नहीं रहे हास्य कवि पद्मश्री डॉ. सुरेन्द दुबे: साहित्य जगत में शोक की लहर, देवेंद्र नगर मुक्तिधाम में 27 जून को अंतिम संस्कार

छत्तीसगढ़ी के हास्य कवि पद्मश्री डॉ. सुरेन्द दुबे का गुरुवार को निधन हो गया है। इलाज के दौरान उन्होंने ACI में अंतिम सांस ली। उनकी तबीयत अचानक खराब होने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

Updated On 2025-06-26 20:35:00 IST

हास्य कवि पद्मश्री डॉ. सुरेन्द दुबे

रायपुर। रायपुर। छत्तीसगढ़ी भाषा को कविताओं के माध्यम से देश- विदेश तक पहुंचाने वाले हास्य कवि पद्मश्री डॉ. सुरेन्द दुबे ने गुरुवार को शाम 5 बजे अंतिम सांस ली। श्री दुबे की तबीयत अचानक खराब होने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां इलाज के दौरान हार्ट अटैक आने की वजह से उनका निधन हो गया। उनके निधन पर देश- विदेश के साहित्यकारों और कवियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है। सीएम विष्णुदेव साय उनके घर पहुंचे और शोक प्रकट किया। उनके निधन का समाचार प्राप्त होते ही वित्त मंत्री ओपी चौधरी भी अस्पताल पहुंचे। उनका पार्थिव देह रायपुर अशोका रत्न स्थित निवास लाया गया है। कल राजकीय सम्मान के साथ देवेंद्र नगर मुक्तिधाम में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।


हास्य कवि पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे कॉमिक कविताओं के व्यंग्यवादी और लेखक थे। वे पेशे से एक आयुर्वेदिक चिकित्सक भी थे। श्री दुबे का जन्म 8 जनवरी 1953 को भारतीय राज्य छत्तीसगढ़ में दुर्ग के बेमेतरा में हुआ था। उन्होंने पांच किताबें लिखी, जो कई मंचो और टेलीविजन शो पर दिखाई गई। वर्ष 2010 में उन्हें भारत सरकार द्वारा देश के चौथे उच्चतम भारतीय नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। वह 2008 में काका हाथ्री से हसया रत्न पुरस्कार भी प्राप्त कर चुके हैं। 

वर्ष 2017 में थामा बीजेपी का दामन
डॉ. सुरेंद्र दुबे केवल कवि ही नहीं, बल्कि एक प्रख्यात आयुर्वेदिक चिकित्सक, समाजसुधारक और राजनीतिक विचारक भी थे। उन्होंने हास्य के माध्यम से व्यंग्य की धार को मंचों से लेकर टीवी तक पहुँचाया। डॉ. दुबे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विचारों से प्रेरित थे। वर्ष 2017 में उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की उपस्थिति में बीजेपी की सदस्यता ली थी। आज उनके निधन के बाद सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें वे एक काव्य सम्मेलन के मंच से 'मुझको भाजपा से कुछ नहीं चाहिए, पर मुझको अंतिम साँस तक भाजपा चाहिए।'

कई पुरुष्कारों से किए जा चुके हैं सम्मानित
हास्य कवि पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे कॉमिक कविताओं के व्यंग्यवादी और लेखक थे। वे पेशे से एक आयुर्वेदिक चिकित्सक भी थे। श्री दुबे का जन्म 8 जनवरी 1953 को भारतीय राज्य छत्तीसगढ़ में दुर्ग के बेमेतरा में हुआ था। उन्होंने पांच किताबें लिखी, जो कई मंचो और टेलीविजन शो पर दिखाई गई। वर्ष 2010 में उन्हें भारत सरकार द्वारा देश के चौथे उच्चतम भारतीय नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। वह 2008 में काका हाथ्री से हसया रत्न पुरस्कार भी प्राप्त कर चुके हैं।

श्रद्धांजलि देने पहुंचे सीएम साय
श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद सीएम विष्णुदेव साय ने कहा कि, उनका जाना छत्तीसगढ़ के लिए अपूर्णीय क्षति है। मैं पद्मश्री सुरेंद्र दुबे को नमन करता हूं. भगवान उन्हें अपने चरणों में स्थान दें और परिवार को दुख सहने की शक्ति दें. डॉ. सुरेंद्र दुबे ने छत्तीसगढ़ की भाषा और संस्कृति को वैश्विक स्तर पर ख्याति दिलाई।  

कवि कुमार विश्वास ने ट्वीट कर दी श्रद्धांजलि 

डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने ट्वीट कर दी श्रद्धांजलि 

पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने ट्वीट कर दी श्रद्धांजलि 

बीजेपी अध्यक्ष किरणसिंह देव ने दी श्रद्धांजलि
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष किरणसिंह देव ने छत्तीसगढ़ से दुनियाभर में मशहूर हुए हास्य कवि पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे के निधन पर गहन शोक व्यक्त किया है। श्री देव ने कहा कि हास्य साहित्य और चिकित्सा जगत में समान लोकप्रियता अर्जित कर डॉ. दुबे ने न केवल देश, अपितु वैश्विक स्तर पर भी छत्तीसगढ़ की भाषा, संस्कृति और जीवन दृष्टि का परचम फहराया। छत्तीसगढ़ ने अपना सच्चा माटीपुत्र खो दिया है। यह छत्तीसगढ़ के लिए अपूरणीय क्षति है। अपने चिर परिचित अंदाज के लिए वे अलग ही पहचान रखते थे। उन्हें भारत सरकार द्वारा 2010 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। वे राष्ट्रीय व प्रादेशिक स्तर पर कई पुरस्कार प्राप्त कर चुके थे। राजभाषा आयोग के अध्यक्ष के रूप में उनकी सेवाओं को सदैव याद रखा जाएगा। श्री देव ने स्व. डॉ. दुबे की आत्मा को चिरशांति और शोकाकुल परिजनों व साहित्यप्रेमियों को यह गहन दु:ख सहन करने का सामर्थ्य प्रदान करने की प्रार्थना परमपिता परमेश्वर से की है।

Tags:    

Similar News