CAG Report: डिफाल्टर बिल्डरों को दिए प्लॉट, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर उठे सवाल

ग्रेटर नोएडा में ग्रुप हाउसिंग भूखंड के आवंटन में भारी गड़बड़ियां पाई गई हैं। इससे जहां प्राधिकरण को नुकसान हुआ, वहीं फ्लैट खरीदारों को भी लंबा इंतजार करना पड़ा।

Updated On 2025-08-14 13:04:00 IST

कैग रिपोर्ट से ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को लेकर उठे सवाल

दिल्ली एनसीआर में अपना घर और कारोबार का सपना हर कोई देखना चाहता है। लेकिन, जमीन की आसमान छूती कीमतों की वजह से यह चाहत पूरी नहीं हो पाती। खास बात है कि अगर लोग किसी तरह पैसा इकट्ठा करके फ्लैट बुक कर लें तो भी समय से घर मिल जाए, इसकी कोई गारंटी नहीं है। कारण यह है कि बिल्डरों से लेकर विभागों तक मिलीभगत सामने आती रहती है। ऐसा ही मामला ग्रेटर नोएडा से सामने आया है।

ग्रेटर नोएडा में ग्रुप हाउसिंग भूखंड के आवंटन में भारी गड़बड़ियां पाई गई हैं। यह हम नहीं बल्कि नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट बयां कर रही है। मीडिया रिपोर्ट्स में कैग रिपोर्ट के हवाले से बताया कि यह गड़बड़ियां 2005-06 से 2014-15 के बीच की हैं। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने इस अवधि के बीच डिफ्लाटर बिल्डरों को भूखंड आवंटित किए थे। विभिन्न ग्रुप हाउसिंग परियोजनाओं के लिए कुल 94 भूखंड दिए गए। खास बात है कि बाद में बांटकर इसकी संख्या 186 कर दी गई। यह भूखंड 2017 एकड़ जमीन पर फैले थे।

आरोप है कि ऐसे बिल्डरों को भी भूखंड आवंटित कर दिए गए, जो कि पहले से डिफाल्टर घोषित थे। मतलब उनके पास बकाया राशि की भुगतान सुरक्षा के लिए एस्क्रो अकाउंट की भी व्यवस्था नहीं थी। इसके बावजूद इन बिल्डरों के लिए भूखंड आवंटन निरस्त नहीं किया गया। यह रिपोर्ट यह भी बताती है कि कुल 151 बिल्डर हैं, जिन पर प्राधिकरण का 10732 करोड़ रुपये का बकाया था। इनमें से 66 मामले ऐसे हैं, जिनमें 71000 करोड़ रुपये तीन साल से ज्यादा समय तक पैंडिंग रहे हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि बकाया राशि का भुगतान न करने वाले बिल्डरों को मॉर्गेज (गिरवी) की इजाजत दे दी गई।

इन गड़बड़ियों की वजह से हजारों फ्लैट मालिकों को भी लंबा इंतजार करना पड़ा। अप्रैल 2021 में से महज 27 परियोजनाएं ही पूरी हुईं थी, जबकि 95 परियोजनाओं का आंशिक कार्य भी पूरा नहीं हो सका। इसके कारण फ्लैट खरीदारों को दस साल का लंबा इंतजार करना पड़ा। इसके अलावा भी कई खामियां पकड़ी गई हैं, जो कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिह्न लगा रहा है। 

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