगा राम अस्पताल और लंग केयर फाउंडेशन की एक स्टडी में पता चला कि साल 1988 में लंग कैंसर के मरीजों में 90 फीसदी लोग स्मोकिंग यानी धूम्रपान करते थे। साल 2018 में यह संख्या 50 फीसदी तक पहुंच गई। हैरान करने वात है कि 50 साल से कम उम्र के जिन मरीजों ने लंग कैंसर की सर्जरी करवाई, उनमें से 50 70 प्रतिशत धूम्रपान नहीं करते थे। इतना ही नहीं, 30 साल से कम उम्र के किसी भी मरीज ने धूम्रपान नहीं किया था।

क्या है इसका कारण?

दिल्ली में आखिर लंग कैंसर के मामले क्यों बढ़ रहे हैं? इसके पीछे सबसे बड़ी वजह दिल्ली की पर्यावरण बताई जा रही है। डॉक्टरों का कहना है कि लंग कैंसर होने वाले कारणों में वाहनों से निकलने वाले उत्सर्जन, लंबे समय तक निष्क्रिय धुएं, औद्योगिक प्रदूषकों, खाना पकाने के तेल के वाष्प और कोयले जैसे घरेलू ईंधन के संपर्क में रहना शामिल है। इसके अलावा एक्सपर्ट्स वायु प्रदूषण और ईजीएफआर जैसे ऑनकोजेनिक म्यूटेशन भी इसके कारण हो सकते हैं।

एम्स के डॉक्टर शंकर ने कहा उन युवा महिलाओं में भी लंग कैंसर के देखने को मिले हैं, जिन्होंने कभी धूम्रपान (स्मोक) नहीं किया। इन महिलाओं में कैंसर के सबसे बड़ा कारण है जहरीली हवा। डॉ. शंकर ने कहा कि दिल्ली में लंग कैंसर के मामलों को कम करने के लिए हवा को साफ करना सबसे ज्यादा जरूरी है। 

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