माफिया ने खड़े कर डाले रेत के पहाड़: बरसात में ऊंची कीमत पर बेचने की तैयारी, भंडारण की स्वीकृति का अता-पता नहीं
नवापारा-राजिम में रेत कारोबारियों ने जगह- जगह रेत के टीले बना दिए हैं। जिसके चलते अब यह जांच का विषय बन गया है कि, किसकी अनुमति और स्वीकृति से भंडारण किया गया है।
रेत कारोबारियों द्वारा किया गया भंडारण
श्याम किशोर शर्मा- नवापारा-राजिम। छत्तीसगढ़ के नवापारा- राजिम में रेत कारोबारियों का नया कारनामा देखने को मिला है। यहां पर कारोबारियों ने महानदी के किनारे रेत का भंडारण कर पहाड़ जैसा साम्राज्य खड़ा कर दिया है। बारिश के मौसम में रेत खनन का काम प्रतिबंधित होता है। जिसके चलते कारोबारियों ने यह जुगाड़ लगाया है। हालांकि लाखों टन रेत भंडारण में अफसरों ने कितने रुपये की स्वीकृति दी है यह अब तक सामने नहीं आया है।
मौरीकला पेट्रोल पंप के पीछे, मंदलोर और इससे लगे मैदान में रेत इकट्ठा कर लिया गया है। लाखों टन रेत का पहाड़ सड़क किनारे यह बताने के लिए काफी है कि यह रेत संग्रहण नही करोड़ो रूपए का भंडारण है। इस भंडारण में प्रशासनिक अफसरों ने कितने रकबे और कितने हजार टन की स्वीकृति दी है यह जांच का विषय है।
शहर से लगे इलाकों में रेत की मांग अधिक
जानकार बताते है कि, एक हाइवा में 22 टन रेत आता है। यदि ओव्हरलोड करे तो 30 टन भी आ जाता है। बारिशकाल में इसकी सप्लाई छत्तीसगढ़ से लगे राज्यों में रेत की ज्यादा मांग है। लेकिन इस बार रायपुर जिले के नवापारा शहर से लगे धमतरी जिले के पड़ोसी गांवो में बहुत ज्यादा देखने को मिल रहा है। अब यह जांच का विषय है कि, संबंधित लोगों को संग्रहण के लिए स्वीकृति कितने का और कब दिया गया।