Delhi Air Pollution: पंजाब की आग... अब ज्वालामुखी की राख; दिल्ली की हवा में सांस लेना हुआ मुश्किल
Delhi Air Pollution: दिल्ली बीजेपी का आरोप था कि पंजाब में पराली जलने की वजह से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। लेकिन अब इथोपिया में ज्वालामुखी फटने से राजधानी की वायु और प्रदूषित होने की आशंका बढ़ गई है।
दिल्ली में हवा की गुणवत्ता खराब श्रेणी में पहुंची।
Delhi Air Pollution: दिल्ली में हवा की गुणवत्ता लगातार खराब होती जा रही है। ऐसे में लोग खराब हवा में सांस लेने के लिए मजबूर हो रहे हैं। राजधानी की हवा 12वें दिन भी खराब श्रेणी में दर्ज की गई है। शहर का कुल AQI 353 रहा है, जबकि 24 घंटे का औसत AQI 352 दर्ज किया गया है।
मौसम विभाग ने संभावना जताई है कि 26 से 28 नवंबर तक हवा में कोई खास सुधार देखने को नहीं मिलेगा। हवा की गुणवत्ता बेहद खराब होने के कारण लोगों को सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन और गले में खराश जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
ज्वालामुखी फटने से हवा पर असर
बता दें कि इथियोपिया के अफार इलाके में हायली गुब्बी नाम का ज्वालामुखी फट गया था, जिसकी वजह से दिल्ली की हवा और भी ज्यादा बिगड़ने की संभावना है। ऐसा कहा जा रहा है कि ज्वालामुखी फटने से इसकी राख करीब 14 किलोमीटर ऊंचाई तक पहुंचकर पूर्व दिशा में फैल रही है। मौसम विभाग (IMD) का कहना है कि राख का बड़ा हिस्सा चीन की ओर से आ रहा है। ऐसे में संभावना है कि दिल्ली-एनसीआर, गुजरात, राजस्थान, पंजाब और हरियाणा पर इसके हल्का प्रभाव हो सकता है।
CPCB बोर्ड ने बताया आंकड़ा
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के ताजा आंकड़ों में सामने आया है कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा में AQI 409 और 414 तक पहुंच गया है, जिसे खतरनाक श्रेणी में माना जाता है। वहीं दिल्ली का औसत AQI 389 है, जिसे गंभीर श्रेणी में दर्ज किया गया है। वहीं दिल्ली के गाजीपुर, साउथ एक्सटेंशन, इंडिया गेट, धौला कुआं और AIIMS एरिया में हवा की गुणवत्ता बेहद खराब श्रेणी में बनी हुई है।
ग्रेटर नोएडा में AQI 414 (खतरनाक), नोएडा में 409 (खतरनाक), गाजियाबाद में 395 (खतरनाक), दिल्ली में 389 (गंभीर), लखनऊ में 362 (गंभीर), चंडीगढ़ में 306 (गंभीर) AQI दर्ज किया गया।
पुणे की भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान की निर्णय सहायता प्रणाली (DSS) का कहना है कि दिल्ली के बढ़ रहे प्रदूषण में गाड़ियों का योगदान 19.6 प्रतिशत देखने को मिला है। पराली जलाने में केवल 1.5 प्रतिशत प्रदूषण दर्ज किया गया है। प्रदूषण को बढ़ाने में राजधानी में हो रहे निर्माण कार्य भी अहम योगदान दे रहे हैं।
डॉक्टरों ने दी सलाह
डॉक्टरों का कहना है कि प्रदूषण और खराब हवा में सांस लेने की वजह से फेफड़ों की क्षमता कमजोर हो जाती है। प्रदूषण में दिल की बीमारी, अस्थमा जैसी परेशानियों का भी लोगों को सामना करना पड़ता है। ज्यादातर इस हवा में रहने से क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस, अस्थमा, और केंसर का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में डॉक्टरों ने लोगों को मास्क पहनने, घर में HEPA फिल्टर वाले एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करने की सलाह दी है।
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