Delhi Water: जनकपुरी इलाके के पीने के पानी में बैक्टीरिया और मल-मूत्र, 83 फीसदी सैंपल फेल
Delhi Water: दिल्ली के जनकपुरी इलाके में पीने के पानी के सैंपल जांचे गए। इनमें से 83 फीसदी सैंपल फेल पाए गए। इन सैंपल में टोटल कोलीफॉर्म और ई. कोली पाया गया।
जनकपुरी में पीने के पानी के सैंपल फेल।
Delhi Water: दिल्ली के जनकपुरी इलाके में दूषित पानी की समस्या खत्म नहीं हो रही है। अब भी दूषित पानी ही सप्लाई किया जा रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जनकपुरी के ए ब्लॉक से पानी के 6 सैंपल लिए थे। इन सैंपल्स में से 5 सैंपल फेल हो गए हैं। जांच के दौरान इनमें टोटल कोलीफॉर्म और ई. कोली मिला है। सीपीसीबी ने इसकी रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को सौंप दी है।
सीपीसीबी की रिपोर्ट के अनुसार, जनकपुरी ब्लॉक-ए में सीवेज अभी भी पीने के पानी को प्रभावित कर रहा है। इस रिपोर्ट के बाद एनजीटी ने दिल्ली जल बोर्ड को पेयजल मुद्दे पर खास ध्यान देने के लिए सख्त निर्देश दिए हैं।
सीवेज से दूषित हो रहा पीने का पानी
बता दें कि फरवरी के महीने में पहली बार स्थानीय लोगों ने याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि पीने का पानी सीवेज से दूषित हो रहा है। इस पानी का इस्तेमाल करना मुश्किल है। इस पानी को पीना तो दूर, इससे नहाना भी मुश्किल है। मई में इस पानी के सैंपल लिए गए। पानी के सैंपल की जांच होने के बाद पता चला कि 20 में से 6 नमूनों में ई.कोली और फीकल कोलीफॉर्म है।
एनजीटी ने दिल्ली जल बोर्ड को लगाई फटकार
इस रिपोर्ट के आने के बाद एनजीटी ने दिल्ली जल बोर्ड को फटकार लगाते हुए कहा था कि तीन महीने बाद भी आप स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने में नाकाम रहे हैं और इतनी शिकायतों के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं कर पाए।
जल बोर्ड को दिए थे निर्देश
एनजीटी ने 30 मई के अपने आदेश में जल बोर्ड को निर्देश दिए थे कि जब तक पानी की समस्या का पूरी तरह से समाधान नहीं हो जाता, तब तक वो वहां के निवासियों को वैकल्पिक स्रोतों से साफ पानी मुहैया कराएं। इसके बाद 30 जून को एनजीटी ने सीपीसीबी को आदेश दिया कि वे नए सिरे से 6 घरों से पानी के सैंपल लें और इसकी जांच करें।
15 जुलाई को आई रिपोर्ट
इस सैंपल की रिपोर्ट 15 जुलाई को पेश की गई। ताजा रिपोर्ट में बताया गया कि 30 जून को पांच घरों से पानी के सैंपल लिए गए। वहीं छठे घर ने पानी के सैंपल नहीं दिए। इसके कारण उसी ब्लॉक के एक अन्य घर से पानी का सैंपल लिया गया।
सैंपल में पाए गए टोटल कोलीफॉर्म और ई. कोली
रिपोर्ट में पांच सैंपल में टोटल कोलीफॉर्म और ई. कोली पाया गया। ई. कोली की मात्रा 7.8 यूनिट प्रति 100 मिलीलीटर से लेकर 280,000 यूनिट प्रति 100 मिलीलीटर तक है। CPCB के अनुसार, भारतीय मानक ब्यूरो के पेयजल मानकों में ये फेल हो गए। भारतीय मानक ब्यूरो के पेयजल मानक आईएस 10500:2012 के अनुसार, 100 मिलीलीटर पेयजल के नमूनों में टोटल कोलीफॉर्म और ई. कोली बिल्कुल नहीं पाया जाना चाहिए।
क्या होता है टोटल कोलीफॉर्म और ई. कोली?
टोटल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया का एक बड़ा समूह है जो मिट्टी, पानी और पौधों में पाया जाता है। वहीं ई. कोली एक कोलीफॉर्म बैक्टीरिया है जो मनुष्य और जानवरों की आंतों में पाया जाता है। इसके अलावा पानी में ई.कोली होने का मतलब है कि हाल ही में मल से संदूषण हुआ है।