Delhi Blast: 'जान लेना जायज, देना नाजायज'? 'सुसाइड हराम' कह फिदायीन बनने से किया था इनकार
Delhi Blast: दिल्ली ब्लास्ट के बाद व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल की जांच में नया खुलासा हुआ है। पूछताछ में एक आरोपी ने बताया कि उसने फिदायीन बनने से इनकार कर दिया था।
दिल्ली धमाके का मुख्य आरोपी उमर नबी।
Delhi Blast: दिल्ली धमाके के व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल की जांच में एक नया खुलासा हुआ है। पूछताछ में पता चला कि टेरर मॉड्यूल का मुख्य योजनाकार डॉ. उमर नबी पिछले साल से ही एक आत्मघाती हमलावर की तलाश कर रहा था। उसके एक सह-आरोपी ने बताया कि उमर ने उसे फिदायीन बनाने की कोशिश की थी। हालांकि उसने उसे ये कहते हुए इनकार कर दिया था कि इस्लाम में सुसाइड हराम है। इससे ये साफ है कि आरोपियों की नजरों में जान लेना जायज है और देना नाजायज है।
पूछताछ में पता चला है कि व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल का मुख्य योजनाकार डॉ. उमर नबी पिछले साल से ही एक आत्मघाती हमलावर की तलाश कर रहा था। इसके लिए उसने एक सह-आरोपी से इसके बारे में पूछा था कि क्या वो फिदायीन बनेगा? लेकिन उसने इस बात से साफ इनकार कर दिया। हालांकि उसने इस्लाम में सुसाइड हराम है का हवाला देकर आत्मघाती हमलावर बनने से इनकार कर दिया था।
इससे साफ हो गया कि डॉ. उमर कट्टर कट्टरपंथी था। उसे अपने मनसूबों को मुकम्मल करने के लिए आत्मघाती हमलावर चाहिए था। बता दें कि डॉ. उमर नबी 10 नवंबर 2025 दिल्ली के लाल किले के पास विस्फोटकों से लदी कार में मारा गया था। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, श्रीनगर पुलिस ने दक्षिण कश्मीर के काजीगुंड में एक टीम भेजी। वहां डॉ. अदील राथर और डॉ. मुजम्मिल गनई समेत सह-आरोपियों से पूछताछ की गई। इस पूछताछ के आधार पर राजनीति विज्ञान में स्नातक जसीर उर्फ 'दानिश' को हिरासत में लिया गया।
दानिश ने बताया कि वो पिछले साल अक्टूबर में कुलगाम की एक मस्जिद में 'डॉक्टर मॉड्यूल' से मिला था। यहां से उसे फरीदाबाद के अल फलाह यूनिवर्सिटी में किराए के मकान में ले जाया गया। हिरासत में लिए गए दानिश ने बताया कि टेरर मॉड्यूल के लोग उसे जैश-ए-मोहम्मद के लिए एक ओवरग्राउंड वर्कर बनाना चाहते थे। कई महीनों तक उसका ब्रेनवॉश किया गया। उससे कहा गया कि वो आत्मघाती हमलावर बन जाए।
इस साल अप्रैल के महीने में धमाके की तैयारी के दौरान उसने अपनी आर्थिक स्थिति को कमजोर बताया। साथ ही उसने आत्महत्या को इस्लाम में हराम का हवाला देते हुए फिदायीन बनने से इनकार कर दिया। अधिकारियों का मानना है कि 6 दिसंबर को बाबरी ढांचा विध्वंस की बरसी के आसपास ये हमला होना था। हालांकि डॉक्टर उमर जल्दबाजी में ये हमला कर बैठा।