प्रदूषण पर सरकार का फैसला: दिल्ली के दफ्तरों में 50 प्रतिशत वर्क फ्रॉम होम जरूरी, मजदूरों को 10 हजार का मुआवजा

Delhi Pollution: दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए सरकार ने दफ्तरों में 50 प्रतिशत वर्क फ्रॉम होम अनिवार्य कर दिया है। इसके अलावा मजदूरों के मुआवजा देने का फैसला भी किया है।

Updated On 2025-12-17 12:31:00 IST

दिल्ली में 50 प्रतिशत वर्क फ्रॉम होम जरूरी। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Delhi Pollution: दिल्ली-एनसीआर में लगाता बढ़ रहे प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए सरकरा ने बड़ा ऐलान किया है। दिल्ली में कल यानी 18 दिसंबर गुरुवार को प्राइवेट और सरकारी दफ्तरों में 50 प्रतिशत वर्क फ्रॉम होम जरूरी कर दिया गया है। सरकार ने यह फैसला प्रदूषण को कम करने और सड़कों पर गाड़ियों की संख्या को घटाने के लिए लिया गया है। ऐसा कहा जा रहा है कि,जो संस्थान नियमों का पालन नहीं करेगी या उसका उल्लंघन करने पर उसके खिलाफ भारी जुर्माना लगाया जाएगा।

प्रदूषण को देखते हुए सरकार ने 16 दिन के लिए एनसीआर में ग्रेप-3 नियमों को लागू किया गया था। ऐसे में निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी गई थी, जिसकी वजह से रजिस्टर्ड कंस्ट्रक्शन मजदूरों की आर्थिक स्थिति पर प्रभाव पड़ा है, इसे देखते हुए दिल्ली सरकार ने मजदूरों को 10 हजार रुपए मुआवजा देने का ऐलान किया है।

दिल्ली कैबिनेट मंत्री कपिल मिश्रा के मुताबिक,'सभी सरकारी और निजी संस्थानों में 50 प्रतिशत वर्क फ्रॉम होम करना अनिवार्य होगा।' दूसरी तरफ श्रम विभाग ने फैसला लिया है कि ग्रेप-3 के दौरान 16 दिन के लिए निर्माण कार्य बंद कर दिया गया था, ऐसे में सरकार प्रभावित रजिस्टर्ड मजदूरों को मुआवजा देगी। ऐसा भी कहा जा रहा है कि ग्रेप-4 के खत्म हो जाने के बाद भी इसी आधार पर राहत दी जाएगी।  

किन सेक्टरों पर लागू नहीं होगा नियम ?

मंत्री कपिल मिश्रा का कहना है कि श्रम विभाग की ओर से निर्देश दिए गए हैं कि सरकारी और प्राइवेट दफ्तरों में 18 दिसंबर से 50 प्रतिशत कर्मचारी ऑफिस और 50 प्रतिशत कर्मचारी वर्क फ्रॉम होम करेंगे। इस नियम से कुछ सेक्टरों को छूट दी गई, जिसमें फायर ब्रिगेड, अस्पताल, जेल प्रशासन, सार्वजनिक परिवहन, डिजास्टर मैनेजमेंट, फॉरेस्टिक विभाग, म्यूनिसिपल सर्विस, सेनिटेशन, इलेक्ट्रिसिटी और वॉटर जैसे सेक्टर शामिल हैं।

दिल्ली सरकार की तरफ से यह भी कहा गया है कि काम के समय में भी बदलाव किया जाएगा। कपिल मिश्रा ने कहा कि जरूरी नहीं कि सभी स्टाफ को एक ही बार बुलाकर एक साथ वापस भेजा जाए। ऐसे में संस्थान काम के समय में बदलाव कर सकते हैं, सभी का समय अलग-अलग रखना जरूरी है।  

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